जांजगीर। जिले में प्रसिद्ध लक्ष्मीनारायण के मंदिर परिसर में स्थित मां अन्नपूर्णा के मंदिर की भी बड़ी मान्यता है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक, भगवान राम रावण वध करने के बाद अयोध्या लौटते वक्त भी यहां रुके थे। यहीं उन्हें मां अन्नपूर्णा ने वो अक्षय पात्र दिया, जिसका खाना कभी ख़त्म नहीं होता।
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ये माता का चमत्कार ही है कि आज भी अन्नपूर्णा मंदिर में बना भोजन कभी कम नहीं पड़ता। कहते हैं, यहां पांच लोगों के लिए बने भोजन को 100से 150 लोगों को खिलाने के बाद भी पात्र खाली नहीं होता।
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अन्नपूर्णा मंदिर में ज्योतियां भी प्रज्जवलित की गईं हैं। इन ज्योतियों की एक ख़ासियत ये कि इनमें से न तो कभी धुंआ निकलता है और न ही ये तेज हवा-पानी की वजह से बुझती हैं। सैकड़ों सालों से ये ज्योतियां इस तरह अखंड रूप से जल रही हैं। कई श्रद्धालुओं ने यहां ज्योति जलवाई हैं।
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देवी अन्नूपूर्णा को अन्न-धन की देवी माना जाता है। ऐसे में बड़ी संख्या में लोग यहां सुखी-समृद्ध जीवन की कामना लेकर पहुंचते हैं। ख़ासकर नवरात्रि के दिनों में तो यहां भक्तों की इतनी भीड़ उमड़ती है कि तिल रखने की जगह भी नहीं बचती।
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