टिमरनी विधानसभा सीट के विधायकजी का रिपोर्ट कार्ड, देखिए वीडियो | Watch Video :

टिमरनी विधानसभा सीट के विधायकजी का रिपोर्ट कार्ड, देखिए वीडियो

टिमरनी विधानसभा सीट के विधायकजी का रिपोर्ट कार्ड, देखिए वीडियो

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:35 PM IST, Published Date : September 3, 2018/2:55 pm IST

रदाविधायकजी के रिपोर्ट कार्ड में आज बारी है मध्यप्रदेश के हरदा जिले की टिमरनी विधानसभा सीट की। टिमरनी विधानसभा सीट का इतिहास बेहद दिलचस्प रहा हैपरिसीमन से पहले हुए 10 विधानसभा चुनावों में 6 बार कांग्रेस ने जीत हासिल की तो बीजेपी को तीन बार सफलता मिली लेकिन 2008 में परिसीमन के बाद टिमरनी विधानसभा अनुसूचित जनजाति के लिए रिजर्व हो गई। इसके बाद मकड़ाई राजपरिवार के सदस्य कुंवर संजय शाह ने बीजेपी से टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर अपनी ताकत दिखाई और विधानसभा पहुंचे। 2013 में संजय शाह बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़कर विधायक चुने गएआने वाले चुनाव में भी इस इलाके में सियासत की कई बड़ी चालें देखने को मिल सकती हैं।

इतिहास किसी न किसी रूप में वर्तमान में भी अपना वजूद कायम रखता है टिमरनी की सियासत में भी इस सच को महसूस किया जा सकता है। राजमहल भले ही जर्जर हो गया हो लेकिन इसका असर यहां की सियासत में अब भी कायम हैटिमरनी के वर्तमान विधायक संजय शाह मकड़ाई राजपरिवार से ही हैं। 2008 में परिसीमन के बाद टिमरनी विधानसभा अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हुई लिहाज़ा मकड़ाई राजपरिवार और गोंड जनजाति से ताल्लुक रखने वाले कुंवर संजय शाह ने बीजेपी से टिकट मांगालेकिन संजय शाह  को टिकट न देते हुए बीजेपी ने दूसरे चेहरे को मौका दियाभारतीय जनता पार्टी से टिकट नहीं मिलने पर संजय शाह 2008 में निर्दलीय चुनाव लड़े और जीतेहालांकि उन्हें 3691 वोट के बेहद कम मार्जिन से जीत मिली लेकिन 2013 के विधानसभा चुनाव में कुंवर संजय शाह बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़े और कांग्रेस प्रत्याशी राधेलाल इवने को 16 हजार 500 वोटों के बड़े अंतर से हराकर विधानसभा पहुंचे।

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वैसे सीट के सियासी इतिहास की बात की जाए तो 1962 में अस्तित्व में आई टिमरनी विधानसभा 2003 तक अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व रही और इस दौरान हुए 10 विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने 6 बार बाजी मारी, जबकि बीजेपी के प्रत्याशी 3 बार और 1977 में जनता पार्टी को यहां कामयाबी मिली। लेकिन परिसीमन के बाद टिमरनी में गोंड और कोरकू जनजाति का बड़ा हिस्सा शामिल हुआगोंड और कोरकू जनजाति के वोटर्स की आबादी 65 हज़ार से ज्यादा हैलिहाज़ा मकड़ाई राजपरिवार और गोंड जनजाति से ताल्लुक रखने वाले संजय शाह के सितारे इन्हीं वोटर्स के भरोसे बुलंद हुए

टिमरनी में जाति समीकरण की बात की जाए तो 37 हजार कोरकू मतदाता, 35 हजार गोंड मतदाता यहां बड़ी सियासी ताकत हैंइसके अलावा 32 हजार क्षत्रिय और ब्राह्मण मतदाता 29 हजार गुर्जर-जाट, मुस्लिम 11 हजार और अन्य 40 हजार वोटर भी प्रत्याशियों के किस्मत का फैसला करते हैंचुनावी साल है तो एक बार फिर यहां कांग्रेस और बीजेपी ने यहां के मतदाताओं को लुभाने के लिए जोड़-तोड़ शुरू कर दी है।

मुद्दों की बात करें तो टिमरनी विधानसभा में विधायक की क्षेत्र में गैर मौजूदगी और बुनियादी सुविधाओं का अभाव बीजेपी पर भारी पड़ सकता हैहालांकि बीजेपी विधायक संजय शाह पिछले 10 सालों के विकास कार्यों को लेकर वोटर्स के बीच जाने की तैयारी में हैंलेकिन मकड़ाई राजपरिवार के ही छोटे सदस्य औऱ संजय शाह के भतीजे अभिजीत शाह अपने चाचा को आदिवासी इलाकों में सड़क, पानी, बिजली के मसले पर घेरने की तैयारी कर रहे हैं

टिमरनी में पिछले 10 साल से विधायक संजय शाह की वादाखिलाफी पर वोटर्स की नाराजगी बढ़ती जा रही है, जो आगामी चुनाव में उनके खिलाफ जा सकता हैदरअसल कई ऐसे मुद्दे हैं जो इस बार बीजेपी विधायक संजय शाह के विजय रथ को रोक सकते हैं कांग्रेस भी बीजेपी विधायक की वादाखिलाफी को लेकर वोटर्स के बीच पहुंच रही हैकांग्रेस नेता रमेश मर्सकोले और अभिजीत शाह अपने चाचा संजय शाह पर आरोप लगाते हुए कह रहे हैं कि तजपुरा में खाद वितरक की वजह से 200 एकड़ सोयाबीन की फसल बर्बाद होने की खबर के बाद भी संजय शाह किसानों के बीच नहीं पहुंचेहरदा से सिराली को जोड़ने वाले रोलगांव के पुल को भी अब तक नहीं बन पाने का जिम्मेदार भी संजय शाह को बता रहे हैं

मुद्दों की बात की जाए तो टिमरनी विधानसभा में खिलाड़ियों के लिए स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स और बस स्टैंड की घोषणा होने के बाद भी उस दिशा में कोई काम नहीं हुआवहीं सड़कों की कनेक्टिविटी का मुद्दा भी चुनाव में गूंजने वाला हैखारी गांव समेत 7 गावों में आज़ादी के बाद से ही अब तक बिजली न होना और आदिवासी वन ग्रामों में पेयजल की भारी किल्लत भी यहां गंभीर समस्या बनी हुई हैहालांकि संजय शाह के मुताबिक 10 सालों में उन्होंने हर मुमकिन कोशिश की है, जिसकी ज़रुरत टिमरनी के लोगों को थीलेकिन वो ये ज़रुर मानते हैं कि खिलाड़ियों के लिए स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स और बस स्टैंड के वादे किये थे जो तकनीकी खामियों के वजह से पूरे नहीं हो पाए

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बीजेपी विधायक भले अपनी जीत के लाख दावे करें लेकिन साल 2018 के चुनावों में संजय शाह को वोटर्स परेशान कर सकते हैंहालांकि संजय शाह के लिए मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और संजय शाह के बड़े भाई स्कूल शिक्षा मंत्री कुंवर विजय शाह ने पूरा जोर लगा दिया है

टिमरनी में इस बार एक ही राज परिवार के दो सदस्य आमने सामने हो सकते हैंहरदा जिले के मकड़ाई राजपरिवार के चाचा और भतीजे एक दूसरे के खिलाफ चुनावों के ठीक पहले जमकर सियासी माहौल भी बना रहे हैंदरअसल टिमरनी सीट से बीजेपी के मौजूदा विधायक संजय शाह के सामने उन्हीं के भतीजे अभिजीत शाह कांग्रेस से टिकट की दावेदारी कर रहे हैंजाहिर है गोंड बाहुल्य टिमरनी में गोंड जाति से ही ताल्लुक रखने वाले मकड़ाई राजपरिवार के दोनों ही सदस्यों के बीच होने वाला मुकाबला बेहद दिलचस्प होगा

लोकतंत्र के इस दौर में सिर्फ राजपरिवार का बैकग्राउंड ही सियासी सफलता की गारंटी नहीं हैशायद इस बात को मकड़ाई राजपरिवार के सदस्य अभिजीत शाह बखूबी समझ गए है अभिजीत शाह ने बीजेपी विधायक संजय शाह, जो रिश्ते में उनके चाचा लगते हैं, को ट्क्कर देने के लिए अपने समाज के लोगों के बीच सियासी जड़ें जमानी शुरू कर दी हैअभिजीत शाह का आदिवासियों के साथ थिरकना भी शायद सियासी पैंतरा होदरअसल टिमरनी में बीजेपी की जीत का सबसे बड़ा फैक्टर गोंड और कोरकू जनजाति के वोटर हैंलिहाजा बीजेपी के साथ कांग्रेस की भी कोशिश है कि इन वोटर्स के सहारे सीट पर फतह हासिल की जाएयही वजह है कि गोंड समाज से आने वाले अभिजीत शाह कांग्रेस से टिकट के लिए दावेदारी कर रहे हैंउनका कहना है कि बीजेपी विधायक संजय शाह को हराने के लिए कांग्रेस को उनके परिवार के शख्स को ही टिकट देना होगा।

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लेकिन आगामी चुनाव में अभिजीत शाह कांग्रेस से टिकट पाने की दौड़ में अकेले शामिल नहीं है, बल्कि कोरकू जाति से आने वाले रमेश मर्सकोले भी टिकट के लिए ताल ठोंक रहे हैंरमेश मर्सकोले का कहना है कि गोंड-कोरकू जाति के वोटर्स उनका नाम आगे बढ़ा रहे हैं

हालांकि दूसरी ओर बीजेपी में मौजूदा विधायक कुंवर संजय शाह अपनी पार्टी से स्वाभाविक दावेदार नज़र आ रहे हैंबीजेपी में संजय शाह के अलावा दूसरा कोई दावेदार नहीं हैउनके मुताबिक कांग्रेस डूबती नाव हैइस पर जो भी सवार होगा वो भी डूबेगा भले उन्हीं के परिवार का भतीजा अभिजीत क्यों न होहालांकि चुनावों के लिए अभिजीत शाह को आशीर्वाद देते हुए संजय शाह ने कहा कि कांग्रेस परिवार को लड़ाने का काम कर रही है

कुल मिलाकर टिमरनी के वोटर्स भी इस बार क्षेत्र में बन रहे सियासी समीकरण देखकर हैरान हैंवोटर्स उलझन में हैं कि इस बार किसे वोट करें कांग्रेस जहां बीजेपी के विजय रथ को रोकने के लिए हर मुमकिन कोशिश करेगीभले मकड़ाई राज परिवार के सदस्य को टिकट देने की बात हो या फिर चुनावों में संय शाह के खिलाफ प्रचार करने का जिम्मा हो

 वेब डेस्क, IBC24

 
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