ग्लासगो जलवायु सम्मेलन में चार प्रमुख मुद्दों पर रहेगीं निगाहें |

ग्लासगो जलवायु सम्मेलन में चार प्रमुख मुद्दों पर रहेगीं निगाहें

ग्लासगो जलवायु सम्मेलन में चार प्रमुख मुद्दों पर रहेगीं निगाहें

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:51 PM IST, Published Date : October 27, 2021/2:31 pm IST

(रैशेल काइट, टफ्ट्स यूनिवर्सिटी)

मैसाच्यूसेट्स, 27 अक्टूबर (द कन्वरसेशन) स्कॉटलैंड के ग्लासगो शहर में इस महीने के अंत में संयुक्त राष्ट्र वैश्विक जलवायु सम्मेलन या कान्फ्रेंस ऑफ पार्टी 26 (सीओपी26) का आयोजन होने जा रहा है, जिसके लिये दुनियाभर के आमंत्रित नेता और पर्यावरण से जुड़े लोग तैयारियों में जुटे हुए हैं। सम्मलेन के दौरान दुनियाभर के नेता इस बात पर चर्चा करेंगे कि उनके देश जलवायु परिवर्तन को बढ़ावा देने वाले ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन कैसे कम करेंगे।

मैं संयुक्त राष्ट्र की पूर्व वरिष्ठ अधिकारी की हैसियत से कई साल से जलवायु वार्ताओं में शामिल रही हूं और ग्लासगो में 31 अक्टूबर से शुरू होने जा रहे सम्मेलन में हिस्सा लूंगी। इस बार सम्मेलन में जिन मुद्दों पर सबका ध्यान रहेगा, उनमें से चार प्रमुख मुद्दे इस प्रकार हैं:

1. प्रतिबद्धता

साल 2015 में पेरिस में हुए जलवायु सम्मेलन में, देशों ने ग्लोबल वार्मिंग को 2 डिग्री सेल्सियस (3.6 फ़ैरेनहाइट) से नीचे रखने के लिए काम करने पर सहमति व्यक्त की थी, जिसका लक्ष्य 1.5 सी (2.7 फ़ैरेनहाइट) है। यदि पेरिस में हुई सीओपी21 एक समझौता था, तो सीओपी26 उसकी समीक्षा का एक अवसर है।

बुरी खबर यह है कि कई देश कोविड-19 तथा दूसरी समस्याओं के बाद अब भी पटरी पर नहीं लौटे हैं। उन्हें इस वर्ष नयी कार्य योजनाएं प्रस्तुत करने की आवश्यकता थी – जिन्हें राष्ट्रीय निर्धारित योगदान या एनडीसी के रूप में जाना जाता है। ग्लासगो शिखर सम्मेलन से पहले प्रस्तुत सभी संशोधित योजनाओं के आधार पर संयुक्त राष्ट्र का नवीनतम आकलन इस सदी के अंत तक ग्लोबल वार्मिंग के 2.7 डिग्री सेल्सियस (4.86 एफ) तक पहुंचने का संकेत देता है, जो कि जलवायु परिवर्तन के खतरनाक स्तरों से भी कहीं ऊपर है।

ऐसे में सभी की निगाहें विश्व की अग्रणी अर्थव्यवस्थाओं का एक समूह है जी-20 पर टिकी हैं, जो कुल मिलाकर 80 प्रतिशत वैश्विक उत्सर्जन के लिये जिम्मेदार हैं। सीओपी26 शुरू होने से ठीक पहले, 30-31 अक्टूबर को रोम में उनका वार्षिक शिखर सम्मेलन होता है।

चीन अपने जलवायु लक्ष्यों को कैसे प्राप्त करेगा, इसका विवरण अब सामने आ रहा है, और दुनिया उन पर ध्यान दे रही है कि चीन 2030 तक उत्सर्जन में कमी लाने के अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिये किस तरह आगे बढ़ेगा। चीन के लक्ष्य में वर्तमान में सकल घरेलू उत्पाद के उत्सर्जन में प्रति यूनिट 65% कटौती शामिल है।

संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के बीच सहमति और फ्रांस की चतुर कूटनीति के चलते 2015 में पेरिस जलवायु समझौते को आकार मिला था। छह साल बाद आज के दौर की प्रतिद्वंद्विता में दोनों देशों का व्यवहार कैसा रहता है, यह देखने वाली बात होगी।

2. कार्बन बाजारों की भूमिका

पेरिस सम्मेलन से एक बचा हुआ कार्य कार्बन बाजार के लिए नियम निर्धारित करना है, विशेष रूप से यह नियम कि कैसे देश एक दूसरे के साथ या कोई देश किसी निजी कंपनी के साथ कार्बन क्रेडिट का व्यापार कर सकते हैं।

यूरोपीय संघ से लेकर चीन तक विनियमित कार्बन बाजार मौजूद हैं, और स्वैच्छिक बाजार आशावाद और चिंता दोनों को बढ़ावा दे रहे हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए नियमों की आवश्यकता है कि कार्बन बाजार वास्तव में उत्सर्जन को कम करें और विकासशील देशों को अपने संसाधनों की रक्षा के लिए राजस्व प्रदान करें। इसे ठीक से प्राप्त करके कार्बन बाजार नेट जीरो उत्सर्जन को तेजी से हासिल करने की ओर कदम बढ़ा सकते हैं।

जलवायु वित्त

सभी मुद्दों पर प्रगति का आधार जलवायु वित्त है।

विकासशील देशों को हरियाली बढ़ाने और जलवायु परिवर्तन के अनुकूल होने के लिए मदद की ज़रूरत है, और वे इस बात से निराश हैं कि इस मोर्च पर प्रगति बहुत धीमी है। 2009 में और फिर 2015 में, धनी देश 2020 तक विकासशील देशों को जलवायु वित्त के रूप में प्रति वर्ष 100 अरब डॉलर प्रदान करने के लिए सहमत हुए थे, लेकिन वे अभी तक उस लक्ष्य तक नहीं पहुंचे हैं।

सम्मलेन से एक सप्ताह के साथ, ब्रिटेन जलवायु वित्त योजना का खुलासा किया है, जिसके मुताबिक इस लक्ष्य को 2023 तक हासिल किया जा सकेगा। इस योजना को जर्मनी और कनाडा का समर्थन हासिल है।

नए संकल्प

सम्मेलन के दौरान सभी देश आमने सामने होंगे और वे वैश्विक कार्बन उत्सर्जन को शून्य तक कम करने और अधिक लचीलापन लाने के रास्ते के बारे में बात करेंगे। इस दौरान कई नए संकल्प लिये जाने की भी उम्मीद है। इनमें कार्बन उत्सर्जन मुक्त जहाजरानी और विमानन, कोयले के इस्तेमाल को समाप्त करना, मीथेन के इस्तेमाल को कम करना आदि कई संकल्प शामिल हैं। ऐसे में इन संकल्पों पर भी सभी की निगाहें रहेंगी।

(द कन्वरसेशन) जोहेब शाहिद

शाहिद

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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