कोविड और फ्लू: इन सर्दियों में दोनों कितना बड़ा खतरा बन सकते हैं? |

कोविड और फ्लू: इन सर्दियों में दोनों कितना बड़ा खतरा बन सकते हैं?

कोविड और फ्लू: इन सर्दियों में दोनों कितना बड़ा खतरा बन सकते हैं?

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:45 PM IST, Published Date : October 16, 2021/1:18 pm IST

(पॉल हंटर, प्रोफेसर ऑफ मेडिसिन, यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट एंग्लिया)

नॉर्विच (ब्रिटेन), 16 अक्टूबर (द कन्वरसेशन) ब्रिटेन को छोड़कर ज्यादातर पश्चिमी देशों में कोरोना वायरस संक्रमण या तो कम है या घट रहा है लेकिन वैश्विक महामारी का खतरा पूरी तरह से दूर होने से पहले अभी लंबा रास्ता तय करना बाकी है। सर्दियों के इस मौसम में चिंता का सबसे बड़ा विषय है कोविड का प्रकोप पुन: शुरू होना और उसके साथ-साथ श्वसन तंत्र के अन्य रोगों खासकर इन्फ्लूएंजा का और मजबूती से हमला करना।

कोविड और इन्फ्लूएंजा के लिए प्रतिरक्षा तंत्र की प्रतिक्रिया कमोबेश समान होती है। हाल में हुआ संक्रमण या टीकाकरण आगे किसी संक्रमण के खिलाफ अच्छा बचाव करते हैं लेकिन यह बचाव धीरे-धीरे कमजोर पड़ने लगता है। हालांकि इनके बाद पुन: होने वाला संक्रमण या तो लक्षण रहित होता है या फिर बहुत ही मामूली होता है। लेकिन प्रतिरक्षा विकसित होने और फिर से संक्रमण होने के बीच का अंतराल यदि लंबा हो तो पुन: होने वाले संक्रमण के अधिक गंभीर होने की आशंका रहती है।

दरअसल चिंता की बात यह है कि कोविड को फैलने से रोकने के लिए 2020 की शुरुआत से उठाए गए कदमों जैसे कि लॉकडाउन, यात्रा प्रतिबंध और घर से काम करना आदि के कारण बीते 18 महीने के दौरान लोग फ्लू के संपर्क में ज्यादा नहीं आए। ऐसे में लोगों में इस रोग के खिलाफ जो प्राकृतिक प्रतिरोधक क्षमता होती है वह कम हो गई है।

इन हालात में जब फ्लू का प्रकोप शुरू होगा तो यह अधिकाधिक लोगों को प्रभावित करेगा और सामान्य परिस्थितियों के मुकाबले अब लोगों को गंभीर रूप से बीमार करेगा। ऐसा ही, श्वसन तंत्र को प्रभावित करने वाले अन्य वायरस भी करेंगे। शायद ऐसा हो भी रहा हो।

ब्रिटेन में अभी इन्फ्लूएंजा की दर कम है लेकिन यदि वायरस फैलने लगा तो परिस्थितियां तेजी से बदल सकती हैं। अच्छी बात यह है कि हमारे पास फ्लू रोधी सुरक्षित एवं प्रभावी टीके हैं जो संक्रमण का जोखिम तो कम करते ही हैं, गंभीर रोग से भी बचाते हैं। हालांकि फ्लू रोधी टीके, कोविड रोधी टीकों जितने प्रभावी नहीं हैं।

फ्लू के वायरस तेजी से बदलते हैं और उनके कई स्वरूपों का प्रकोप हो सकता है। ये स्वरूप हर साल बदल जाते हैं। वायरस का जो स्वरूप हावी रहने वाला है यदि वह टीके में शामिल नहीं है तो टीके का प्रभाव भी कम रहेगा। बीते 18 महीने में फ्लू के मामले इतने कम रहे हैं कि यह अनुमान लगाना कहीं अधिक मुश्किल होगा कि वायरस का कौन सा स्वरूप अधिक संक्रामक हो सकता है।

कोविड के साथ-साथ अन्य संक्रमण (बैक्टीरियल, फंगल या वायरल संक्रमण) होने का भी जोखिम है। अस्पताल में भर्ती कोविड मरीजों पर किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि उनमें से 19 फीसदी किसी अन्य संक्रमण से भी पीड़ित थे। ऐसे मरीज जिन्हें कोविड के अतिरिक्त भी कोई संक्रमण हो उनकी जान जाने का जोखिम अधिक रहता है।

जब कोरोना वायरस का प्रकोप शुरू ही हो रहा था तब इन्फ्लूएंजा भी फैल रहा था। ब्रिटेन के अध्ययनकर्ताओं ने दो तरह के मरीजों की तुलना की। पहले तो वे जो सिर्फ कोविड से पीड़ित थे और दूसरे वे जिन्हें कोविड के साथ-साथ इन्फ्लूएंजा भी था। दोनों तरह के संक्रमण से पीड़ित लोगों को गहन चिकित्सा इकाई में भर्ती करने की जरूरत और वेंटीलेशन सुविधा की जरूरत दो गुना अधिक रही तथा उनके मरने का खतरा भी अधिक रहा।

यह कहना तो संभव नहीं है कि ब्रिटेन में इस वर्ष इन्फ्लूएंजा का प्रकोप काफी अधिक होगा लेकिन अगर नहीं भी होता तो यह तो निश्चित है कि इसका प्रकोप जल्द ही होगा। यदि इन्फ्लूएंजा लौटता है तो यह कोविड से पहले के वर्षों के मुकाबले अब अधिक लोगों को प्रभावित करेगा और इसके कारण मरने वाले लोगों की संख्या भी अधिक होगी।

(द कन्वरसेशन)

मानसी प्रशांत

प्रशांत

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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