इस बार किस दिन मनाई जाएगी होली? होलाष्टक, शुभ मुहूर्त और पौराणिक कथा..जानिए | Who will celebrate Holi this time? Holashtak, auspicious time and mythology .. Learn

इस बार किस दिन मनाई जाएगी होली? होलाष्टक, शुभ मुहूर्त और पौराणिक कथा..जानिए

इस बार किस दिन मनाई जाएगी होली? होलाष्टक, शुभ मुहूर्त और पौराणिक कथा..जानिए

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:58 PM IST, Published Date : March 13, 2021/1:17 pm IST

त्योहार। होली रंगों का त्योहार है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन करने की परंपरा है और फिर अगले दिन होली मनायी जाती है। होली पर्व का केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी विशेष महत्व है। इस साल होली 29 मार्च सोमवार के दिन मनाई जाएगी। जबकि होलिका दहन 28 मार्च को किया जाएगा। आइए जानते है होलिका दहन का शुभ मुहूर्त और इस पर्व से जुड़ी पौराणिक कथा।

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फाल्गुन पूर्णिमा 2021
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ – मार्च 28, 2021 को 03:27 बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त – मार्च 29, 2021 को 00:17 बजे
होलिका दहन 2021
होलिका दहन मुहूर्त – 18:37 से 20:56
अवधि – 02 घंटे 20 मिनट
होली 2021
भद्रा पूंछ -10:13 से 11:16
भद्रा मुख – 11:16 से 13:00

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होली से लगभग आठ दिन पहले होलाष्टक लग जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से होलाष्टक शुरू हो जाएगा। इस साल होलाष्टक 22 मार्च से 28 मार्च तक रहेगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, होलाष्टक के दौरान शादी, विवाह, वाहन खरीदना या घर खरीदना एवं अन्य मंगल कार्य नहीं किए जाते हैं। हालांकि इस दौरान पूजा पाठ करने और भगवान का स्मरण भजन करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

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पौराणिक कथा के अनुसार, प्रहलाद जन्म से ही ब्रह्मज्ञानी थे और हरपल भगवत भक्ति में लीन रहते थे, उन्हें सभी नौ प्रकार की भक्ति प्राप्त थी। भक्ति मार्ग के इस चरम सोपान को प्राप्त कर लेने के बाद प्राणी परमात्मा को प्राप्त कर लेता है। प्रहलाद भी इसी चरम पर पहुंच गये थे जिसका उनके पिता हिरण्यकश्यपु अति विरोध करते थे किंतु, जब प्रहलाद को नारायण भक्ति से विमुख करने के उनके सभी उपाय निष्फल होने लगे तो, उन्होंने प्रह्लाद को फाल्गुन शुक्ल पक्ष अष्टमी को बंदी बना लिया और मृत्यु हेतु तरह तरह की यातनायें देने लगे, किन्तु प्रहलाद विचलित नहीं हुए। प्रतिदिन प्रहलाद को मृत्यु देने के अनेकों उपाय किये जाने लगे किन्तु भगवत भक्ति में लीन होने के कारण प्रहलाद हमेशा जीवित बच जाते।

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इसी प्रकार सात दिन बीत गये आठवें दिन अपने भाई हिरण्यकश्यपु की परेशानी देख उनकी बहन होलिका (जिसे ब्रह्मा द्वारा अग्नि से न जलने का वरदान था) ने प्रहलाद को अपनी गोद में लेकर अग्नि में भस्म करने का प्रस्ताव रखा जिसे हिरण्यकश्यपु ने स्वीकार कर लिया। परिणाम स्वरूप होलिका जैसे ही अपने भतीजे प्रहलाद को गोद में लेकर जलती आग में बैठीं तो, वे स्वयं जलने लगीं और प्रहलाद पुनः जीवित बच गए क्योंकि उनके लिए अग्निदेव शीतल हो गए थे। तभी से भक्ति पर आघात हो रहे इन आठ दिनों को होलाष्टक के रूप में मनाया जाता है।