कैंसर के टीकों के लिए बढ़ती उम्मीद |

कैंसर के टीकों के लिए बढ़ती उम्मीद

कैंसर के टीकों के लिए बढ़ती उम्मीद

:   Modified Date:  May 20, 2024 / 04:44 PM IST, Published Date : May 20, 2024/4:44 pm IST

(बिद्युत सरकार, शिव नादर यूनिवर्सिटी-ग्रेटर नोएडा)

ग्रेटर नोएडा, 20 मई (360इन्फो) विशेष प्रकार के त्वचा कैंसर और फेफड़ों के कैंसर के लिए तीन टीकों के नैदानिक ​​परीक्षणों (क्लिनिकल ट्रायल) का अंतिम चरण चल रहा है।

कैंसर का इलाज लंबे समय से एक सपना रहा है। वैश्विक बीमारियों के मामले में हृदय संबंधी बीमारियों के बाद कैंसर दूसरे स्थान पर है।

हालांकि अभी तक कोई जादुई गोली नहीं दिख रही है, लेकिन विशेष प्रकार के त्वचा और फेफड़ों के कैंसर के लिए तीन टीके हाल के महीनों में नैदानिक ​​परीक्षणों के अंतिम चरण में पहुंच गए हैं।

अगर सफलता मिली तो ये टीके अगले तीन से 11 वर्षों में रोगियों के लिए उपलब्ध हो जाएंगे। बीमारियों को रोकने वाले टीकों के विपरीत, इनका उद्देश्य उन्हें ठीक करना या बीमारी को फिर से होने से रोकना है।

हर व्यक्ति में कैंसर अलग-अलग होता है क्योंकि हर कैंसरग्रस्त ट्यूमर की कोशिकाओं में अनुवंशिक उत्परिवर्तन (म्यूटेशन) के अलग-अलग सेट होते हैं। इस बात को ध्यान में रखते हुए दो टीके प्रत्येक रोगी के लिए विशेष रूप से बनाए गए हैं। दवा कंपनियों के साथ काम करने वाले ऑन्कोलॉजिस्ट (वे चिकित्सक जो कैंसर का निदान और उपचार करते हैं) ने इन व्यक्तिगत नियोएंटीजन थेरेपी को विकसित किया है।

हालांकि, कैंसर में कोई बाहरी रोगजनक नहीं होता है। कैंसरग्रस्त ट्यूमर कोशिकाएं निरंतर उत्परिवर्तन से गुजरती हैं, जिनमें से कुछ उन्हें सामान्य कोशिकाओं की तुलना में बहुत तेज़ी से बढ़ने में मदद करती हैं, जबकि कुछ अन्य उन्हें शरीर की प्राकृतिक प्रतिरक्षा प्रणाली से बचने में मदद करती हैं। कैंसरग्रस्त कोशिकाओं में उत्परिवर्तित प्रोटीन को ‘नियोएंटीजन’ कहा जाता है।

फार्मा दिग्गज मॉडर्ना और मर्क द्वारा संयुक्त रूप से विकसित ये टीके अब तक किए गए परीक्षणों में मेलेनोमा (एक प्रकार का त्वचा कैंसर) और ट्यूमर को शल्य चिकित्सा द्वारा हटाने के बाद नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर दोनों को दोबारा होने से रोकने में अकेले इम्यूनोथेरेपी की तुलना में इम्यूनोथेरेपी के साथ संयोजन में काफी अधिक प्रभावी साबित हुए हैं।

दूसरे चरण के नैदानिक ​​परीक्षणों में इन आशाजनक परिणामों के बाद, अब तीसरे चरण के परीक्षणों में रोगियों के एक बड़े समूह पर टीकों का परीक्षण किया जा रहा है। मेलेनोमा के लिए 2030 तक और फेफड़ों के कैंसर के लिए 2035 तक अध्ययन पूरा होने की उम्मीद है।

मॉडर्ना-मर्क कैंसर वैक्सीन शायद बाजार में आने वाली पहली वैक्सीन नहीं है।

फ्रांसीसी कंपनी ओएसई इम्यूनोथेरेप्यूटिक्स ने पिछले सितंबर में एडवांस्ड नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर के लिए एक अलग दृष्टिकोण का उपयोग करके वैक्सीन के चीसरे चरण के नैदानिक ​​परीक्षणों से सकारात्मक परिणाम प्रकाशित किए।

इसकी वैक्सीन (टेडोपी) का इस साल के अंत में पुष्टिकरण परीक्षण शुरू होने वाला है जो विनियामक अनुमोदन से पहले अंतिम चरण है। यह 2027 तक उपलब्ध हो सकती है।

बायोएनटेक और जेनेंटेक द्वारा विकसित किए जा रहे अग्नाशय के कैंसर के लिए और ग्रिटस्टोन द्वारा कोलन कैंसर के लिए विकसित किए जा रहे टीकों का भी नैदानिक ​​परीक्षणों के शुरुआती चरणों में आशाजनक परिणाम दिखा है। मॉडर्ना और मर्क द्वारा विकसित किए जा रहे टीकों की तरह ये दोनों भी मैसेंजर आरएनए (एमआरएनए) पर आधारित व्यक्तिगत नियोएंटीजन थेरेपी हैं।

(360इन्फो)

शुभम मनीषा

मनीषा

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)