सह-शिक्षा की तुलना में कन्या विद्यालयों में पढ़ने वाली लड़कियों का परीक्षाओं में प्रदर्शन बेहतर |

सह-शिक्षा की तुलना में कन्या विद्यालयों में पढ़ने वाली लड़कियों का परीक्षाओं में प्रदर्शन बेहतर

सह-शिक्षा की तुलना में कन्या विद्यालयों में पढ़ने वाली लड़कियों का परीक्षाओं में प्रदर्शन बेहतर

:   Modified Date:  May 24, 2024 / 05:18 PM IST, Published Date : May 24, 2024/5:18 pm IST

(क्लेयर चार्ल्स, डिकेन विश्वविद्यालय और लुसिंडा मैकनाइट, डीकिन विश्वविद्यालय)

विक्टोरिया, 24 मई (द कन्वरसेशन) ब्रिटेन में किए गए एक अध्ययन में यह पाया गया है कि सह-शिक्षा की तुलना में कन्या विद्यालयों में पढ़ने वाली लड़कियों का परीक्षाओं में प्रदर्शन थोड़ा बेहतर होता है।

यह पिछले अध्ययनों के विपरीत है जिनमें दावा किया गया है कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि छात्राएं सह शिक्षा में शिक्षा ग्रहण कर रहीं हैं या कन्या विद्यालयों में पढ़ती हैं।

यह अध्ययन क्या है?

यह अध्ययन ‘एफएफटी एजुकेशन डेटालैब’ द्वारा किया गया है। यह शिक्षा नीति और सांख्यिकी में विशेषज्ञता वाली एक स्वतंत्र शोध टीम है।

ब्रिटेन के ‘नेशनल प्यूपिल डेटाबेस’ का उपयोग करते हुए अध्ययन में 3,200 से अधिक स्कूलों में पढ़ने वालीं 5,80,000 से अधिक छात्राओं के प्रदर्शन को देखा गया। सभी स्कूल सरकार द्वारा वित्त पोषित थे और ये स्कूल या तो सह शिक्षा वाले थे या कन्या विद्यालय थे, जिनमें केवल लड़कियां पढ़ती हैं।

वर्ष के अंत में छात्राओं के परीक्षा परिणामों की जांच की गई और अध्ययन में स्कूलों और छात्राओं की परिस्थितियों में अंतर पर भी ध्यान केंद्रित किया गया, जैसे कि सामाजिक आर्थिक स्थिति या दूसरी भाषा के रूप में अंग्रेजी सीखना।

अध्ययन में क्या पाया गया?

अध्ययन में पाया गया कि जो लड़कियां कन्या विद्यालयों में पढ़ रही थीं, उन्होंने सह-शिक्षा स्कूलों में पढ़ने वाली छात्राओं की तुलना में अपने परीक्षा परिणामों में थोड़ा बेहतर प्रदर्शन किया।

हालांकि, लड़कों के मामले में देखें तो दोनों तरह के स्कूलों के छात्रों के प्रदर्शन में कोई फर्क नहीं पाया गया।

यह महत्वपूर्ण क्यों है?

ब्रिटेन के अध्ययन का यह निष्कर्ष महत्वपूर्ण है क्योंकि यह अन्य हालिया बड़े पैमाने के शोध के विपरीत निष्कर्ष दर्शाता है, जिसमें दोनों तरह की स्कूली शिक्षा की छात्राओं के परीक्षा नतीजों में कोई फर्क नहीं पाया गया है।

उदाहरण के लिए, आयरलैंड के विद्यार्थियों के 2022 के विश्लेषण में सह-शिक्षा और लैंगिक विशेष स्कूलों के बीच परीक्षा प्रदर्शन में कोई खास अंतर नहीं पाया गया।

इसी तरह, 2014 के दौरान 21 देशों में किए गए मेटा-विश्लेषण (कई अध्ययनों का अवलोकन) में दोनों तरह के स्कूलों के छात्रो के प्रदर्शन में कोई बड़ा अंतर नहीं पाया गया।

ऑस्ट्रेलिया में छिड़ी बहस

इस नये अध्ययन ने हाल के महीनों में ऑस्ट्रेलिया में इस बात को लेकर छिड़ी बहस को नया मोड़ दे दिया है कि क्या विशेष रूप से केवल लड़के या लड़कियों को पढ़ाने वाले स्कूल बेहतर हैं?

यह बहस तब से छिड़ी हुई है, जब से केवल लड़कों को पढ़ाने वाले स्कूलों ने अपने स्कूलों को सह-शिक्षा में तब्दील करने की घोषणा की है। हालांकि, इन स्कूलों में पढ़ाई कर चुके कुछ पूर्व छात्रों ने इस कदम से नाखुशी जताई है।

इस सब के बीच ऑस्ट्रेलियाई शोधकर्ताओं का एक समूह इस बात को लेकर भी अध्ययन कर रहा है कि क्या लड़कों का स्कूलों में अपनी महिला शिक्षकों और साथी छात्राओं के प्रति रुखा व्यवहार है।

वहीं, ब्रिटेन का अध्ययन इस धारणा को और मजबूत कर सकता है कि कन्या विद्यालयों में लड़कियों की स्थिति बेहतर होती है और वे परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन करती हैं।

(द कन्वरसेशन) शफीक माधव

माधव

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)