रईसी की मौत के बाद ईरान ने जून में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए पंजीकरण शुरू किया |

रईसी की मौत के बाद ईरान ने जून में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए पंजीकरण शुरू किया

रईसी की मौत के बाद ईरान ने जून में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए पंजीकरण शुरू किया

:   Modified Date:  May 30, 2024 / 05:33 PM IST, Published Date : May 30, 2024/5:33 pm IST

दुबई, 30 मई (एपी) ईरान ने 28 जून को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में भाग लेने के इच्छुक उम्मीदवारों के लिए बृहस्पतिवार को पांच दिवसीय पंजीकरण अभियान की शुरूआत की, ताकि दिवंगत इब्राहिम रईसी के उत्तराधिकारी का चुनाव किया जा सके।

गौरतलब है कि ईरान के राष्टपति रईसी इस महीने की शुरुआत में सात अन्य लोगों के साथ एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मारे गए थे।

यह चुनाव ऐसे समय में हो रहा है जब ईरान 19 मई की दुर्घटना के बाद के हालात से जूझ रहा है और तेहरान एवं अमेरिका के बीच तनाव बढ़ गया है। इसके साथ ही देश में 2022 में महसा अमिनी की मौत के विरोध में प्रदर्शन भी हो रहे हैं।

राष्ट्र के सभी मामलों पर सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई (85) अंतिम निर्णय करते हैं, हालांकि अतीत में अनेक राष्ट्रपतियों ने इस्लामी गणतंत्र ईरान को पश्चिम के साथ अधिकाधिक संपर्क या शत्रुता बढ़ाने की ओर प्रेरित किया है।

इस पांच दिवसीय अवधि में 40 से 75 वर्ष की आयु के कम से कम स्नातकोत्तर की डिग्री वाले लोग संभावित उम्मीदवारों के रूप में पंजीकरण कराएंगे। सभी उम्मीदवारों को अंततः ईरान की 12 सदस्यीय संरक्षक परिषद द्वारा अनुमोदित किया जाना चाहिए। खामेनेई की देखरेख में काम करने वाली इस परिषद में मौलवी और न्यायविद शामिल हैं। इस परिषद ने कभी किसी महिला को उम्मीदवार स्वीकार नहीं किया, न ही देश की शासन व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन की मांग करने वाले किसी व्यक्ति को।

ईरान के गृह मंत्री अहमद वहीदी ने पंजीकरण अवधि के शुरू होने की घोषणा की। देश की पुलिस का प्रभार संभालने वाला गृह मंत्रालय, बिना किसी ठोस अंतरराष्ट्रीय निगरानी के ईरान में चुनाव कराता है।

वहीदी ने कहा, “ये चुनाव भी संसदीय चुनावों की तरह पूरी सुरक्षा और पारदर्शिता के साथ, अच्छी प्रतिस्पर्धा और सभी प्रिय लोगों की व्यापक भागीदारी के साथ आयोजित किए जाएंगे।”

खामेनेई पर निर्भर रईसी ने 2021 के राष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल की, जब संरक्षक परिषद ने उन सभी उम्मीदवारों को अयोग्य घोषित कर दिया जिनके पास उन्हें चुनौती देने का अच्छा मौका था। उस वक्त ईरान के इतिहास में राष्ट्रपति चुनाव में सबसे कम मतदान हुआ था। इस वर्ष संसदीय चुनाव में व्यापक बहिष्कार के आह्वान के कारण मतदान प्रतिशत और भी कम रहा था।

भाषा प्रशांत रंजन

रंजन

 

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