जब मौलाना आजाद इमाम होने के बावजूद सियासत में आए तो मेरे लिए इतनी बातें क्यों : नदवी |

जब मौलाना आजाद इमाम होने के बावजूद सियासत में आए तो मेरे लिए इतनी बातें क्यों : नदवी

जब मौलाना आजाद इमाम होने के बावजूद सियासत में आए तो मेरे लिए इतनी बातें क्यों : नदवी

:   Modified Date:  April 16, 2024 / 04:01 PM IST, Published Date : April 16, 2024/4:01 pm IST

(मुहम्मद मजहर सलीम)

रामपुर (उप्र), 16 अप्रैल (भाषा) समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता आजम खान के गढ़ रामपुर में इस बार पार्टी उम्मीदवार बनाकर भेजे गए इमाम मोहिबुल्लाह नदवी का कहना है कि जब मौलाना अबुल कलाम आजाद इमाम होने के बावजूद सियासत में आए, वर्ष 1952 में रामपुर से ही सांसद बने तो उनके इमाम रहते हुए चुनाव लड़ने पर इतनी बातें क्यों की जा रही हैं ?

नदवी ने मंगलवार को ‘पीटीआई-भाषा’ से साक्षात्कार में यह भी कहा कि वह देश में बढ़ते सांप्रदायिक माहौल को खत्म करके भाईचारे को बहाल करना चाहते हैं। उन्होंने कहा ‘‘हम चाहते हैं कि यह रामपुर से शुरू हो और पूरे हिंदुस्तान में इसका संदेश जाए।’

दिल्ली में संसद मार्ग स्थित एक मस्जिद के इमाम नदवी को सांसदों को नमाज पढ़ाते-पढ़ाते खुद सांसद बनने का ख्याल कैसे आया? इस पर उन्होंने तपाक से कहा, ‘मौलाना अबुल कलाम आजाद भी इमाम थे लेकिन वह सियासत में आए और वर्ष 1952 में रामपुर से ही सांसद बने। उन्होंने राजनीति की बुलंदियों को छुआ। अगर मैं इमाम रहते हुए चुनाव लड़ रहा हूं तो इस पर इतनी बातें क्यों की जा रही हैं ?’

चुनाव के मुद्दों के बारे में नदवी ने कहा, ‘रामपुर में गरीबी और अशिक्षा है। हमें कमजोर तबके को ऊपर उठाना है। देश में बढ़ते सांप्रदायिक माहौल को खत्म करके भाईचारे को बहाल करना है। हम चाहते हैं कि यह रामपुर से शुरू हो और पूरे हिंदुस्तान में इसका संदेश जाए।’

यह पूछे जाने पर कि क्या पिछले चार दशकों के दौरान रामपुर का उतना विकास नहीं हुआ जितना होना चाहिए था, नदवी ने कहा, ‘हर जनप्रतिनिधि अपने हिसाब से कोशिश करता है कि उसके इलाके का विकास हो। यहां कांग्रेस, सपा और भाजपा के विधायक और सांसद रहे। सभी लोगों ने अपनी-अपनी कोशिश की होगी लेकिन समाजवादी पार्टी के शासन में रामपुर की बहुत तरक्की हुई। तब उत्तर प्रदेश में भी विकास के काफी काम हुए।’

रामपुर की सियासत में आजम खां का विकल्प बनने के सवाल पर उन्होंने कहा, ‘हम किसी का भी विकल्प बनने के लिए नहीं बल्कि अवाम की खिदमत करने के लिए आए हैं।’

उन्होंने कुछ नाराजगी जाहिर करते हुए कहा, ‘अगर रामपुर का जिक्र होने पर आजम खां का नाम जहन में आता है तो दिल्ली का नाम लेने पर शाहजहां का नाम मन में क्यों नहीं आता?’

यह अलग बात है कि नदवी अपनी चुनावी रैलियों में आजम खां को अपना ‘बड़ा भाई’ बताते हुए कहते हैं कि जनता चुनाव में उन्हें जीत दिलाये ताकि आजम खां को जल्द से जल्द जेल से बाहर निकलवाया जाए।

आजम खां निर्विवाद रूप से रामपुर के सबसे प्रभावशाली नेता माने जाते हैं लेकिन इस बार सपा ने उनके किसी भी प्रतिनिधि को टिकट नहीं दिया।

खां के करीबी आसिम राजा ने पार्टी द्वारा मोहिबुल्लाह नदवी को टिकट दिए जाने के बावजूद खुद को सपा उम्मीदवार बताते हुए नामांकन दाखिल किया था लेकिन पर्चों की जांच में उनका नामांकन खारिज हो गया।

रामपुर के स्वार इलाके के रहने वाले मोहिबुल्लाह नदवी तुर्क बिरादरी से हैं। रामपुर में इस समुदाय के लगभग डेढ़ लाख मतदाता हैं। नदवी के मीडिया प्रभारी उस्मान सिद्दिकी का कहना है कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव जल्द ही रामपुर पहुंचकर जनता से नदवी के लिए वोट मांगेंगे।

रामपुर लोकसभा क्षेत्र में तकरीबन 17 लाख मतदाता है जिनमें से करीब 43 फीसदी मुस्लिम हैं। रामपुर सीट पर लोकसभा चुनाव के पहले चरण में आगामी 19 अप्रैल को मतदान होगा।

भाषा सलीम

मनीषा

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