अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा ये गांव, उम्मीदवारों से है बड़ी उम्मीद.. जानिए | These villages fighting for survival

अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा ये गांव, उम्मीदवारों से है बड़ी उम्मीद.. जानिए

अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा ये गांव, उम्मीदवारों से है बड़ी उम्मीद.. जानिए

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:06 PM IST, Published Date : April 14, 2019/10:09 am IST

गरियाबंद। गरियाबंद के बुद्दूपारा गांव में लोग वोट सिर्फ इसलिए करते हैं ताकि उनका अस्तित्व बचा रहे। इन गांव वालों को उम्मीद है कि जो उम्मीदवार जीतेगा कम से कम उनके लिए लड़ेगा और उनकी बातें सरकार तक पहुंचाएगा।

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दरअसल करीब 600 की आबादी वाले बुद्दूपारा गांव का कोई सरकारी रिकार्ड नहीं है, ना गांव राजस्व रिकार्ड में दर्ज है और ना ही खुद की कोई ग्राम पंचायत है, बल्कि सबसे हैरत की बात तो ये है कि ये छोटा सा गांव तीन पंचायतों में बटा हुआ है, गांव का कुछ हिस्सा लाटापारा पंचायत में आता है तो कुछ घोघर और मुंगझर पंचायत में शामिल है, गांव के लोग इससे बहुत परेशान है।

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1952 से बसे इस गांव के लोग लंबे समय से अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं। यहां पढ़ने वाले बच्चों को आधारकार्ड या फिर वोटरआईडी जैसे दूसरे दस्तावेज बनवाने हो तो बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, गांव का नाम सरकारी राजस्व रिकार्ड में दर्ज नहीं होने के कारण कई तरह के एफिडेविट देने पड़ते हैं, यही नहीं तीन पंचायतों के बीच फंसा होने के कारण विकास कार्य भी अधर में लटके पड़े हैं, तीनों पंचायते एक दूसरे का हिस्सा बताकर अपने हाथ खड़े कर देती है।