Tirange ka sahi arth : यह जानना अत्यंत रोचक है कि हमारा राष्ट्रीय ध्वज अपने आरंभ से किन-किन परिवर्तनों से गुजरा। बीसवीं शताब्दी में जब स्वदेशी आंदोलन ने ज़ोर पकड़ा तो एक राष्ट्रीय ध्वज की जरूरत महसूस हुई। स्वामी विवेकानंद की शिष्या सिस्टर निवेदिता ने सबसे पहले इसकी परिकल्पना की। फिर 7 अगस्त 1906 को कोलकाता में बंगाल के विभाजन के विरोध में एक रैली हुई जिसमें पहली बार तिरंगा झंडा फहराया गया। समय के साथ इसमें परिवर्तन होते रहे।
हमारे राष्ट्रीय ध्वज के विकास में कुछ ऐतिहासिक पड़ाव इस प्रकार हैं-
– प्रथम राष्ट्रीय ध्वज 7 अगस्त 1906 को पारसी बागान चौक (ग्रीन पार्क) कोलकाता में फहराया गया था। इस ध्वज को लाल, पीले और हरे रंग की क्षैतिज पट्टियों से बनाया गया था।
– दूसरे ध्वज को पेरिस में मैडम कामा और 1907 में उनके साथ निर्वासित किए गए कुछ क्रांतिकारियों द्वारा फहराया गया था (कुछ के अनुसार 1905 में)। यह भी पहले ध्वज के समान था सिवाय इसके कि इसमें सबसे ऊपरी की पट्टी पर केवल एक कमल था किंतु सात तारे सप्तऋषि को दर्शाते हैं। यह ध्वज बर्लिन में हुए समाजवादी सम्मेलन में भी प्रदर्शित किया गया था।
Read more: 13 अगस्त इन राशि वालों के पदोन्नति के प्रबल आसार, जानिए क्या कहते हैं आपके सितारे
– तीसरा ध्वज 1917 में आया जब हमारे राजनैतिक संघर्ष ने एक निश्चित मोड़ लिया। डॉ. एनी बेसेंट और लोकमान्य तिलक ने घरेलू शासन आंदोलन के दौरान इसे फहराया। इस ध्वज में 5 लाल और 4 हरी क्षैतिज पट्टियां एक के बाद एक और सप्तऋषि के अभिविन्यास में इस पर बने सात सितारे थे। बांयी और ऊपरी किनारे पर (खंभे की ओर) यूनियन जैक था। एक कोने में सफेद अर्धचंद्र और सितारा भी था।
Tiranga: अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सत्र के दौरान जो 1921 में बेजवाड़ा (अब विजयवाड़ा) में किया गया यहां आंध्रप्रदेश के एक युवक ने एक झंडा बनाया और गांधी जी को दिया। यह दो रंगों का बना था। लाल और हरा रंग जो दो प्रमुख समुदायों अर्थात हिंदू और मुस्लिम का प्रतिनिधित्व करता है। गांधी जी ने सुझाव दिया कि भारत के शेष समुदाय का प्रतिनिधित्व करने के लिए इसमें एक सफेद पट्टी और राष्ट्र की प्रगति का संकेत देने के लिए एक चलता हुआ चरखा होना चाहिए। वर्ष 1931 ध्वज के इतिहास में एक यादगार वर्ष है।
22 जुलाई 1947 को संविधान सभा ने इसे मुक्त भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया। स्वतंत्रता मिलने के बाद इसके रंग और उनका महत्व बना रहा। केवल ध्वज में चलते हुए चरखे के स्थान पर सम्राट अशोक के धर्म चक्र को दिखाया गया। इस प्रकार कांग्रेस पार्टी का तिरंगा ध्वज अंतत: स्वतंत्र भारत का तिरंगा ध्वज बना।
भारत के राष्ट्रीय ध्वज की ऊपरी पट्टी में केसरिया रंग है जो देश की शक्ति और साहस को दर्शाता है। बीच में स्थित सफेद पट्टी धर्म चक्र के साथ शांति और सत्य का प्रतीक है। निचली हरी पट्टी उर्वरता, वृद्धि और भूमि की पवित्रता को दर्शाती है। अशोक चक्र या धर्म चक्र को विधि का चक्र कहते हैं जो तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व मौर्य सम्राट अशोक द्वारा बनाए गए सारनाथ मंदिर से लिया गया है।
ज्योतिष के अनुसार तिरंगे का सही अर्थ
Tiranga: केसरिया रंग का प्रभाव ही है कि भारत का लोकतंत्र दिन ब दिन और समृद्ध होता जा रहा है। वैसे केसरिया रंग गुरु से भी संबंधित माना जाता है जो धर्म और त्याग का भी सूचक है। ज्योतिष में हर रंग का एक अपना भाव होता है और सभी रंगों का संबंध अलग-अलग ग्रहों से होता है। अलग-अलग ग्रहों से संबंधित होने की वजह से सभी रंगों का हमारे जीवन पर प्रभाव पड़ता है।
केसरिया रंग
केसरिया रंग शक्ति का प्रतीक माना जाता है। वहीं ज्योतिषीय दृष्टि से देखा जाए तो केसरिया रंग ग्रहों के राजा सूर्य का रंग है। सूर्य को आत्मा, आत्मविश्वास, तेज का कारक भी माना जाता है। इसलिए ज्योतिषीय दृष्टि से केसरिया रंग हमको आत्मनिर्भरता का संदेश देता है।
सफेद रंग
सफेद रंग को शांति का प्रतीक माना जाता है। वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा को सफेद रंग का प्रतिनिधि माना गया है। इसके साथ ही शुक्र ग्रह से भी इस रंग का संबंध है। चंद्रमा मन, माता, ममता, सौम्यता आदि का कारक ग्रह है। वहीं शुक्र सौंदर्य, भौतिकता, कला आदि का कारक ग्रह है। इसलिए वैदिक ज्योतिष के अनुसार भारत के तिरंगे में सफेद रंग हमें शांति का संदेश तो देता ही है साथ ही यह हमें आपसी प्रेम सद्भाव बनाए रखने का संदेश देता है।
Read more: इस तरह बना सकते हैं संतुलित जीवन, तो करें ये काम, ईश्वर का भी मिलेगा साथ
हरा रंग
तिरंगे में मौजूद हरा रंग संपन्नता और हरियाली का प्रतीक है। वहीं वैदिक ज्योतिष में इस रंग को बुध ग्रह से जोड़कर देखा जाता है। बुध ज्योतिष में तकनीक, तार्किक क्षमता, व्यवसाय, आदि का कारक ग्रह है और एक सफल राष्ट्र के निर्माण के लिए इन चीजों का होना बहुत आवश्यक है।
नीले रंग का अर्थ
इस बात का सूचक देश के तिरंगे के बीच में नीले रंग का एक चक्र है। वैदिक ज्योतिष में नीले रंग को शनि से संबंधित माना गया है। शनि न्याय का देवता कहा जाता है। शनि जनता का भी कारक ग्रह है।
Budh Gochar : बुध करने वाले हैं मेष राशि में…
21 hours agoZodiac Signs: इन ग्रहों के मिलन से बन रहा बेहद…
23 hours ago