लॉकडाउन में दी जा रही ढील के बीच डिमेंशिया के पीड़ित व्यक्ति की कैसे मदद की जाए |

लॉकडाउन में दी जा रही ढील के बीच डिमेंशिया के पीड़ित व्यक्ति की कैसे मदद की जाए

लॉकडाउन में दी जा रही ढील के बीच डिमेंशिया के पीड़ित व्यक्ति की कैसे मदद की जाए

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:57 PM IST, Published Date : October 25, 2021/1:36 am IST

ली-फे लो, सिडनी विश्वविद्यालय

How to help a dementia victim : सिडनी (ऑस्ट्रेलिया), 25 अक्टूबर (द कन्वरसेशन) कोरोना वायरस वैश्विक महामारी को काबू करने के लिए कुछ राज्यों में महीनों तक लागू रहे लॉकडाउन के कारण नर्सिंग होम में आगंतुकों पर कड़ा प्रतिबंध रहा, लेकिन अब जब लॉकडाउन में ढील दी जा रही है और यदि आपका टीकाकरण हो चुका है, तो आप अपने मित्रों या परिजन से मिलने को आतुर होंगे और इसकी योजना बना रहे होंगे।

यदि आपके प्रियजन डिमेंशिया से पीड़ित हैं, तो आप इस बात को लेकर चिंतित होंगे कि क्या लॉकडाउन में उनकी स्थिति गंभीर तो नहीं हुई या उन्हें याद भी है कि आप कौन हैं। डिमेंशिया यानी मनोभ्रंश ऐसी बीमारी है, जिससे पीड़ित व्यक्ति की याददाश्त भी कमजोर हो जाती है और वे अपने दैनिक कार्य भी ठीक से नहीं कर पाते।

लॉकडाउन के बाद ऐसे मरीजों से पहली बार मिलते समय क्या करना चाहिए और आप अपने प्रियजन की मदद कैसे कर सकते है?

मरीजों की स्थिति खराब होना

लॉकडाउन के कारण खासकर नर्सिंग होम में रह रहे डिमेंशिया से पीड़ित मरीजों की स्थिति और खराब हो सकती है। वर्ष 2020 में लॉकडाउन संबंधी अनुसंधान से पता चला कि डिमेंशिया से पीड़ित लोगों को सोचने और समस्याओं का समाधान करने में अधिक दिक्कत हुई। उनका व्यवहार एवं मनोदशा और खराब हो गई। कुछ अध्ययनों में पता चला है कि लोग घर में चीजों को करने या अपनी देखभाल करने में कम सक्षम थे।

स्वयं को मानसिक, शारीरिक और सामाजिक रूप से सक्रिय रखने से डिमेंशिया से पीड़ित मरीजों को अपने दिमाग और सोचने की शक्ति को बनाए रखने में मदद मिल सकती है, लेकिन लॉकडाउन के दौरान डिमेंशिया से पीड़ित मरीज ऐसा नहीं कर पाए। लॉकडाउन के दौरान नर्सिंग होम में रह रहे मरीजों की सोचने की शक्ति पर बहुत खराब असर पड़ा। ऐसे मरीजों को यह समझ नहीं आया कि वे नर्सिंग होम में स्वतंत्रता से घूम क्यों नहीं सकते और उनके प्रियजन ने उनके पास आना बंद क्यों कर दिया है। इसके कारण गुस्सा बढ़ने समेत उनके व्यवहार में बदलाव आया।

लॉकडाउन शुरू होने के बाद से मरीजों को दी जाने वाली मनःप्रभावी दवाओं की खुराक बढ़ाई गई। नर्सिंग होम में इन दवाओं का इस्तेमाल गुस्से जैसे व्यवहार के प्रबंधन के लिए किया जाता है।

पहली मुलाकात मुश्किल हो सकती है

कुछ परिवार डिमेंशिया के मरीज से कई महीनों के बाद पहली बार मिलने को लेकर चिंतित हो सकते हैं। उन्हें इस बात की चिंता हो सकती है कि उनके प्रियजन की स्थिति और खराब न हो गई हो। उन्हें इस बात का भय हो सकता है कि वे उन्हें नहीं पहचानेंगे। भले ही भावनात्मक रूप से यह मुलाकात मुश्किल हो सकती है, इससे उनके दिमाग को सक्रिय करने में मदद मिल सकती है।

यदि आपके प्रियजन आपको पहचान नहीं पाए, तो इस प्रकार अपना परिचय कराइए, ‘‘नमस्ते पिता जी, मेरा नाम अली है।’’ इसके बाद उनकी प्रतिक्रिया देखिए। यदि उन्हें आपसे घुलने-मिलने में समय लगे (यदि आप निकटवर्ती हैं, तो आपके लिए यह अनुभव दु:खद होगा), तो आप वहां मौजूद किसी अन्य से बात कीजिए। शुरुआत में सक्रियता से बातचीत में भाग नहीं लेने के बावजूद मरीज को आपका साथ अच्छा लग सकता है। इसके बाद उनसे किसी बात पर उनकी राय पूछकर उन्हें बातचीत में शामिल करने की कोशिश कीजिए। जैसे कि उनसे पूछिए, ‘‘कुत्ता कैसा है?’’ या ‘‘मैं नाई के पास जाने के बारे में सोच रहा हूं, क्या आप भी ऐसा सोच रहे हैं?’’

उनकी रुचि के अनुसार उनके साथ किसी गतिविधि में हिस्सा लीजिए। यदि बहुत शोर है, तो उनसे बात करने के लिए किसी शांत स्थान पर जाइए। उन्हें बताइए कि आप उनसे मिलने दोबारा आएंगे। लंबे समय तक दूर रहने के कारण आपके जाने का समय होने पर वे काफी भावुक हो सकते हैं या हो सकता है कि वे आपको जाने ही नहीं दें।

How to help a dementia victim  : उन्हें बताइए कि आप दोबारा कब आएंगे। आप कैलेंडर या कार्ड पर यह लिखकर दे सकते हैं। आप नर्सिंग होम के कर्मियों को भी यह बता सकते हैं, ताकि वे उन्हें इस बारे में याद दिलाते रहें। आप अपनी मुलाकात की कोई तस्वीर या फूलों के साथ कोई संदेश भी छोड़ सकते हैं।

यदि आपको स्थिति खराब प्रतीत होती है

यदि लॉकडाउन के दौरान किसी मरीज में बीमारी के शुरुआती लक्ष्य दिखाई देते हैं या आपको अपने प्रियजन की स्थिति खराब प्रतीत होती है, तो उनसे सोच-समझकर बात करनी चाहिए। कई मरीज रक्षात्मक हो सकते हैं या अपने व्यवहार में आए बदलाव के लिए ‘‘बढ़ती उम्र’’ को कारण बता सकते है और डिमेंशिया से पीड़ित होने को लेकर चिंतित हो सकते हैं। उन्हें चिकित्सक के पास ले जाने के लिए आपको उनसे इस बार बात करने की आवश्यकता होगी।

दीर्घकाल में पुनर्वास केंद्र भेजने पर विचार करें

पुनर्वास डिमेंशिया से पीड़ित लोगों की मदद करता है। यह देखना होगा कि आपके प्रियजन को किन सहायता सेवाओं की आवश्यकता हो सकती है।

द कन्वरसेशन सिम्मी शाहिद

शाहिद

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)