एएफआई ने डोप परीक्षण में विफल होने पर खिलाड़ियों के समान कोच को भी सजा देने की घोषणा की |

एएफआई ने डोप परीक्षण में विफल होने पर खिलाड़ियों के समान कोच को भी सजा देने की घोषणा की

एएफआई ने डोप परीक्षण में विफल होने पर खिलाड़ियों के समान कोच को भी सजा देने की घोषणा की

:   Modified Date:  May 17, 2024 / 08:41 PM IST, Published Date : May 17, 2024/8:41 pm IST

नयी दिल्ली, 17 मई (भाषा) भारतीय एथलेटिक्स महासंघ (एएफआई) ने शुक्रवार को डोपिंग के बढ़ते मामलों से निपटने के मामले में नीतिगत बदलाव करते हुए खिलाड़ियों के बराबर कोच को भी सजा देने की घोषणा की।

इस नीतिगत बदलाव का मकसद कोच को डोपिग के प्रति जवाबदेह बनाना है।

एएफआई को उम्मीद है कि यह स्वच्छ खेलों की संस्कृति बनाने में मददगार होगा और इससे यह संदेश भी जायेगा कि डोपिंग को किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

एएफआई अध्यक्ष आदिल सुमरिवाला ने एएफआई की कार्यकारी परिषद की बैठक के बाद मीडिया से बातचीत के दौरान संवाददाताओं से कहा, ‘‘अगर कोई एथलीट डोपिंग में पाया जाता है और उसे सजा दी जाती है, तो उनके कोच को भी एएफआई से समान सजा मिलेगी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘कोच भी उतना ही जिम्मेदार होगा क्योंकि डोपिंग का यह पूरा मामला नियंत्रण से बाहर हो गया है। अब समय आ गया है  ऐसे लोगों की पहचान की जाए और उन्हें शर्मिंदा किया जाए और उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘एनआईएस डिप्लोमा धारकों सहित सभी कोचों को एएफआई के साथ पंजीकरण करना होगा। खिलाड़ियों को अपने डोप फॉर्म भरते समय अपने कोच का नाम बताना होगा। इस तरह यह स्पष्ट पहचान हो जाएगी कि कोच कौन है, जिससे एथलीट के सफल होने पर नकद पुरस्कार के लिए होने वाली मारामारी भी नहीं होगी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘जब कोई एथलीट जीतता है, तो कोच नकद पुरस्कार लेने के लिए तैयार रहते है ऐसे में उन्हें खिलाड़ियों की गलती पर सजा के लिए तैयार रहना होगा।

 एएफआई छह महीने से इस नीति पर विचार कर रहा है और विभिन्न एजेंसियों के साथ चर्चा कर रहा है। यह निर्णय विभिन्न स्तरों पर हितधारकों के साथ विचार-विमर्श के बाद लिया गया है।

खिलाड़ियों से जुड़े डोपिंग मामले में जिस कोच को दोषी पाया जायेगा उसे स्टेडियम में प्रवेश करने या किसी भी टीम के साथ की मंजूरी नहीं होगी।

 एएफआई ने प्रमाणपत्रों को डिजिटल बनाने का भी निर्णय लिया है। योग्यता प्रमाणपत्र इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय की प्रमुख पहल- डिजीलॉकर पर अपलोड किए जाएंगे।

सुमरिवाला ने कहा, ‘‘हमने सभी प्रमाणपत्रों के डिजिटलीकरण का फैसला किया है। हमें फर्जी प्रमाणपत्रों के बहुत सारे मुद्दे मिल रहे हैं। लोग जाली प्रमाणपत्र बना रहे हैं, किसी और के प्रमाणपत्र पर नाम बदल कर नौकरी, पदोन्नति लेने की कोशिश कर रहे है।’’

 उन्होंने कहा, ‘‘सरकार हमसे पूछती है कि क्या वे असली हैं। इस तरह सरकार के पास सभी प्रमाणपत्रों तक पहुंच होगी और वह सीधे जांच कर सकेंगे।’’

भाषा आनन्द नमिता

नमिता

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)