कराची, 21 मई (भाषा) एमनेस्टी इंटरनेशनल की प्रमुख डॉ एग्नेस कैलामार्ड ने कहा है कि पिछले साल नौ मई को पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद भड़की हिंसा के दौरान सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमले के आरोप में सैन्य अदालतों को 100 से ज्यादा लोगों पर मुकदमा नहीं चलाना चाहिए।
एमनेस्टी इंटरनेशनल की महासचिव कैलामार्ड ने सरकार से अपने अंतरराष्ट्रीय दायित्वों का पालन करने का आग्रह किया।
उन्होंने कहा कि मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा और नागरिक एवं राजनीतिक अधिकारों संबंधी अंतरराष्ट्रीय नियम साफ तौर पर कहता है कि असैन्य नागरिकों के खिलाफ सैन्य अदालतों में मुकदमा नहीं चलाया जाना चाहिए।
‘डॉन’ अखबार की खबर के मुताबिक, दक्षिण एशिया के पहले दौरे पर आईं एमनेस्टी प्रमुख ने कहा कि आम नागरिकों के खिलाफ सैन्य अदालतों में मुकदमा चलाना अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत ‘अस्वीकार्य’ है, लेकिन दुखद है कि पाकिस्तान के राजनीतिक इतिहास में यह होता आया है और यह कोई नयी बात नहीं है।
कैलामार्ड ने पारदर्शिता, उचित प्रक्रिया और न्यायिक स्वतंत्रता के सिद्धांतों पर जोर देते हुए पाकिस्तान से अपने अंतरराष्ट्रीय दायित्वों को बनाए रखने और निष्पक्ष सुनवाई का अधिकार सुनिश्चित करने वाली संवैधानिक गारंटी की रक्षा करने का आग्रह किया।
उन्होंने कहा कि सैन्य अदालतों का उपयोग संवैधानिकता को खतरे में डाल रहा है।
पाकिस्तान में सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर प्रतिबंध को लेकर कैलामार्ड ने कहा कि देश में अभिव्यक्ति की आजादी के कम होते स्थान को लेकर एमनेस्टी काफी चिंतित है।
उन्होंने प्रतिबंध को अंतरराष्ट्रीय कानून के खिलाफ बताया।
कैलामार्ड ने कहा कि हर चीज को निशाना बनाया जा रहा है, जिनमें अभिव्यक्ति के साधन और पत्रकार भी शामिल हैं।
पाकिस्तान ने फैसला किया है कि पिछले साल खान की गिरफ्तारी के बाद सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमलों के सिलसिले में 100 से ज्यादा असैन्य लोगों के खिलाफ मुकदमा चलाया जाएगा। इस घोषणा के बाद कैलामार्ड का यह बयान आया है।
भाषा नोमान अविनाश
अविनाश
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