मथुरा में कान्हा के जन्म के बधाई गीत गूंजे, केक काटा |

मथुरा में कान्हा के जन्म के बधाई गीत गूंजे, केक काटा

मथुरा में कान्हा के जन्म के बधाई गीत गूंजे, केक काटा

:   Modified Date:  September 8, 2023 / 04:45 PM IST, Published Date : September 8, 2023/4:45 pm IST

मथुरा (उप्र), आठ सितंबर (भाषा) मथुरा स्थित श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर बृहस्पतिवार को रात के 12 बजते ही बड़ी संख्या में उमड़े श्रद्धालुओं ने ‘जय कन्हैया लाल की, हाथी घोड़ा पालकी’ के जयकारों से भागवत भवन को गुंजायमान कर दिया, तो दूसरी तरफ कई मंदिरों में कान्हा के जन्म के बधाई गीत भी गूंजने लगे।

मंदिर परिसर में ढोल-नगाड़े, घंटे-घड़ियाल बज उठे। झांझ-मंजीरे, नाल, मृदंग और शंख की मंगलध्वनि के बीच गोकुल सहित पूरे ब्रज के मंदिरों में ‘भए प्रगट गोपाला…’ जैसे बधाई गीतों से माहौल भक्तिमय हो गया।

कृष्ण बलराम मंदिर (इस्कॉन) में भक्तों ने इस अवसर पर एक बड़ा केक काटकर खुशी का इजहार किया।

श्रीकृष्ण जन्मस्थान के भागवत भवन में महंत नृत्य गोपाल दास सहित श्रीकृष्ण जन्मस्थान के ट्रस्टी अनुराग डालमिया, सचिव कपिल शर्मा व सदस्य गोपेश्वर नाथ चतुर्वेदी ने सोने व चांदी से निर्मित 100 किग्रा की कामधेनु गाय की प्रतिमा में हरिद्वार के गंगाजल सहित पंचामृत भरकर उससे कान्हा का अभिषेक किया।

ऐसे अद्भुत दृश्य के दर्शन कर भक्त भाव विभोर हो रहे थे। भागवत भवन में ठाकुर जी की मनोहारी छवि की आभा देखते ही बन रही थी। मध्य रात्रि के पश्चात डेढ़ बजे तक दर्शन का यह क्रम चलता रहा।

महंत नृत्य गोपालदास के अस्वस्थ होने के चलते उन्हें भागवत भवन में व्हीलचेयर पर लाया गया था। इसके बाद उन्होंने सोफे पर बैठकर ही ठाकुरजी के आभिषेक की प्रक्रिया पूरी कराई।

वृन्दावन में ठा. बांकेबिहारी मंदिर में जन्माष्टमी की रात वर्ष में केवल एक बार होने वाली मंगला आरती परम्परानुसार 1.55 बजे हुई। मंगला आरती के दर्शन के लिए श्रद्धालु रात 12 बजे से ही मंदिर के बाहर एकत्र हो गए थे। वर्ष में एक बार होने वाली इस आरती में शामिल होने से कोई वंचित नहीं रहना चाहता था।

हालांकि, प्रशासन ने आरती के दौरान सीमित संख्या में ही भक्तों को अंदर जाने दिया, लेकिन इसके बाद मंदिर में श्रद्धालुओं के दर्शन करने का क्रम अनवरत चलता रहा।

मंगला आरती के बाद सेवायत गोस्वामी द्वारा ठाकुरजी का चरणामृत भक्तों पर बरसाया गया। तत्पश्चात सुबह साढ़े पांच बजे तक ठाकुरजी के जन्म के दर्शन के लिए मंदिर के पट खुले रहे।

इस बीच, सेवायत परिवारों की महिलाओं द्वारा घर में बनाए गए पाग, धनिया की पंजीरी और मोहन भोग को चांदी की कई थाल में सजाकर ठाकुर जी को अर्पित किया गया जिसे बाद में लोगों में वितरित किया गया।

भाषा सं जफर मनीषा संतोष

संतोष

 

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