संगीत और श्रद्धांजलि के साथ लंदन में मनाया गया भारत-बांग्लादेश ‘मैत्री दिवस’ |

संगीत और श्रद्धांजलि के साथ लंदन में मनाया गया भारत-बांग्लादेश ‘मैत्री दिवस’

संगीत और श्रद्धांजलि के साथ लंदन में मनाया गया भारत-बांग्लादेश ‘मैत्री दिवस’

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:09 PM IST, Published Date : December 7, 2021/8:30 pm IST

(अदिति खन्ना)

लंदन, सात दिसंबर (भाषा) कूटनीतिक संबंधों के 50 साल पूरा होने को ‘मैत्री दिवस’ के तौर पर मनाने के लिये यहां भारत और बांग्लादेश के उच्चायोग ने एक साथ मिलकर भव्य आयोजन किया।

सोमवार शाम को विशेष कार्यक्रम में दोनों देशों के वरिष्ठ नेता और प्रवासी सदस्य एक साथ शामिल हुए और इसमें मुक्ति संग्राम के शहीदों को श्रद्धांजलि के साथ ही लोकप्रिय बांग्लादेशी गायिका रूना लैला ने विशेष संगीत प्रस्तुति भी दी।

भारत 6 दिसंबर 1971 को उन कुछ शुरुआती देशों में शामिल हुआ जिन्होंने एक संप्रभु राष्ट्र के तौर पर बांग्लादेश को कूटनीतिक मान्यता दी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मार्च में हुई बांग्लादेश की आधिकारिक यात्रा के दौरान दोनों देशों ने इस बात पर सहमति व्यक्त की थी कि वे छह दिसंबर को संयुक्त रूप से ‘मैत्री दिवस’ के तौर पर मनाएंगे।

ब्रिटेन में भारत की उच्चायुक्त गायत्री इस्सर कुमार ने भारत-बांग्लादेश संबंधों के इतिहास का जिक्र करते हुए कहा, “सम्मान से बंगबंधु के तौर पर चर्चित शेख मुजीबुर रहमान ने अपने लोगों के लिए स्वायत्तता की मांग की और फिर एक शानदार जीत के साथ संपूर्ण स्वतंत्रता की मांग की। उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और भारत में अकथनीय अत्याचारों को लेकर सार्वजनिक आक्रोश था।”

उन्होंने कहा, “भारतीय बलों ने कंधे से कंधा मिलाकर बंगबंधु की मुक्ति वाहिनी का समर्थन किया। और इसलिये यह बिल्कुल उपयुक्त है कि हम उन शहीदों, उन नायकों को याद करें… आज, भारत और बांग्लादेश की विकास साझेदारी किसी भी देश के साथ भारत की सबसे व्यापक साझेदारी में से एक है।”

ब्रिटेन में बांग्लादेश की उच्चायुक्त सइदा मुना तस्नीम ने 1971 के मुक्ति संग्राम के शहीदों और बंगबंधु को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए भारत सरकार और उसके लोगों द्वारा बांग्लादेश को दिए गए अमूल्य समर्थन की सराहना की।

उन्होंने कहा, “हमारे लोगों और हमारी धरती के बीच मूल्य आधारित दोस्ती, 54 साझी नदियां, प्यार, स्नेह व साझा भावनाएं हमारे दोनों राष्ट्रों को जोड़ती हैं और दोनों देशों के राष्ट्र पिता महात्मा गांधी व बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान के शांति, अहिंसा और मानवता के संदेश आने वाले दशकों में बांग्लादेश-भारत मैत्री को और भी नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे।”

सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के अलावा, विशेष कार्यक्रम में बांग्लादेश-भारत के ऐतिहासिक संबंधों और 1971 के मुक्ति संग्राम पर एक वृत्तचित्र भी दिखाया गया था।

भाषा

प्रशांत पवनेश

पवनेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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