शांतिवार्ता के लिए शर्तें लागू! आखिर नक्सलियों की मंशा क्या है ? क्या सुरक्षा बलों के एक्शन से बैकफुट पर हैं नक्सली? | Conditions apply for peace talks! After all, what is the intention of the Naxalites? Are Naxalites on the back foot due to action by security forces?

शांतिवार्ता के लिए शर्तें लागू! आखिर नक्सलियों की मंशा क्या है ? क्या सुरक्षा बलों के एक्शन से बैकफुट पर हैं नक्सली?

शांतिवार्ता के लिए शर्तें लागू! आखिर नक्सलियों की मंशा क्या है ? क्या सुरक्षा बलों के एक्शन से बैकफुट पर हैं नक्सली?

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:27 PM IST, Published Date : March 17, 2021/4:03 pm IST

रायपुर। पिछले कई दशकों से नक्सली हिंसा का दंश झेल रहे बस्तर में शांति की नई उम्मीद नजर आई है…दरअसल नक्सली सरकार के साथ बातचीत करने के लिए तैयार हैं..लेकिन इसके लिए उन्होंने तीन शर्तें रखीं हैं..ऐसे में सवाल है कि..अगर नक्सली वाकई सुलह चाहते हैं तो तीन शर्तों वाला प्रेस नोट क्यों जारी किया.. आखिर नक्सलियों की मंशा क्या है..क्या सुरक्षा बलों के एक्शन से बैकफुट पर हैं नक्सली..सबसे बड़ा सवाल कि क्या शर्तों के साथ बातचीत को तैयार होगी सरकार..?

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दो पन्ने का प्रेस नोट..जिसे नक्सलियों के संगठन दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी ने जारी किया है..पत्र के जरिए नक्सलियों ने सरकार के सामने वार्ता का प्रस्ताव रखा है.. लेकिन इसके लिए संगठन की तरफ से तीन शर्तें रखी गई हैं.. पहला ..इलाके से सशस्त्र बलों को हटाया जाए.. दूसरा माओवादी संगठन पर लगी पाबंदी हटाई जाए..और तीसरा शर्त है जेलों में कैद नक्सली नेताओं को निशर्त रिहा किया जाए..

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नक्सलियों का ये पत्र ऐसे वक्त में आया है..जब बस्तर में एंटी नक्सल ऑपरेशन जोर शोर से चल रहा है..वहीं सरकार की निगरानी में एक सिविल सोसायटी का गठन किया गया है.. जिसमें शुभ्रांशु चौधरी, मनीष कुंजाम और अरविंद नेताम सहित कई सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हैं.. लेकिन नक्सलियों ने सिविल सोसायटी को सरकारी औजार की संज्ञा दी है..वहीं मुहिम को लीड कर रहे शुभ्रांशु चौधरी को भी पत्र के जरिए कॉर्पोरेट का एजेंट बताया है..हालांकि शुभ्रांशु ने नक्सलियों की पहल को स्वागत किया है..

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नक्सली पहली बार सरकार से वार्ता के लिए तैयार हुए हैं ऐसा नहीं है.. इससे सुकमा कलेक्टर एलेक्स पॉल मेनन के अपहरण के बाद भी सरकार और नक्सलियों के बीच वार्ता की शुरुआत हुई थी.. इस दौरान सरकार ने नक्सलियों की ओर से सुझाए गए कुछ शर्तों पर काम करने के लिए निर्मला बुच की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया था.. शांति वार्ता के लिए नक्सलियों के नए प्रस्ताव पर गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने कहा कि केंद्र से चर्चा के बाद इसका फैसला लिया जाएगा..

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दूसरी ओर बीजेपी मानती है कि सरकार को गुमराह करने के लिए नक्सली इस प्रकार की बात करते रहते हैं..अगर नक्सली हाथियार छोड़कर निशर्त बातचीत करते हैं तो उनका स्वागत है।

बहरहाल दशकों से नक्सली हिंसा का प्रमुख केंद्र रहा बस्तर नक्सलियों के इस पहले के बाद क्या शांति के रास्ते पर आगे बढ़ेगा..ये बड़ा सवाल है.. आखिर नक्सलियों की ओर से अभी ये प्रस्ताव क्यों आया.. क्या फोर्स की लगातार मूवमेंट और एंटी नक्सल ऑपरेशन से बस्तर में नक्सली कमजोर पड़े हैं..? सवाल ये भी कि क्या शर्तों के साथ नक्सलियों से बातचीत करेगी सरकार..?
जाहिर है शांति वार्ता की पहल इस बार नक्सलियों की तरफ से दिखाई दे रही है..ऐसे में आने वाले समय में सरकार इस पर क्या रुख अपनाती है ये देखने वाली बात होगी।

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