(अशर फ्लिन और लिजा व्हील्डन, मोनाश विश्वविद्यालय और अनास्तेशिया पॉवेल, आरएमआईटी मेलबर्न)
मेलबर्न, दो मई (360इंफो) कामकाजी व्यवस्था में प्रौद्योगिकी आधारित उत्पीड़न का खतरा है और इसने तत्काल नीतियों को अद्यतन करने और जागरूकता फैलाने की जरूरत को रेखांकित किया है। एक सर्वेक्षण में यह खुलासा हुआ है।
मोनाश विश्वविद्यालय द्वारा किए गए हालिया अध्ययन के मुताबिक प्रत्येक चार में एक ऑस्ट्रेलियाई ने स्वीकार किया है कि कार्यस्थल पर उन्हें यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है।
ऑस्ट्रेलिया के राष्ट्रीय महिला सुरक्षा अनुसंधान संगठन (एएनआरओडब्ल्यूएस) द्वारा वित्त पोषित अध्ययन में 18 से 65 वर्ष की आयु के 3000 से अधिक ऑस्ट्रेलियाई प्रतिभागी शामिल थे। अध्ययन में खुलासा हुआ कि सात में से एक कर्मचारी कार्यस्थल पर प्रौद्योगिकी-आधारित यौन उत्पीड़न में संलिप्त था जबकि पांच में से एक ने कार्यस्थल पर व्यक्तिगत रूप से यौन उत्पीड़न में संलिप्त होने की बात स्वीकार की।
यह केवल मजाक और हानिरहित छेड़खानी नहीं है, इस व्यवहार के पीछे की मंशा अक्सर अधिक भयावह होती हैं। अध्ययन पारंपरिक मान्यताओं को चुनौती देता है कि उत्पीड़न अक्सर पीड़ित को नियंत्रित करने, अपमानित करने या यहां तक कि डराने की मंशा से प्रेरित होता है।
अध्ययन में शामिल जिन प्रतिभागियों ने कार्यस्थल पर प्रौद्योगिकी-आधारित यौन उत्पीड़न की बात स्वीकार की, उन्होंने कहा कि उन्होंने दूसरों की ‘‘भावनाओं को ठेस पहुंचाने’ या ‘परेशान’ करने के लिए ऐसा किया। यह चंचल व्यवहार की तुलना में बदमाशी से अधिक मेल खाता है।
यह संकेत देता है कि कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की रोकथाम, शिक्षा और प्रतिक्रिया के लिए जिसमें तकनीक-आधारित उत्पीड़न भी शामिल है ऐसी समस्याग्रस्त समझ और विचारों को ध्यान में रखना होगा।
अध्ययन में शामिल लोगों ने प्रौद्योगिकी-आधारित कार्यस्थल यौन उत्पीड़न में संलिप्त होने की बात स्वीकार की, उनका रवैया लैंगिक-भेदभावपूर्ण होने की अधिक आशंका थी। उदाहरण के लिए, वे इस बात से सहमत थे कि ‘महिलाएं अक्सर केवल चोट पहुंचाने के लिए पुरुषों के साथ फ़्लर्ट करती हैं’, और यौन उत्पीड़न के मिथकों पर विश्वास करती हैं जैसे कि ‘‘यह विश्वास करना कि महिलाएं कार्यस्थल पर खुद को आकर्षित दिखाना पसंद करती हैं।’’
अध्ययन ने कार्यस्थल पर प्रौद्योगिकी-आधारित यौन उत्पीड़न बढ़ने की चिंताजनक प्रवृत्ति पर भी प्रकाश डाला।
कार्यालय से दूर बैठकर काम करना आम बात हो गई है ऐसे में अनुचित व्यवहार की भी नयी आशंकाएं पैदा हुई हैं। अनुपयुक्त व्हाट्सएप समूह, यौन विचारोत्तेजक संदेश और व्यक्तिगत और व्यावसायिक संचार के बीच धुंधली रेखाएं एक बढ़ता खतरा बन रही हैं।
कोविड-19 महामारी ने इस बदलाव को गति दी और लगभग दो-तिहाई लोगों ने प्रौद्योगिकी-आधारित यौन उत्पीड़न में शामिल होने की बात स्वीकार की। इस तरह के उत्पीड़न की रिपोर्टिंग (1 मार्च, 2020 के बाद)घर से काम करने के बाद शुरू हुई ।
अध्ययन में शामिल चार प्रतिभागियों में से एक अन्य ने कहा कि सबसे हालिया घटना ‘निश्चित रूप से’ या ‘संभवतः’ उस समय हुई जब वे घर से काम कर रहे थे। इससे पता चलता है कि कार्यस्थलों को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि यौन उत्पीड़न से संबंधित नीतियां घर से काम करने के दौरान भी प्रभावी हों।
(360इंफो डॉट ओआरजी)
धीरज नरेश
नरेश
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