गुकेश की सफलता में छिपा है माता-पिता का त्याग |

गुकेश की सफलता में छिपा है माता-पिता का त्याग

गुकेश की सफलता में छिपा है माता-पिता का त्याग

:   Modified Date:  April 22, 2024 / 05:49 PM IST, Published Date : April 22, 2024/5:49 pm IST

… आयुष गुप्ता ….

चेन्नई, 22 अप्रैल (भाषा) युवा भारतीय ग्रैंडमास्टर डी गुकेश कैंडिडेट्स टूर्नामेंट में अपनी ऐतिहासिक जीत के बाद सुर्खियां बटोर रहे हैं लेकिन 17 साल के इस खिलाड़ी के सपने को हकीकत में बदलने के लिए उनके माता-पिता को कई त्याग करने पड़े। गुकेश शतरंज खेलना जारी रख सकें इसलिए उनके पिता को अपने करियर को रोकना पड़ा और खर्चों को पूरा करने के लिए ‘क्राउड फंडिंग’ का भी सहारा लेना पड़ा।  ग्रैंडमास्टर डी गुकेश ने कैंडिडेट्स शतरंज टूर्नामेंट जीतकर इतिहास रच दिया और वह विश्व चैम्पियनशिप खिताब के सबसे युवा चैलेंजर बन गए । उन्होंने 40 साल पुराना गैरी कास्पोरोव का रिकॉर्ड तोड़ा । गुकेश के पिता रजनीकांत ईएनटी सर्जन है जबकि उनकी मां ‘माइक्रोबायोलोजिस्ट’ है। रजनीकांत ने 2017-18 में अपने पेशे से विराम लिया और बेहद की कम बजट में अपने बेटे के साथ दुनिया भर का सफर पूरा किया। इस दौरान परिवार का खर्च चलाने की जिम्मेदारी उनकी मां ने उठायी। गुकेश के बचपन के कोच विष्णु प्रसन्ना ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘ उनके माता-पिता ने बहुत त्याग किये हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘  उनके पिता ने अपने करियर की लगभग बलि चढा दी जबकि उनकी मां परिवार का भरण-पोषण कर रही हैं । गुकेश और उनके पिता ज्यादातर समय यात्रा कर रहे होते है। यात्रा के कारण गुकेश के माता  पिता को एक दूसरे से मिलने का भी मौका बेहद मुश्किल से मिलता है।’’ गुकेश जनवरी 2019 में 12 साल, सात महीने और 17 दिन की उम्र में भारत के सबसे कम उम्र के ग्रैंडमास्टर बने थे। चिकित्सकों के परिवार से आने के बावजूद गुकेश बचपन से ही शतरंज को लेकर जुनूनी रहे हैं। उनके समर्पण को देखते हुए, उनके माता-पिता ने उन्हें चौथी कक्षा के बाद पूर्णकालिक स्कूल जाने से रोकने का फैसला किया। प्रसन्ना ने कहा, ‘‘वह कुछ समय से किसी भी परीक्षा में नहीं बैठा है। इसलिए, मुझे नहीं लगता कि वह इस स्तर पर अकादमिक रूप से कुछ भी करने की कोशिश कर रहा है।  मुझे नहीं पता कि वह इसमें वापस जाएगा या नहीं। उसकी मां हालांकि इस चीज को लेकर थोड़ी चिंतित जरूर रहती है।’’ गुकेश के पास कोई प्रायोजक नहीं था और उन्हें पुरस्कार राशि और ‘क्राउड-फंडिंग’ से अपने वित्त का प्रबंधन करना पड़ता था, लेकिन इन सबके बावजूद वह पिछले साल अपने आदर्श विश्वनाथन आनंद को पछाड़कर भारत के शीर्ष रैंकिंग के खिलाड़ी बनने में सफल रहे। प्रसन्ना इस बात से प्रभावित है कि गुकेश ने कितनी तेजी से सफलता की ऊंचाइयों को छुआ। उन्होंने इस खिलाड़ी की उपलब्धियों का श्रेय खेल के प्रति जुनून के साथ सीखने और सुधार करने की इच्छा शक्ति को दिया। प्रसन्ना ने कहा, ‘‘यह उनका अविश्वसनीय प्रदर्शन है। इस स्तर तक पहुंचने के लिए, आपको कई चीजों पर सही काम करने की जरूरत है और यह एक बड़ी उपलब्धि है। इतिहास में उनका नाम पहले ही दर्ज हो चुका है।’’ सात साल की उम्र में खेल खेलना सीखने के बाद, गुकेश 2017 में प्रसन्ना के पास आये थे। उन्होंने कहा, ‘‘हम 2017 में मिले और जैसे ही हमने एक साथ काम करना शुरू किया, उसने आईएम मानदंडों को हासिल करना शुरू कर दिया। इसी तरह चीजें इतनी तेजी से होने लगीं कि दो साल के अंदर वह ग्रैंडमास्टर बन गया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ उनकी पिछली बड़ी सफलता ओलंपियाड स्वर्ण प्राप्त करना था लेकिन अब उसने कैंडिडेट्स के लिए क्वालीफाई करके अद्भुत उपलब्धि हासिल की है।’’ अगली विश्व चैंपियनशिप में गुकेश का मुकाबला मौजूदा चैंपियन चीन के डिंग लिरेन से होगा। प्रसन्ना ने कहा, ‘‘हम विश्व चैंपियनशिप पर ध्यान केंद्रित करेंगे और इसे जीतने की कोशिश करेंगे। हमें यह भी देखना होगा कि वहां पहुंचने से पहले हमें क्या हासिल करना है और क्या करने की जरूरत है। ’’ भाषा आनन्द सुधीरसुधीर

 

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