फलस्तीनी नागरिकों ने गाजा में मौजूदा हालात को 1948 के अरब-इजराइल युद्ध से भी भयावह बताया |

फलस्तीनी नागरिकों ने गाजा में मौजूदा हालात को 1948 के अरब-इजराइल युद्ध से भी भयावह बताया

फलस्तीनी नागरिकों ने गाजा में मौजूदा हालात को 1948 के अरब-इजराइल युद्ध से भी भयावह बताया

:   Modified Date:  May 14, 2024 / 03:12 PM IST, Published Date : May 14, 2024/3:12 pm IST

यरूशलम, 14 मई (एपी) इजराइल से अपने सामूहिक निष्कासन की बुधवार को 76वीं बरसी मना रहे फलस्तीनी नागरिक गाजा में मौजूदा हालात को 1948 के अरब-इजराइल युद्ध की तुलना में कहीं अधिक भयावह मानते हैं।

वर्ष 1948 में अरब-इजराइल युद्ध से पहले और उस दौरान लगभग सात लाख फलस्तीनियों को अपना घर-बार छोड़कर वहां से पलायन करना पड़ा था।

फलस्तीन के लोग इजराइल के स्थापना दिवस को नकबा कहते हैं, जिसका अरबी में अर्थ “तबाही” होता है।

युद्ध के बाद, इजराइल ने उन्हें वापस नहीं लौटने दिया क्योंकि मौजूदा यहूदी देश में फलस्तीनी बहुसंख्यक हो जाते। इसके बजाय वे स्थायी शरणार्थी बन गए और अब उनकी तादाद करीब 60 लाख है, जिनमें से अधिकतर लेबनान, सीरिया, जॉर्डन और इजराइल के कब्जे वाले वेस्ट बैंक में झुग्गियों जैसे शहरी शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं।

मुस्तफा अल-गजर 1948 में मध्य इजराइल के एक गांव से रफह शहर तक की अपने परिवार की महीनों लंबी यात्रा को याद करते हैं, तब वह महज पांच साल के थे।

मुस्तफा (81) ने कहा कि एक जगह तो उनपर आसमान से बम बरस रह थे जबकि दूसरी जगह उन्होंने पेड़ के नीचे गड्ढे खोदकर रात गुजारी।

उन्हें पिछले सप्ताह एक बार फिर उसी तरह भागना पड़ा। इस बार उन्हें एक बंजर तटीय इलाका मुवासी छोड़कर जाना पड़ा, जहां एक खस्ताहाल शिविर में करीब 4,50,000 फलस्तीनी रहते हैं।

उन्होंने कहा कि इस बार हालात 1948 से भी ज्यादा खराब हैं क्योंकि उस समय तो फलस्तीनी शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी उन्हें नियमित रूप से भोजन और अन्य सामग्री पहुंचा रही थी।

उन्होंने कहा, “1948 में मुझे वापस लौटने की उम्मीद थी, लेकिन आज मैं महज जिंदा बचने की सोच रहा हूं। मैं दहशत के साये में जी रहा हूं।”

उन्होंने रोते हुए कहा, “मैं अपने बच्चों और पोते-पोतियों का भरण-पोषण नहीं कर सकता।”

स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, सात अक्टूबर को इजराइल पर हमास के हमले के बाद गाजा में शुरू हुए युद्ध में 3,5000 फलस्तीनी मारे जा चुके हैं। हमास के हमले में करीब 1,200 इजराइलियों की मौत हुई थी।

युद्ध के चलते गाजा की कुल आबादी में से एक तिहाई यानी लगभग 17 लाख लोगों को अपना घर-बार छोड़कर पलायन करना पड़ा है। यह 1948 के युद्ध से पहले और उस दौरान पलायन करने वालों की तादाद की तुलना में दोगुना से भी ज्यादा है।

सेंट्रल फ्लोरिडा विश्वविद्यालय में फलीस्तीनी सहायक प्रोफेसर यारा असी ने युद्ध में नागरिक बुनियादी ढांचे को हुए नुकसान पर अध्ययन किया है। उनका कहना है कि गाजा के पुनर्निर्माण के लिए जिस तरह के अंतरराष्ट्रीय प्रयास की आवश्यकता होगी, उसकी कल्पना करना ‘बेहद मुश्किल’ है।

असी और अन्य लोगों को डर है कि अगर एक और वास्तविक नकबा (तबाही) होता है, तो यह क्रमिक निष्कासन के रूप में होगा।

एपी जोहेब सुभाष

सुभाष

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)