नगरीय निकाय चुनाव : बागियों ने उड़ाई कांग्रेस प्रत्याशियों की नींद, नाजुक समय में मोहन मरकाम कोण्डागांव तक सीमित | Urban body elections: Rebels blew away Congress candidates Mohan Mercam confined to Kondagaon during critical time

नगरीय निकाय चुनाव : बागियों ने उड़ाई कांग्रेस प्रत्याशियों की नींद, नाजुक समय में मोहन मरकाम कोण्डागांव तक सीमित

नगरीय निकाय चुनाव : बागियों ने उड़ाई कांग्रेस प्रत्याशियों की नींद, नाजुक समय में मोहन मरकाम कोण्डागांव तक सीमित

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:30 PM IST, Published Date : December 8, 2019/5:36 pm IST

रायपुर। छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय चुनाव को लेकर जोर आजमाइश तेज हो गई है, वहीं सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस के अध्यक्ष मोहन मरकाम कोण्डागांव में डेरा डाले हुए हैं। वे अपने विधानसभा क्षेत्र कोण्डागांव नगर पालिका तक ही सीमित हो गए हैं, वो भी ऐसे समय में जब प्रदेश के अधिकांश निगमों में कांग्रेस के थोक में बागी ताल ठोंक रहे हैं। उनके मान मन्नोव्वल के इस अहम वक्त में प्रदेश अध्यक्ष का एक छोटे से पालिका में सीमित होने से पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है।

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छत्तीसगढ़ में शहरी सत्ता के लिए 21 दिसंबर को वोट डाले जाएंगे। प्रदेश के नगरीय निकाय में करीब साढ़े 11 हजार प्रत्याशियों ने पर्चा भरा है। नाम वापसी के लिए सोमवार आखिरी दिन है। अनुमान के मुताबिक प्रदेश के अधिकांश इलाकों के निकायों में कांग्रेस बीजेपी के बागियों की तादाद अच्छी खासी है। ऐसे समय में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम कोण्डागांव में जमे हुए हैं, जबकि उनके अध्यक्ष बनने के बाद यह उनका पहला बड़ा चुनाव है, जिसमें उनकी परीक्षा है। पार्टी नेताओं का मानना है कि ऐसे समय में उन्हें पूरे प्रदेश की मॉनिटरिंग करनी चाहिए। राजधानी रायपुर के 70 वार्डों में करीब पौने 11 सौ उम्मीदवार मैदान में है। औसत निकाला जाए तो एक-एक वार्ड में 15 उमीदवार चुनाव लड़ रहे हैं। इसके बावजूद प्रदेश अध्यक्ष नदारद है, जबकि नाम वापसी के लिए कुछ घंटों का समय ही बचा है। पार्टी से बगावत कर चुनाव लड़ने वाले नेताओं को मनाया नहीं गया तो कांग्रेस को बड़ा झटका लग सकता है।

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कहा जा रहा है कि कई निकायों में कांग्रेस के 4-4 बागी मैदान में है। जिसके कारण अधिकृत प्रत्याशियों की नींद उड़ी हुई है। वे अपेक्षा कर रहे हैं कि बागियों को मनाने के लिए समय रहते की पहल नहीं की गई तो निश्चित तौर पर भारी पड़ सकती है।

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