Arshad Madani on Gyanvapi Masjid Case

Arshad Madani on Gyanvapi Masjid Case : ज्ञानवापी मस्जिद के तहखाने में पूजा-पाठ! मौलाना साहब का न्यायपालिका से उठा भरोसा, दे दिया चौंकाने वाला बयान

Arshad Madani on Gyanvapi Masjid Case: ज्ञानवापी मस्जिद मामले पर जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने अपनी प्रतिक्रिया दी है।

Edited By :   Modified Date:  February 3, 2024 / 06:53 PM IST, Published Date : February 3, 2024/6:53 pm IST

Arshad Madani on Gyanvapi Masjid Case : ज्ञानवापी मामले में शुक्रवार (02 फरवरी) को इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। अब इस मामले की अगली सुनवाई 6 फरवरी को होगी। तब तक पूजा पर कोर्ट ने रोक नहीं लगाई है और पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराने का निर्देश दिया है। मामले पर जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। मौलाना साहब ने कहा कि अब तो न्यायपालिका से हमारा भरोसा ही उठ गया है। बता दें कि अरशद मदनी ने वाराणसी की ज्ञान वापी जामा मस्जिद के तहखाने में पूजा की इजाजत देने पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।

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Arshad Madani on Gyanvapi Masjid Case : मौलाना मदनी ने शुक्रवार को यहां ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुये कहा कि देश की आजादी के बाद से ही मुसलमान ऐसी समस्याओं से घिरे हुये हैं। बाबरी मस्जिद-राम जन्म भूमि मामले में उच्चतम न्यायालय को कानून के मुताबिक फैसला लेना था, लेकिन उच्चतम न्यायालय ने यह मानते हुये कि ये बाबरी मस्जिद है, आस्था के आधार पर फैसला दिया, जिसके कारण ऐसे फैसले आ रहे हैं। मौलाना मदनी ने कहा आजादी के बाद पहली बार हमारा न्यायपालिका पर से भरोसा उठ गया है।

 

उन्होंने कहा कि मुसलमानों ने बाबरी मस्जिद-राम जन्म भूमि मामले में दलीलों के आधार पर फैसले को स्वीकार करने की बात कही थी, लेकिन जो फैसला आया उससे सिर्फ हम ही नहीं बल्कि बड़े-बड़े वकील और बुद्धिजीवी भी इस फैसले से असहमत थे। उन्होंने कहा कि स्थिति ऐसी हो गयी है कि जिस भी अदालत में भक्ति का मामला आएगा, वहां ‘आस्था’ के आधार पर फैसला होगा।

 

मौलाना मदनी ने कहा कि अगर देश में यही रवैया रहेगा तो किसी को भी न्याय नहीं मिलेगा, चाहे वह जैन हो, ईसाई हो, पारसी हो या सिख हो। उन्होंने कहा कि यह देश के लिए बहुत बड़ी त्रासदी होगी। उन्होंने कहा कि किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था में पीड़ित लोगों के न्याय के लिये अदालतें ही आखिरी सहारा होती हैं और अगर वे ही किसी का पक्ष लेने लगें तो न्याय किसे मिलेगा।

 

मौलाना ने कहा कि 1991 का कानून अहम कानून है। इस कानून की सहायता से हम झगड़े बंद किया जा सकता है। इस कानून पर अगर मुल्क में इमानदारी से फैसला नहीं लाया जाएगा तो देश में दंगे शुरु हो जाएंगे। इंसाफ का एक ही पैमाना होना चाहिए। अगर इससे भरोसा लोगों का उठ जाए तो ये देश के लिए ठीक नहीं है। हम इस मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट भी जाएंगे। सही तौर से इसको कोर्ट में रखेंगे और सच्चाई सबके सामने लाएंगे।

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