मेरा लक्ष्य परिवार को नहीं, बल्कि संकट ग्रस्त श्रीलंका को बचाना है: रानिल विक्रमसिंघे |

मेरा लक्ष्य परिवार को नहीं, बल्कि संकट ग्रस्त श्रीलंका को बचाना है: रानिल विक्रमसिंघे

मेरा लक्ष्य परिवार को नहीं, बल्कि संकट ग्रस्त श्रीलंका को बचाना है: रानिल विक्रमसिंघे

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:45 PM IST, Published Date : May 16, 2022/9:13 pm IST

कोलंबो, 16 मई (भाषा) श्रीलंका के नवनियुक्त प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने सोमवार को अगले दो महीने सबसे कठिन होने की चेतावनी देते हुए कहा कि उनका लक्ष्य किसी व्यक्ति, परिवार या समूह को नहीं बल्कि संकटग्रस्त देश को बचाना है। उनका इशारा राजपक्षे परिवार एवं उसके पूर्व प्रभावशाली नेता महिंदा राजपक्षे की ओर था।

पिछले सप्ताह प्रधानमंत्री बनने के बाद टेलीविजन पर प्रसारित राष्ट्र के नाम अपने अपने संबोधन में यूनाईटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) के नेता विक्रमसिंघे (73) ने कहा कि श्रीलंका की समुद्री सीमा में मौजूद पेट्रोल, कच्चे तेल, भट्ठी तेल की खेपों का भुगतान करने के लिए खुले बाजार से अमेरिकी डॉलर जुटाये जायेंगे।

विक्रमसिंघ को बृहस्पतिवार को श्रीलंका का 26 वां प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया था क्योंकि देश सोमवार से ही बिना सरकार के था। तब प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों पर उनके समर्थकों के हमले के बाद हिंसा भड़क जाने के उपरांत अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।

विक्रमसिंघे ने कहा, ‘‘मैं खतरनाक चुनौती ले रहा हूं ….मैंने नुकीले कील वाले जूते पहन रखे हैं , जिन्हें नहीं हटाया जा सकता है….मैं अपने देश की खातिर यह चुनौती स्वीकार कर रहा हू। मेरा लक्ष्य एवं समर्पण किसी व्यक्ति, परिवार या पार्टी को बचाना नहीं है । मेरा उद्देश्य इस देश के सभी लोगों एवं अपनी भावी पीढ़ी के भविष्य को बचाना है।’’

उन्होंने चेतावनी दी कि अगले दो महीने इस वर्तमान आर्थिक संकट में सबसे मुश्किल भरे होंगे। उन्होंने राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा, ‘‘ अगले एक-दो महीने हमारे जीवन में सबसे कठिन होंगे। हम कुछ कुर्बानियां देने एवं इस काल की चुनौतियों का सामना करने के लिए अपने आप को तैयार करना चाहिए।’’

विक्रमसिंघे ने कहा कि फिलहाल श्रीलंका की अर्थव्यवस्था बहुत जोखिम पूर्ण स्थिति में है और देश को जरूरी सामानों के लिए लगी कतारों में कमी लाने के लिए अगल दो-चार दिनों में 7.5 करोड़ डॉलर हासिल करना होगा।

उन्होंने कहा, ‘‘ फिलहाल हमारे पास बस एक दिन के लिए पेट्रोल का भंडार है। ’’ उन्होंने कहा कि भारतीय ऋण सुविधा के कारण डीजल की कमी से निपट लिया जाएगा।

उन्होंने कहा, ‘‘ कल पहुंचे डीजल के खेप के कारण डीजल की कमी कुछ हद तक हल हेा गयी है। भारतीय ऋण सुविधा से डीजल के दो और खेप 18 मई और एक जून तक पहुंचने वाले हैं। इसके आलवा, पेट्रोल के दो खेपों के 18 एवं 29 मई को आने की संभावना है।’’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘ अगले 40 दिनों के लिए में कच्चे तेल एवं भट्ठी तेल श्रीलंका की समुद्री सीमा में खड़े कर लिये गये हैं। हम इन खेपों का भुगतान करने के लिए खुले बाजार से डॉलर जुटाने में लगे हैं। ’’

उन्होंने कहा कि श्रीलंक में बिजली का एक चौथाई हिस्सा तेल से पैदा होती है इसलिए प्रतिदिन बिजली कटौती 15 घंटे तक होगी । उन्होंने कहा, ‘‘ हालांकि हमने इस संकट को टालने के लिए धन पहले ही जुटा लिया है। ’’

विक्रमसिंघे ने कहा कि पूरी बैंकिंग प्रणाली डॉलर की कमी से जूझ रही है। उन्होंने कहा कि अन्य गंभीर चिंता दवाइयों की कमी है।

उन्होंने कहा, ‘‘ हृदय संबंधी दवा समेत कई दवाइयों एवं सर्जिकल उपकरण की भारी कमी है। दवाओं, चिकित्सा आपूर्ति एवं मरीजों के लिए भोजन के वास्ते चार महीनों के लिए भुगतान नहीं किये गये हैं। उनके प्रति भुगतान राशि 34 अरब रूपये (श्रीलंकाई) है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ अभी हमें और मुश्किल स्थिति का सामना करना होगा। संभावना है कि महंगाई और बढे।’’

उन्होंने कहा कि 2022 के विकास बजट के स्थान पर राहत बजट पेश किया जाएगा। उन्होंने कहा कि वह इन दिनों बहुत घाटे में चल रही श्रीलंका एयरलाइंस का निजीकरण का प्रस्ताव रखेंगे।

स्थानीय मीडिया की खबर है कि श्रीलंका एयरलाइंस को 2021 में ही 45 अरब रूपये का नुकसान हुआ। वर्ष 2022 में 31 मार्च तक उसे कुल 372 अरब रूपये का घाटा हुआ।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘ यदि हम श्रीलंका एयरलाइंस का निजीकरण करते हैं तो भी हमें घाटा उठाना पड़ेगा। ये घाटा उन निर्दोष लोगों को उठाना होगा जिन्होंने कभी विमान में कदम नहीं रखा। ’’

श्रीलंका 1948 में मिली आजादी के बाद से सबसे खराब आर्थिक संकट से गुजर रहा है।विदेशी मुद्रा भंडार की भारी कमी से ईंधन, रसोई गैस एवं अन्य जरूरी चीजों के लिए लंबी लंबी कतारें लग गयी हैं तथा भारी बिजली कटौती एवं खाने-पीने के बढ़ते दामों ने लोगों की दुश्वारियां बढ़ा दी हैं।

आर्थिक संकट से श्रीलंका में राजनीतिक संकट पैदा हो गया और प्रभावशाली राजपक्षे की इस्तीफे की मांग होने लगी। राष्ट्रपति गोटबाया ने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया लेकिन उन्होंने पिछले सप्ताह नये प्रधानमंत्री एवं युवा मंत्रिमंडल को नियुक्त किया। नयी सरकार राष्ट्रपति के अधिकारों में कटौती के लिए अहम संवैधानिक सुधार पेश करेगी।

भाषा राजकुमार उमा

उमा

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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