रूस छोड़ने वाली कंपनियां जनता के दबाव के आगे झुक रही हैं, मैक्डोनल्ड्स की भी रवानगी |

रूस छोड़ने वाली कंपनियां जनता के दबाव के आगे झुक रही हैं, मैक्डोनल्ड्स की भी रवानगी

रूस छोड़ने वाली कंपनियां जनता के दबाव के आगे झुक रही हैं, मैक्डोनल्ड्स की भी रवानगी

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:26 PM IST, Published Date : May 19, 2022/2:07 pm IST

डिर्क मैटन : एसोसिएट डीन रिसर्च, सस्टेनेबिलिटी के प्रोफेसर, कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी में हेवलेट-पैकर्ड चेयर, शुलिच स्कूल ऑफ बिजनेस, यॉर्क यूनिवर्सिटी, कनाडा

टोरंटो, 19 मई (द कन्वरसेशन) इस सप्ताह, मैकडॉनल्ड्स ने रूस से अपने अंतिम निकास की घोषणा की, वह उन लगभग 1,000 पश्चिमी कंपनियों में से एक है, जिन्होंने रूस में आंशिक रूप से या पूरी तरह से परिचालन बंद कर दिया है। उन्होंने ऐसा न केवल प्रतिबंधों का पालन करने के लिए, बल्कि युद्ध की स्वैच्छिक प्रतिक्रिया के रूप में किया।

कुछ मायने में, यह कॉर्पोरेट की स्थापित सामाजिक जिम्मेदारी है – स्व-नियमन का एक रूप जिसमें कंपनियां व्यापक सामाजिक हित में ऐसे कदम उठाती हैं।

इस मामले में, कई कंपनियों ने सरकारों, निवेशकों, उपभोक्ताओं, प्रतिस्पर्धियों और आम जनता की तरफ से यूक्रेन का समर्थन करने के दबाव के जवाब में रूस के साथ संबंध तोड़ दिए। कुछ ने भारी आर्थिक बलिदान भी दिया। उदाहरण के लिए, मैकडॉनल्ड्स को 1.4 अरब अमरीकी डालर तक के नुकसान की उम्मीद है।

मैं पश्चिमी कोर्पोरेट के इस कदम को चुनौती देता हूं क्योंकि इसके पीछे दिए जाने वाले इसके तर्क संदिग्ध हैं। रूस से बाहर निकलने वाले व्यवसायों द्वारा दी गई सामाजिक भलाई की परिभाषा स्पष्ट नहीं है और इसकी आलोचनात्मक नजर से जांच की जानी चाहिए।

अनैतिक नैतिक तर्क

वे कंपनियाँ जो युद्ध में सीधे उपयोग की जाने वाली वस्तुएं और सेवाएं प्रदान करती हैं, जिसमें वित्तीय सेवाएँ भी शामिल हैं जो इसे धन देती हैं, उनकी इस संबंध में एक त्वरित जिम्मेदारी होती है। ऐसी कंपनियां रूस में अपना परिचालन बंद करें तो समझ में आता है।

हालांकि, यूनीक्लो स्वेटर, हैप्पी मील या रेनॉल्ट क्लियो के उत्पादन या उपभोग का युद्ध पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। कॉर्पोरेट निकास का एकमात्र प्रभाव रूसी आपूर्तिकर्ताओं, कर्मचारियों और समुदायों पर हो सकता है। पश्चिमी स्वामित्व वाली कंपनियों के रूसी हितधारकों के अधिकार और हित मायने नहीं रखते।

कुछ लोगों ने आज की स्थिति की तुलना रंगभेद के दौरान दक्षिण अफ्रीका के बहिष्कार से की है जब अमेरिकी और यूरोपीय कंपनियों को अपने दक्षिण अफ्रीकी विनिर्माण संयंत्रों और बिक्री अभियानों में रंगभेद विरोधी कानूनों को लागू करना पड़ा था।

उस समय की अवधि के दौरान दक्षिण अफ्रीका में कॉर्पोरेट निकास और बहिष्कार को कंपनियों को रंगभेद में सीधे शामिल होने से रोकने के लिए किया गया था। मैकडॉनल्ड्स बर्गर या लेगो खिलौने बेचने और यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बीच समान रूप से सीधा संबंध स्थापित करना बहुत कठिन है।

कंपनी की जिम्मेदारी

तो, कंपनियां अपनी सरकारों के कार्यों के लिए कितनी जिम्मेदार हैं? इसका उत्तर देने के लिए, हम चीन में उइगर अल्पसंख्यकों के नरसंहार को देख सकते हैं। कई विस्थापित उइगर वर्तमान में पश्चिमी कंपनियों के लिए जबरन मजदूरी के रूप में काम कर रहे हैं। वहां कॉर्पोरेट बहिष्कार का ऐसा कोई आह्वान नहीं किया गया है।

इस बात का स्पष्ट दोहरा मापदंड है कि किन युद्धों और अत्याचारों की व्यापक रूप से निंदा की जाती है और किन की नहीं। इस समय दुनिया भर में 20 युद्ध चल रहे हैं। उनमें से कौन कॉर्पोरेट बहिष्कार के योग्य है? यमन में युद्ध में सऊदी अरब की भूमिका, जिसके परिणामस्वरूप 2015 से कम से कम 230,000 मौतें हुई हैं, की कभी जांच नहीं की गई। कॉर्पोरेट जिम्मेदारी के ऐसे नैतिक कार्य मनमाने और संदिग्ध हैं।

लेकिन यूक्रेन पश्चिम के लिए अधिक प्रासंगिक है, जैसा कि मुख्यधारा के समाचार मीडिया ने दिखाया है, क्योंकि यूक्रेनियन ‘‘हमारे जैसे दिखते हैं,’’ उनके ‘‘भूरे बाल और नीली आंखों’’ के साथ जो ‘‘हमारी तरह प्रार्थना करते हैं’’ और ‘‘हमारी तरह कार चलाते हैं।’’ इस प्रकार के बाहरी दबाव के आधार पर रूस का बहिष्कार करना नस्लवाद को बढ़ावा देना है।

इस युद्ध में कौन सा पक्ष अच्छा है?

युद्ध अपने सभी रूपों में निंदनीय है। हालाँकि, कॉर्पोरेट जुड़ाव के लिए अंतिम प्रश्न युद्ध के कारणों की नैतिक स्थिति है। बुरे लोग कौन हैं? प्रतिबंधों की सजा का हकदार कौन है? एक ओर मुख्यधारा की आम सहमति यह प्रतीत होती है कि रूस यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता की अनदेखी करते हुए सोवियत साम्राज्य के पुनर्निर्माण का आक्रामक प्रयास कर रहा है।

दूसरी ओर, ऐसे कई तर्क हैं जो इसे चुनौती देते हैं। यूक्रेन को नाटो में शामिल होने से रोकने के लिए रूस ने आक्रमण शुरू किया। पिछले हफ्ते, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ने छोटे सोलोमन द्वीप समूह में सैन्य कार्रवाई की धमकी दी थी, अगर वह सरकार चीन को वहां सैन्य उपस्थिति की अनुमति देती है। अगर अमेरिका मानता है कि उसकी सीमाओं से 12,000 किलोमीटर दूर उसे खतरा है, तो हम कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि रूस अपने दरवाजे पर नाटो की उपस्थिति के लिए सहमत होगा?

राजनीतिक वैज्ञानिक जॉन मियरशाइमर ने रूसी चिंताओं के साथ सहानुभूति रखने के ऐतिहासिक कारणों के बारे में लिखा है – जिसमें 2008 में नाटो संघर्ष की जड़ों का पता लगाना शामिल है, जब जॉर्ज डब्लू़ बुश के प्रशासन ने यूक्रेन को इसका सदस्य बनाने के लिए जोर देना शुरू किया – जबकि अभी भी युद्ध की प्रारंभिक जिम्मेदारी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के कंधों पर है।

रूस पर प्रतिबंध लगाकर, कंपनियां इस युद्ध में नैतिक निर्णय लेती हैं: रूस बुरा है और सजा का हकदार है। मेरा तर्क है कि यह स्थिति कतई अस्पष्ट है और इस तरह की स्थिति की नैतिकता संदिग्ध है।

व्यवसाय से अधिक सामाजिक जिम्मेदारी और नैतिक आचरण की मांग करना पूरी तरह से वैध है। हमें इसकी और जरूरत है। लेकिन व्यवसायों को ऐसी जिम्मेदारियां लेने के लिए सार्वजनिक रूप से मजबूर करना, जिन्हें केवल सरकारों और लोकतांत्रिक प्रक्रिया द्वारा संबोधित किया जा सकता है, वहां पहुंचने का गलत तरीका है।

द कन्वरसेशन एकता एकता

एकता

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)