दुनिया में बन रहे हैं मुश्किल हालात, देश को इससे निकालने के लिए सुरक्षित हाथों का होना जरूरी: जयशंकर |

दुनिया में बन रहे हैं मुश्किल हालात, देश को इससे निकालने के लिए सुरक्षित हाथों का होना जरूरी: जयशंकर

दुनिया में बन रहे हैं मुश्किल हालात, देश को इससे निकालने के लिए सुरक्षित हाथों का होना जरूरी: जयशंकर

:   Modified Date:  May 20, 2024 / 10:44 PM IST, Published Date : May 20, 2024/10:44 pm IST

नयी दिल्ली, 20 मई (भाषा) यूक्रेन-रूस युद्ध और अन्य भूराजनीतिक तनाव की पृष्ठभूमि में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सोमवार को कहा कि मुश्किल हालात बन रहे हैं तथा स्थिति और भी बिगड़ेगी। उन्होंने कहा कि भारत को इस तरह के कठिन दौर से निकालने के लिए ‘सुरक्षित हाथों’ का रहना बहुत जरूरी है।

जयशंकर लोकसभा चुनाव के लिए मतदान से कुछ दिन पहले राष्ट्रीय राजधानी में दिल्ली तमिल एजुकेशन एसोसिएशन द्वारा संचालित स्कूल में आयोजित एक संवाद के दौरान बोल रहे थे।

इस कार्यक्रम में कई ऐसे युवा शामिल थे जो पहली बार मतदान करेंगे। जयशंकर ने उनसे अपने मताधिकार का प्रयोग करने का आग्रह किया और रेखांकित किया कि विकल्प का चयन करते समय यह जरूरी है कि ‘‘विश्व आपके दिमाग में होना चाहिए।’’

चुनाव प्रचार के दौरान कुछ राजनीतिक नेताओं द्वारा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) को लेकर इस्तेमाल किए जा रहे विमर्श को लेकर पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए विदेश मंत्री ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि लोग यह कह रहे हैं कि पीओके भारत का हिस्सा होगा, पीओके हमेशा से भारत का हिस्सा था।’

उन्होंने कहा, ‘‘क्या हुआ, पीओके किन कारणों से वर्तमान में पाकिस्तान के कब्जे में है, हम सभी जानते हैं। अब, हम पीओके में बहुत अधिक अशांति देख रहे हैं। हम केवल अनुमान लगा सकते हैं कि लोग पीओके में उत्तेजित क्यों हैं। एक कारण यह हो सकता है वे कश्मीर घाटी में प्रगति देख रहे हैं और कह रहे हैं कि उनका जीवन बेहतर हो रहा है, मैं क्यों पीछे रहूं – शायद यही कारण है।”

जयशंकर की टिप्पणी ऐसे समय आयी है जब पीओके में आटे की ऊंची कीमतों और बढ़े हुए बिजली बिल और करों के खिलाफ लोगों द्वारा प्रदर्शन किए जाने की खबरें आयी हैं।

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने हाल ही में बिहार के सीतामढ़ी लोकसभा क्षेत्र में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा था कि पीओके भारत का है और देश इसे ‘किसी भी कीमत पर’ वापस लेगा।

कार्यक्रम में मौजूद लोगों द्वारा प्रश्न पूछे जाने से पहले जयशंकर ने अपनी प्रारंभिक टिप्पणी में कहा कि आज दुनिया में हालात ‘बहुत कठिन’ दिख रहे हैं क्योंकि यूक्रेन में युद्ध चल रहा है, इजराइल-गाजा, इजराइल-ईरान के बीच मुद्दे हैं। उन्होंने कहा कि साथ ही भारत के उत्तर में चीन और पाकिस्तान के साथ सीमा मुद्दे हैं, सीमा पार आतंकवाद का मुद्दा है।

उन्होंने कहा कि एशिया में, दक्षिण चीन सागर में तनाव है और इस सबके परिणामस्वरूप, दुनिया की आर्थिक स्थिति ‘बहुत मुश्किल’ स्थिति में है।

जयशंकर ने कहा, ‘यह बहुत महत्वपूर्ण है कि जब हम भविष्य को देखते हैं, तो हम सोचते हैं कि भारत को ऐसे मुश्किल स्थिति से कैसे सुरक्षित निकाला जाए, हमारे चारों ओर मुश्किल हालात हैं। ये हालात और खराब होने वाले हैं लेकिन यह अत्यंत जरूरी है कि ….हमारे पास सुरक्षित हाथ हों, अच्छे, समझदार लोग हों जो हमें बहुत कठिन दौर से बाहर निकाल सकें।’’

पीओके पर दशकों से कश्मीर की स्थिति के संदर्भ में एक प्रश्न का उत्तर देते हुए उन्होंने कहा कि घाटी के लोगों को उन समस्याओं के लिए दोषी नहीं ठहराया जाना चाहिए जिनका उन्होंने सामना किया है।

उन्होंने कहा, ‘वहां और यहां के नेतृत्व का एक छोटा सा वर्ग है जिसने समस्या पैदा की… एक बार जब आप कश्मीर में सामान्य स्थिति लाते हैं, उन्हें पूरी तरह से भारत के साथ एकीकृत करते हैं, तो तत्काल क्या होता है… अर्थव्यवस्था में तेजी आई, पर्यटन में बढ़ोतरी हुई, लोग स्कूल जाने लगे, मेडिकल कॉलेज शुरू हुए, अंतरराष्ट्रीय उड़ानें शुरू हुईं।”

विदेश मंत्री ने दावा किया कि यह सब पहले भी हो सकता था, लेकिन ”लोगों का एक छोटा वर्ग इसे पिछड़ा रखना चाहता था” क्योंकि वे इससे ”फायदा उठा रहे थे” और राजनीतिक चीजों का प्रचार प्रसार कर रहे थे।

जयशंकर ने कहा, ‘जब सुशासन होता है तो क्या होता है, कश्मीर इसका अच्छा उदाहरण है।’

उनसे चाबहार बंदरगाह, पूर्वी लद्दाख में लंबे समय से जारी सैन्य गतिरोध के संदर्भ में भारत-चीन संबंधों और राष्ट्र निर्माण में युवाओं की भूमिका पर भी सवाल पूछे गए।

उन्होंने कहा, ‘हमें भारत और चीन के बीच भी एक संतुलन बनाना होगा। एक तरह से, यह एक बहुत ही गतिशील स्थिति है। एक गतिशील स्थिति में, आप संतुलन कैसे बनाते हैं? दुनिया भी गतिशील है… फिर भी हम कूटनीति में ऐसा करने की कोशिश कर रहे हैं जो भौतिकी में बहुत कठिन होती है – गतिशील ताकतों के बीच वास्तव में संतुलन कैसे बनाया जाए।”

जयशंकर ने कहा, ‘‘‘चीन के संबंध में हमारे साथ क्या हुआ, पिछले चार वर्षों में, जब हम कुछ मुद्दों पर सहमत हुए, तो उन्होंने, किसी भी कारण से, उन समझौतों का पालन नहीं करने का निर्णय लिया। इसलिए समस्या हुई। उसके कारण भारत में हमें वास्तविक नियंत्रण रेखा की रक्षा के लिए हजारों सैनिकों को सीमा पर भेजना पड़ा।’’

पूर्व में विदेश सचिव रह चुके जयशंकर पहले चीन में भारत के राजदूत रह चुके हैं।

जयशंकर ने कहा कि ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी और विदेश मंत्री हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियन की रुचि और पहल के कारण, ‘हम वास्तव में महत्वपूर्ण चाबहार बंदरगाह पर एक दीर्घकालिक समझौते को अंतिम रूप दे सके।’’

उन्होंने कहा, ‘हम ईरान के साथ एक समझौता करने के लिए लगभग 20 वर्षों से कोशिश कर रहे थे। हम एक अल्पकालिक समझौता कर सकते थे…उन दो व्यक्तियों-ईरान के राष्ट्रपति और ईरान के विदेश मंत्री की रुचि और उनकी पहल के कारण, हम वास्तव में एक दीर्घकालिक समझौते को अंतिम रूप दे सके जो बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि आप आज देखें, तो दुनिया की बड़ी चीजों में से एक यह है कि आप ‘कनेक्टिविटी कॉरिडोर’ कैसे बनाते हैं। दुर्भाग्य से कल दोनों की एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मृत्यु हो गई।’’

भाषा अमित नेत्रपाल

नेत्रपाल

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)