म्यांमा: प्रतिरोधी समूह की स्थिति मजबूत हो रही पर आम नागरिक भी मारे जा रहे |

म्यांमा: प्रतिरोधी समूह की स्थिति मजबूत हो रही पर आम नागरिक भी मारे जा रहे

म्यांमा: प्रतिरोधी समूह की स्थिति मजबूत हो रही पर आम नागरिक भी मारे जा रहे

:   Modified Date:  May 9, 2024 / 02:44 PM IST, Published Date : May 9, 2024/2:44 pm IST

बैंकॉक, नौ मई (एपी) म्यांमा की सैन्य सरकार के खिलाफ छह माह से विरोध जारी है जिससे प्रतिरोधी समूह मजबूत स्थिति में आ गए हैं, लेकिन सेना की बलपूर्वक कार्रवाई भी थमने का नाम नहीं ले रही है जिसके चलते आम नागरिकों की मौत की संख्या भी बढ़ रही है।

म्यांमा के जातीय अल्पसंख्यक समूहों से संबद्ध शक्तिशाली मिलीशिया और नए प्रतिरोधी समूह सभी मोर्चों पर दबाव बना रहे हैं। सेना भी जवाबी कार्रवाई करते हुए उन अस्पतालों और अन्य सुविधाओं पर हमले कर रही है जहां प्रतिरोधी समूह को आश्रय और अन्य सहायता मिलने का संदेह है।

मानवीय सहायता संगठन ‘फ्री बर्मा रेंजर्स’ के संस्थापक एवं अमेरिकी विशेष बल के पूर्व सैनिक डेव यूबैंक ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि जब भी बड़ी संख्या में लोग एकजुट होकर उनके (सैन्य सरकार के) खिलाफ आवाज उठाते हैं तो वे डर जाते हैं।’’

यूबैंक ने कहा, ‘‘वे जानते हैं कि अस्पताल, चर्च, स्कूल और मठ ऐसी जगह हैं जहां लोग आते हैं, जहां लोग एकजुट होते हैं इसीलिए वे इन्हें तबाह कर रहे हैं।’’

फिलहाल देश के आधे से भी कम हिस्से में सैन्य सरकार का नियंत्रण रह गया है, लेकिन सेना ने राजधानी नेपीता और सबसे बड़े शहर यांगून सहित मध्य म्यांमा के अधिकतर हिस्सों पर मबजूती के साथ नियंत्रण किया हुआ है। साथ ही, रूस तथा चीन के समर्थन से सेना के पास प्रतिरोधी समूह की तुलना में कहीं बेहतर सशस्त्र हैं।

प्रतिरोधी समूह ने हाल ही में नेपीता में एक सैन्य मुख्यालय पर ड्रोन हमला किया था।

म्यांमा में राष्ट्रव्यापी संघर्ष फरवरी 2021 में सेना द्वारा आंग सान सू ची की निर्वाचित सरकार को अपदस्थ किए जाने और लोकतांत्रिक शासन की वापसी की मांग करने वाले अहिंसक आंदोलन को दबाए जाने के बाद शुरू हुआ।

हाल के सप्ताहों में देश के दक्षिण-पूर्व में संघर्ष देखा गया। मुख्य जातीय करेन लड़ाकू बल ‘करेन नेशनल लिबरेशन आर्मी’ ने दावा कि उसने अप्रैल की शुरुआत में कायिन राज्य में थाईलैंड की सीमा से सटे मुख्य शहर म्यावाडी में सभी सैन्य ठिकानों पर कब्जा कर लिया है। इस तरह के विरोध में लगातार आम नागरिकों की जान भी जा रही है।

राजनीतिक गिरफ्तारियों, हमलों और हताहतों की जानकारी जुटाने वाले समूह ‘असिस्टेंस एसोसिएशन फॉर पॉलिटिकल प्रिजनर्स’ के अनुसार एक नवंबर से एक मई तक कम से कम 1,015 नागरिकों की मौत दर्ज की गई थी। इसने कहा कि तीन साल पहले सेना के सत्ता संभालने के बाद से कुल 4,962 नागरिक मारे जा चुके हैं।

एपी खारी मनीषा

मनीषा

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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