(एलेक्स गिलबर्ट और मॉर्गन ब्राजीलियन, कोलोराडा स्कूल ऑफ माइन्स)
डेनवर (अमेरिका), 20 मार्च (द कन्वरसेशन) पश्चिमी देश रूस के तेल और गैस निर्यात पर अपनी निर्भरता को कम करने के तरीके खोज रहे हैं, वहीं यूक्रेन संकट से जुड़े इस पहलू पर अभी कम ही ध्यान गया है कि परमाणु ऊर्जा का इस्तेमाल करने वाले 32 देशों में से अधिकतर अपनी परमाणु ईंधन आपूर्ति श्रृंखला के किसी न किसी घटक के लिए भी रूस पर आश्रित हैं।
परमाणु ऊर्जा अनेक राष्ट्रीय विद्युत ग्रिड का अहम हिस्सा है। यूरोपीय देश खासतौर पर परमाणु ऊर्जा पर निर्भर हैं जिनमें फ्रांस है जो देश की विद्युत आपूर्ति का 69 प्रतिशत उत्पादन इस तरीके से करता है, यूक्रेन 51 प्रतिशत, हंगरी 46 प्रतिशत, फिनलैंड 34 प्रतिशत और स्वीडन 31 प्रतिशत उत्पादन करता है।
अमेरिका में परमाणु रियेक्टर देश की बिजली का 20 प्रतिशत उत्पादन करते हैं। इनमें से अनेक देशों ने आयातित जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने के लिए परमाणु ऊर्जा को अपनाया।
यूक्रेन में युद्ध के संकट से पैदा हुए आर्थिक संकट ने परमाणु ऊर्जा उद्योग के लिए ईंधन की आपूर्ति अवरुद्ध कर दी है। हमारा मानना है कि रूस के दबदबे का मुकाबला करने के लिए ऐसे समन्वित प्रयासों की जरूरत होगी जिनमें ऊर्जा सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन के असर को कम करने और अंतरराष्ट्रीय कानून के प्रति प्रतिबद्धता का संतुलन हो।
वैश्विक उद्योग:
दुनियाभर में 32 देश ऐसे हैं जहां दुनिया की विद्युत आपूर्ति के 10 प्रतिशत का उत्पादन करने वाले 440 वाणिज्यिक परमाणु ऊर्जा रियेक्टर हैं। सबसे ज्यादा परिचालनशील रियेक्टर अमेरिका में हैं जिनकी संख्या 93 है जिसके बाद फ्रांस में 56 और चीन में 53 रियेक्टर हैं।
कई देश परमाणु ईंधन, सामग्रियों और सेवाओं का निर्यात करते हैं। इनमें सबसे प्रमुख अंतरराष्ट्रीय आपूर्तिकर्ता अमेरिका, रूस, यूरोप और चीन हैं। कनाडा और दक्षिण कोरिया जैसे कई अन्य देश भी अहम भूमिका अदा करते हैं।
परमाणु ऊर्जा उत्पादन के पांच चरण हैं:
– कच्चा यूरेनियम अयस्क जमीन से निकाला जाता है, जिसमें आमतौर पर 2 प्रतिशत से कम यूरेनियम होता है।
– अयस्क से यूरेनियम और अन्य सामग्रियों को अलग किया जाता है।
– पाउडर की तरह का पदार्थ यलो केक भी निकलता है जिसे रासायनिक तरीके से गैस वाली यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड में बदला जाता है।
– इसे प्रसंस्कृत कर यूरेनियम-235 का सांद्रण बढ़ाया जाता है जिसे रियेक्टरों में ऊर्जा में परिवर्तित किया जा सकता है।
– संवर्धित यूरेनियम को रियेक्टरों के लिए फ्यूल रोड में बदला जाता है।
उक्त सभी जटिल तकनीकी प्रक्रियाएं हैं जिन्हें दुनियाभर में कुछ गिनेचुने केंद्रों में संचालित किया जाता है।
रूस की सरकारी परमाणु कंपनी रोसाटोम या फ्रांसीसी कंपनी फ्रामाटोम जैसे आपूर्तिकर्ता से परमाणु रियेक्टर खरीदने से दशकों तक आपूर्ति निर्भरता रह सकती है।
ये सभी कारक परमाणु ऊर्जा श्रृंखलाओं को और जटिल, कम प्रतिस्पर्धी तथा तेल एवं गैस जैसे अन्य ऊर्जा स्वरूपों की तुलना में तेजी से लाने-ले जाने के लिए कम कठोर हैं।
परमाणु आपूर्तिकर्ता के रूप में रूस:
कोबाल्ट जैसे खनन से निकाले गये अन्य पदार्थों की तुलना में वैश्विक यूरेनियम संसाधन दुनियाभर में अधिक फैले हैं। कजाकिस्तान वैश्विक आपूर्ति का 40 प्रतिशत से अधिक उत्पादन करता है। इसके बाद कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और नामीबिया का स्थान आता है। रूस एक छोटा उत्पादक है जो करीब 5 प्रतिशत उत्पादन करता है और यूरोप 1 प्रतिशत से भी कम उत्पादन करता है।
हालांकि कजाकिस्तान से ज्यादातर यूरेनियम रूस के माध्यम से गुजरकर वैश्विक बाजारों तक पहुंचता है।
यूक्रेन पर हमला करने से पहले रूस की अपनी परमाणु ऊर्जा के आयात को बढ़ाने की राष्ट्रीय रणनीति थी। वह परमाणु रियेक्टरों का बड़ा आपूर्तिकर्ता है, विदेशों में परमाणु ऊर्जा संयंत्रों का निर्माण करता है और परमाणु ईंधन मुहैया कराता है। इसके ग्राहकों में पूर्ववर्ती सोवियत संघ के देश और यूक्रेन तथा हंगरी जैसे वारसॉ संधि के सदस्य देश शामिल हैं।
यूक्रेन संकट का बाजार पर असर:
जापान में फुकुशिमा परमाणु त्रासदी के बाद वैश्विक यूरेनियम के दाम पिछले दशक में अधिकतर समय कम स्तर पर रहे और इसका मूल्य 20 डॉलर से 30 डॉलर प्रति पाउंड रहा। फिर 2021 में और 2022 की शुरुआत में बाजार की अटकलों और कजाकिस्तान में घरेलू प्रदर्शनों ने दाम बढ़ा दिये।
अब यूक्रेन में युद्ध में कुछ सौदों में दाम लगभग 60 डॉलर प्रति पाउंड तक और इससे भी ऊंचे पहुंचा दिये हैं। यूरेनियम का सौदा बाजारों में खुले तौर पर नहीं होता इसलिए सारे दाम सार्वजनिक नहीं हैं।
अमेरिका का जो बाइडन प्रशासन खबरों के अनुसार रूस पर परमाणु प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहा है। अमेरिका के परमाणु संयंत्र इस कदम के खिलाफ हैं क्योंकि उन्हें डर है कि यूरेनियम का संकट पैदा हो जाएगा और यह महंगा हो जाएगा। अमेरिका के कई संयंत्र पहले ही आर्थिक रूप से जूझ रहे हैं।
यदि रूस संवर्धित यूरेनियम को रोककर पश्चिमी देशों के दबाव का जवाब देता है तो हमारा अनुमान है कि अमेरिका और यूरोप के संयंत्र 18 से 24 महीने के अंदर प्रभावित हो सकते हैं।
(द कन्वरसेशन) वैभव नरेश
नरेश
(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
‘एक मिनट के लिए सेक्स करोगी’, रो पड़ी 19 साल…
12 hours ago