ब्रिटेन के स्कूल में प्रार्थना पर प्रतिबंध से संबंधित कानूनी मामले में भारतीय मूल की प्रधानाचार्या को मिली जीत |

ब्रिटेन के स्कूल में प्रार्थना पर प्रतिबंध से संबंधित कानूनी मामले में भारतीय मूल की प्रधानाचार्या को मिली जीत

ब्रिटेन के स्कूल में प्रार्थना पर प्रतिबंध से संबंधित कानूनी मामले में भारतीय मूल की प्रधानाचार्या को मिली जीत

:   Modified Date:  April 16, 2024 / 09:36 PM IST, Published Date : April 16, 2024/9:36 pm IST

(अदिति खन्ना)

लंदन, 16 अप्रैल (भाषा) अक्सर “ब्रिटेन की सबसे सख्त प्रधानाध्यापिका” बताई जाने वाली भारतीय मूल की एक स्कूल प्रधानाचार्या ने मंगलवार को ब्रिटेन के उच्च न्यायालय के उस फैसले का स्वागत किया जिसमें उनके द्वारा प्रार्थना पर लगाए गए प्रतिबंध को बरकरार रखा गया।

प्रार्थना को भेदभावपूर्ण बताते हुए एक मुस्लिम छात्र ने इसे कानूनी रूप से चुनौती देने की मांग की थी। उसके बाद प्रधानाचार्या ने प्रार्थना पर रोक लगा दी थी।

भारतीय-गुयाना मूल की कैथरीन बीरबलसिंह ने अदालत को बताया था कि उत्तरी लंदन के वेम्बली में लड़कों और लड़कियों के लिए एक “धर्मनिरपेक्ष” माध्यमिक विद्यालय- मिशेला स्कूल ने “समावेशी माहौल” को बढ़ावा देने के अपने लोकाचार के अनुरूप धार्मिक प्रार्थनाओं की अनुमति नहीं दी गई।

स्कूल में आधे छात्र मुस्लिम हैं और बड़ी संख्या में सिख, हिंदू और ईसाई छात्र भी हैं।

बीरबलसिंह ने अदालत को बताया, “जैसा कि शासी निकाय को ज्ञात है, स्कूल विभिन्न कारणों से विद्यार्थियों के उपयोग के लिए प्रार्थना कक्ष उपलब्ध नहीं कराता है। इन कारणों में यह शामिल है कि प्रार्थना कक्ष विद्यार्थियों के बीच विभाजन को बढ़ावा देगा, जो स्कूल के लोकाचार के विपरीत है, विद्यार्थियों की निगरानी के लिए उपलब्ध स्थान और उपलब्ध कर्मचारियों की कमी है…।”

उन्होंने कहा, “प्रार्थना के लिए अनुमति के परिणामस्वरूप अस्वीकार्य अलगाव या विभाजन हो रहा था जो स्कूल के पूरे लोकाचार के विपरीत है। डराने वाला माहौल बन रहा था। हमारी सख्त अनुशासनात्मक नीतियों, जिन पर स्कूल के लोकाचार और महान सफलता आधारित हैं, के कमजोर होने का खतरा था।”

न्यायमूर्ति थॉमस लिंडेन ने जनवरी में एक सुनवाई के बाद 80 पन्नों के अपने फैसले में स्कूल के पक्ष में फैसला सुनाया।

फैसले के बाद एक बयान में, बीरबलसिंह ने कहा कि यह “सभी स्कूलों की जीत” और “मजबूत लेकिन सम्मानजनक धर्मनिरपेक्षता” के सिद्धांतों की जीत है, जिस पर उन्होंने स्कूल का संचालन किया है। इस स्कूल की स्थापना 2014 में हुई थी।

भाषा प्रशांत अविनाश

अविनाश

 

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