काबुल में मौजूद तालिबान सरकार से पाकिस्तान को अधिक उम्मीद नहीं : मोईद युसुफ |

काबुल में मौजूद तालिबान सरकार से पाकिस्तान को अधिक उम्मीद नहीं : मोईद युसुफ

काबुल में मौजूद तालिबान सरकार से पाकिस्तान को अधिक उम्मीद नहीं : मोईद युसुफ

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:42 PM IST, Published Date : January 27, 2022/9:04 pm IST

(सज्जाद हुसैन)

इस्लामाबाद, 27 जनवरी (भाषा) पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोईद युसुफ ने कहा है कि इस्लामाबाद काबुल में मौजूदा तालिबान सरकार को लेकर पूरी तरह आशावादी नहीं है क्योंकि युद्धग्रस्त देश में अभी भी संगठित आतंकवादी नेटवर्क सक्रिय हैं और अफगानिस्तान की भूमि का उपयोग अभी भी पाकिस्तान के विरूद्ध हो रहा है।

मोईद युसुफ ने विदेश मामलों के लिए नेशनल असेंबली की स्थायी समिति को बृहस्पतिवार को अफगानिस्तान के मौजूदा हालात पर जानकारी देते हुए यह बात कही। उन्होंने प्रतिबंधित संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) की अफगानिस्तान में मौजूदगी से पाकिस्तान को उत्पन्न हुए खतरे के बारे में भी बात की।

मोईद युसुफ ने कहा, ‘संगठित आतंकवादी नेटवर्क अभी भी अफगानिस्तान में काम कर रहे हैं और अफगानिस्तान की ज़मीन का इस्तेमाल अभी भी पाकिस्तान के खिलाफ किया जा रहा है।’

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अफगानिस्तान में तालिबान सरकार को लेकर पूरी तरह आशावादी नहीं है और तालिबान के सत्ता में आने से सभी समस्याओं के पूर्ण समाधान की उम्मीद नहीं की जानी चाहिए।

पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार का यह बयान काफी अहम माना जा रहा है। अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से पाकिस्तान में कई आतंकवादी हमले हो चुके हैं। पाकिस्तान को यह उम्मीद थी कि तालिबान के सत्ता में आने के बाद अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल इस्लामाबाद के खिलाफ गतिविधियों के लिए नहीं होगा।

लेकिन तालिबान ने टीटीपी के खिलाफ कोई कार्रवाई करने के बजाय, पाकिस्तान को उनके साथ बातचीत करने के लिए राजी किया, जो इस्लामाबाद ने इस उम्मीद के साथ किया कि अफगान तालिबान टीटीपी को वश में करने के लिए अपने प्रभाव का इस्तेमाल करेगा।

टीटीपी ने नौ नवंबर को एक महीने के संघर्ष विराम की घोषणा की और सख्त शर्तें पेश कीं, जिसमें उनके शरिया के नियमों को लागू करना और सभी हिरासत में लिए गए विद्रोहियों की रिहाई शामिल है। पाकिस्तान की सरकार को लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा और उसने मांगों को स्वीकार करने से इनकार कर दिया इसके जवाब में टीटीपी ने युद्ध विराम को समाप्त करने से इनकार कर दिया।

भाषा रवि कांत माधव

माधव

 

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