अलीगढ़, चार मई (भाषा) अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) ने शनिवार को 11वीं कक्षा में प्रवेश परीक्षा के पाठ्यक्रम से इंडो-इस्लामिक इतिहास पर कुछ विषयों को ‘हटाने’ की आशंकाओं को दूर किया।
एएमयू ने एक आधिकारिक बयान में ‘संस्थान के चरित्र को कमजोर करने के उद्देश्य से पाठ्यक्रम में जानबूझकर छेड़छाड़’ के आरोपों को ‘पूरी तरह से निराधार’ बताया।
विश्वविद्यालय के जनसंपर्क कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि एक गलत धारणा बनाई जा रही है कि कुछ विषयों को हटाने का कदम नई कुलपति प्रोफेसर नईमा खातून के निर्देश पर उठाया गया है।
खातून को 22 अप्रैल को विश्वविद्यालय का कुलपति नियुक्त किया गया था, वह 100 से अधिक वर्षों में शीर्ष पद संभालने वाली पहली महिला कुलपति बनीं।
सोशल मीडिया पर यह रिपोर्ट प्रसारित होने के बाद विवाद खड़ा हो गया कि विश्वविद्यालय प्रशासन कथित तौर पर पिछले दरवाजे से कुछ ऐसे उपाय पेश करने की कोशिश कर रहा है जो संस्थान के ‘अल्पसंख्यक चरित्र’ को खत्म कर देंगे।
विश्वविद्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पीटीआई-भाषा को बताया कि ‘पाठ्यक्रम को अद्यतन करने की प्रक्रिया कोई नई बात नहीं है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की सिफारिशों के अनुसार, समय-समय पर पाठ्यक्रम को संशोधित करना हमेशा से एक परंपरा रही है।’
बयान में कहा गया है कि कुछ विषयों को हटाने का निर्णय इस विषय के लिए गठित एक समिति द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट के आधार पर लिया गया था। विश्वविद्यालय ने परिसर में प्रसारित ‘असत्यापित रिपोर्ट’ का भी खंडन किया।
भाषा सं आनन्द रंजन
रंजन
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