दुनिया के गरीब देशों में सबसे अधिक होती है समयपूर्व जन्मे शिशुओं की मौत |

दुनिया के गरीब देशों में सबसे अधिक होती है समयपूर्व जन्मे शिशुओं की मौत

दुनिया के गरीब देशों में सबसे अधिक होती है समयपूर्व जन्मे शिशुओं की मौत

:   Modified Date:  February 22, 2024 / 04:29 PM IST, Published Date : February 22, 2024/4:29 pm IST

(एंड्रयू शेनन और मेगन हॉल, किंग्स कॉलेज लंदन)

लंदन, 22 फरवरी (द कन्वरसेशन) दुनिया भर में 2020 में समय से पहले जन्म संबंधी जटिलताओं के कारण हर 40 सेकंड में एक बच्चे की मौत हो गई। पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में मृत्यु दर के अधिक होने का प्रमुख कारण समय से पहले जन्म है।

दुनिया के निम्न और मध्यम आय वाले देशों में समय से पहले जन्म लेने वाले शिशुओं की संख्या काफी अधिक है। दुनिया के लगभग 80 प्रतिशत ऐसे मामले कम और मध्यम आय वाले देशों में ही होते हैं। अफ्रीका महाद्वीप में मलावी, दक्षिण अफ्रीका, इथियोपिया, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य और बोत्सवाना ऐसे देश हैं, जहां समयपूर्व जन्मे शिशुओं की संख्या काफी अधिक होती है।

इथियोपिया में 2020 में 12.9 प्रतिशत बच्चे समय से पहले पैदा हुए। वहीं, नाइजीरिया में यह आंकड़ा 9.9 प्रतिशत था।

जब कोई बच्चा 37 सप्ताह के गर्भ से पहले पैदा होता है, तो उसे समयपूर्व जन्मे शिशु की श्रेणी में रखा जाता है। समय से पहले जन्म लेने वाले शिशुओं में गंभीर न्यूरोलॉजिकल समस्याओं, जैसे सेरेब्रल पाल्सी, खराब फेफड़ों की कार्यप्रणाली और उनकी आंतों की दीर्घकालिक समस्याओं का खतरा अधिक होता है।

लेकिन, समय से पहले जन्म लेने वाले लगभग 95 प्रतिशत बच्चे 28 सप्ताह के बाद ही पैदा होते हैं। वे अक्सर अपेक्षाकृत कम जटिल चिकित्सा हस्तक्षेप के साथ जीवित रहते हैं।

‘इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ गायनेकोलॉजी एंड ऑब्स्टेट्रिक्स’ (एफआईजीओ) की एक समिति ने शिशुओं का जीवन बचाने के लिए ज्ञात पांच प्रमुख उपायों (हस्तक्षेप) का चयन किया है।

हमने एक हालिया शोध पत्र का सह-लेखन किया है, जिसमें हमने पांच उपायों पर चर्चा की।

ऐसे कई अन्य हस्तक्षेप हैं जो प्रसव के समय और समय से पहले जन्म के बाद परिणामों में सुधार कर सकते हैं। लेकिन, चुने गए पांच चिकित्सकीय रूप से प्रभावी और अपेक्षाकृत सस्ते विकल्प हैं, जिन्हें अधिकांश मामलों में अपनाया जा सकता है।

यह पांच उपाय(हस्तक्षेप) हैं :

1) बच्चे के जन्म से पहले मां को स्टेरॉयड की खुराकों का एक कोर्स देना। इससे गर्भ में बच्चे के फेफड़ों में बदलाव आता है, जिससे उनका विस्तार होता है और इससे उसके लिए सांस लेना आसान हो जाता है। इसके अतिरिक्त, यह मस्तिष्क रक्तस्राव, आंत्र जटिलताओं और मृत्यु के जोखिम को भी कम करता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा निम्न और मध्यम आय वाले देशों में किए गए एक अध्ययन में अनुमान लगाया गया है कि अगर मां को स्टेरॉयड दिया जाए तो हर साल 3,70,000 शिशुओं को बचाया जा सकता है।

यह दवा डब्ल्यूएचओ की आवश्यक दवाओं की सूची में शामिल है। इसका इस्तेमाल करना अपेक्षाकृत आसान है और इससे मां को कोई समस्या होने का जोखिम कम होता है। यह ताप स्थिर भी है और इसमें प्रशीतन की आवश्यकता नहीं होती है, जो उन क्षेत्रों के वातावरण के लिए बहुत महत्वपूर्ण है जहां बिजली की आपूर्ति कम है।

2) प्रसव से तुरंत पहले मां को मैग्नीशियम सल्फेट भी दिया जा सकता है।

यह शिशु में कोशिका झिल्ली को स्थिर करने के लिए जाना जाता है। यह न्यूरॉन्स की रक्षा करता है और मस्तिष्क क्षति को कम करता है। समय से पहले प्रसव के दौरान मां को दिया जाने वाला मैग्नीशियम सल्फेट जीवनरक्षक साबित हो सकता है।

यह दवा डब्ल्यूएचओ की आवश्यक दवाओं की सूची में भी शामिल है और निम्न आय वाले देशों के वातावरण के लिए उपयुक्त है।

3) प्रसव के बाद कम से कम एक मिनट के लिए कॉर्ड क्लैम्पिंग में देरी।

जब कोई बच्चा पैदा होता है तो उसकी गर्भनाल को दबाया जाता है और फिर काट दिया जाता है। हालांकि, क्लैम्पिंग से पहले लगभग एक मिनट की देरी नवजात की मृत्यु में कमी से जुड़ी है। यह नवजात शिशु में रक्तचाप को नियंत्रित करने के लिए दवाओं की आवश्यकता को भी कम कर देता है – ऐसी दवा जो अत्यधिक विशेषज्ञ चिकित्सा सुविधाओं के बाहर नहीं दी जा सकती है।

4) प्रसव के एक घंटे के भीतर मां को स्तनपान कराने के लिए प्रोत्साहित करना।

समय से पहले जन्मे बच्चों के लिए स्तनपान विशेष रूप से फायदेमंद होता है, जिससे गंभीर संक्रमण जैसी गंभीर जटिलताओं का खतरा कम हो जाता है।

5) बच्चे के जन्म के बाद तत्काल प्रभाव से कंगारू की तरह उसकी देखभाल को दृढ़तापूर्वक प्रोत्साहित करना।

कंगारू देखभाल में एक बच्चे को उसकी मां या परिवार के किसी अन्य सदस्य की छाती पर लंबे समय तक रखा जाता है – दिन में कम से कम आठ घंटे।

समय से पहले जन्मे बच्चों को बहुत अधिक ठंड लगने का खतरा होता है। ‘कंगारू देखभाल’ से उनकी मृत्यु का खतरा कम हो जाता है। ऐसा पाया गया है, भले ही शिशु को स्थिर करने के लिए कोई अन्य विकल्प न हों, लेकिन कंगारू देखभाल से संक्रमण का खतरा भी कम हो जाता है और स्तनपान की दर में भी सुधार होता है।

द कन्वरसेशन रवि कांत मनीषा

मनीषा

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)