फर्जी खबरों के प्रचार को रोकने में भी मददगार साबित हो सकता है एआई |

फर्जी खबरों के प्रचार को रोकने में भी मददगार साबित हो सकता है एआई

फर्जी खबरों के प्रचार को रोकने में भी मददगार साबित हो सकता है एआई

:   Modified Date:  May 30, 2024 / 05:09 PM IST, Published Date : May 30, 2024/5:09 pm IST

(ग्यूसेप्पे रिवा, कैथोलिक यूनिवर्सिटी ऑफ मिलान)

मिलान, 30 मई (360इंफो) मौजूदा समय में हम यह अनुभव कर सकते हैं कि कृत्रिम बुद्धिमता (एआई) की मदद से किस तरह से फर्जी खबरों और गलत सूचनाओं का प्रचार-प्रसार हो रहा है, लेकिन एआई का इस्तेमाल इस प्रचार-प्रसार से लड़ने में भी किया जा सकता है।

हालांकि, फर्जी खबरें कोई नयी बात नहीं है, लेकिन आज इसका प्रसार अभूतपूर्व तरीके से हो रहा है। गलत सूचना का नकारात्मक प्रभाव मनगढ़ंत खबरों से कहीं अधिक होता है।

इसमें अक्सर संदर्भ से हटकर इस्तेमाल की गई वास्तविक सामग्री या हेरफेर की गई सामग्री शामिल होती है।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) की व्यापकता ने प्रामाणिक समाचारों की पुष्टि करने के कार्य को जटिल बना दिया है, जिससे लोगों का पत्रकारों पर भरोसा कम हो रहा है।

वैश्विक संचार कंपनी एडेलमैन की ओर से ‘2024 ट्रस्ट बैरोमीटर’ नामक एक वैश्विक सर्वेक्षण किया गया, जिसमें मीडिया, सरकारों, गैर सरकारी संगठनों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों पर आम जनता के विश्वास को मापा गया। इस सर्वेक्षण में दुनिया के 28 देशों के 32 हजार से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया।

सर्वेक्षण में पाया गया कि दुनिया में पत्रकारिता सबसे कम भरोसेमंद पेशा है, जिसमें 64 प्रतिशत लोगों ने कहा कि पत्रकार जानबूझकर लोगों को ऐसी कहानियों से गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं, जिनके बारे में उन्हें पता है कि वे झूठी हैं, या वे ऐसी कहानियों को बहुत बढ़ा-चढ़ाकर बताते हैं।

अगर अविश्वास ही काफी नहीं था, तो यह भी व्यापक धारणा है कि चैटजीपीटी-4 या जेमिनी जैसे भाषा मॉडल-आधारित चैटबॉट पत्रकारों को अप्रचलित बना सकते हैं।

गलत सूचना संस्थानों में आम लोगों के विश्वास को खत्म करती है, सामाजिक विभाजन को बढ़ाती है, और निर्णय लेने की क्षमता को कमजोर करती है। लेकिन एआई खुद अपनी रचनाओं के लिए एक मारक हो सकता है।

एआई प्रणाली फर्जी खबरों को वर्गीकृत करने और उनका पता लगाने के लिए व्यापक लेकिन उपयोगकर्ता के अनुकूल स्पष्टीकरण प्रदान कर सकते हैं। एआई गलत सूचना का पता लगाने में महत्वपूर्ण है क्योंकि यह भाषाई बारीकियों और प्रासंगिक विवरणों का व्यवस्थित रूप से विश्लेषण करता है जिसे मध्यस्थता करने वाले मानवीय हस्तक्षेप अनदेखा कर सकते हैं।

मार्च 2024 में नॉर्वे विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एनटीएनयू) के एक शोध समूह ने एक उन्नत एआई एल्गोरिदम विकसित किया, जो तीन अलग-अलग डेटासेट में फर्जी खबरों की पहचान करने के लिए विभिन्न मशीन लर्निंग और डीप लर्निंग तकनीकों को एकीकृत करता है।

इसने अन्य मॉडलों को पीछे छोड़ दिया, समाचार लेखों को वर्गीकृत करने में 97 प्रतिशत से अधिक सटीकता हासिल की। इस प्रणाली की सफलता परिष्कृत विश्लेषण विधियों के संयोजन में निहित है जो गलत सूचना के संकेत देने वाले सूक्ष्म पैटर्न और भाषाई संकेतों का पता लगा सकती है।

व्याख्यात्मक एआई का उपयोग न केवल पहचान प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करता है, बल्कि मूल्यवान व्याख्यात्मक अंतर्दृष्टि भी प्रदान करता है।

प्रणाली अपने निष्कर्षों पर कैसे पहुंचती है, इस बारे में अंतर्दृष्टि प्रदान करके, उपयोगकर्ता सामग्री चेतावनियों के पीछे के तर्क को बेहतर ढंग से समझ सकते हैं। यह पारदर्शिता विश्वास बनाने में मदद करती है और पहचान विधियों को और अधिक परिष्कृत करने के अवसर प्रदान करती है। गलत सूचना के खिलाफ लड़ाई में, एआई निश्चित रूप से महत्वपूर्ण लाभ प्रदान करता है।

(360इंफो) रवि कांत रवि कांत मनीषा

मनीषा

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)