सोमालिया इतनी बड़ी पर्वत श्रृंखला बनेगी जो आपने कभी नहीं देखी होगी |

सोमालिया इतनी बड़ी पर्वत श्रृंखला बनेगी जो आपने कभी नहीं देखी होगी

सोमालिया इतनी बड़ी पर्वत श्रृंखला बनेगी जो आपने कभी नहीं देखी होगी

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:51 PM IST, Published Date : December 25, 2021/1:59 am IST

Somalia large mountain range

यूट्रेक्ट (नीदरलैंड), 25 दिसंबर (द कन्वरसेशन) भूगोल की प्रत्येक स्कूल की किताब में ये मानचित्र होते हैं : मानचित्र जो आज की पृथ्वी की तरह दिखते हैं लेकिन ऐसे होते नहीं क्योंकि सभी महाद्वीप एक बड़े महाद्वीप में विलीन होते हैं। उन मानचित्रों का इस्तेमाल यह समझाने के लिए किया गया था कि दक्षिण अमेरिका और अफ्रीका या उत्तरी अमेरिका और यूरोप में डायनासोर एक जैसे क्यों दिखते हैं।

‘‘पुराभूगोल’’ यानी ऐतिहासिक भूगोल शास्त्र के अध्ययन से हमें अपने ग्रह के आकार को समझने में मदद मिलती है। पिछले 10 वर्षों में सॉफ्टवेयर विकसित किए गए हैं जिसका मतलब है कि जिसकी भी दिलचस्पी है वह ऐसे पुराभौगोलिक मानचित्र बना सकता है। अब अगर पुराभौगोलिक मानचित्र पहले ही हमारे स्कूल की पाठ्यपुस्तकों में है तो मेरे जैसे भूवैज्ञानिक क्या पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं?

कुछ हद तक तक पृथ्वी की प्लेटों की जानकारियों पर काम करने से काफी फर्क पड़ सकता है। उदाहरण के लिए जब संकीर्ण समुद्री गलियारे खुलते या बंद होते हैं तो बड़ी महासागरीय धाराएं अचानक बदल सकती हैं।

लेकिन पुराभूगोल के लिए सबसे बड़ी समस्या जानकारियां नहीं है : पृथ्वी की परत का 70 प्रतिशत हिस्सा पृथ्वी की आंतरिक प्लेट के नीचे खो गया है। पुराभौगोलिक मानचित्रों में हमने अब पृथ्वी की आंतरिक प्लेट के नीचे खो चुके उन क्षेत्रों को भर दिया है। भूगर्भीय रिकॉर्ड में खो चुकी इस परत के अवशेष बचे हैं और अनुसंधान में हम पृथ्वी की ‘‘खो’’ चुकी सतह के बारे में जानने के लिए इन रिकॉर्डों का इस्तेमाल करने की कोशिश करते हैं।

कई पवर्त मुख्यत: मशहूर हिमालय पर्वत चट्टान के मुड़े हुए और टुकड़ों के ढेर से बना है जो पृथ्वी की आंतरिक प्लेट के नीचे खो चुके हिस्सों से निकले हैं। और उनमें जिस प्रकार की चट्टानें और जीवाश्म तथा खनिज पदार्थ होते हैं वे हमें बता सकते हैं कि कब और कहां ये चट्टानें बनी। इससे भूवैज्ञानिक इन टुकड़ों को जोड़ सकते हैं कि सुदूर अतीत में ये महाद्वीप और गहरी खाइयां तथा ज्वालामुखी आपस में कैसे जुड़े हुए हैं।

हाल के वर्षों में जब मैंने यह बताया कि आधुनिक पर्वत श्रृंखलाओं से पुराभौगोलिक मानचित्र कैसे बना सकते हैं तो मुझसे कई बार यह पूछा गया कि क्या हम भविष्य के पर्वतों की भविष्यवाणी कर सकते हैं। मैंने हमेशा कहा, ‘‘बिल्कुल क्यों नहीं? मुझे यह देखने के लिए सैकड़ों लाख वर्षों तक इंतजार करना पड़ेगा कि क्या मैं सही हूं।’’

फिर मैंने सोचा कि यह अध्ययन का दिलचस्प विषय हो सकता है। भविष्य की पर्वत श्रृंखलाओं की संरचना का अनुमान लगाने के लिए ‘‘पर्वत निर्माण के नियमों’’ की आवश्यकता होगी जो पहले नहीं किया गया। तो हमने यह किया। मैंने इसकी तुलना करते हुए नियम बनाए कि पर्वत श्रृंखलाओं में आम तौर पर कौन-सी विशेषताएं पायी जाती है।

मेरे तत्कालीन एमएससी के छात्र थॉमस शूटेन ने इन नियमों का इस्तेमाल कर अनुमान जताया कि अगर सोमालिया उम्मीद के अनुरूप अफ्रीका से अलग होकर भारत से जुड़ता है तो अगले 20 करोड़ साल में एक पर्वत श्रृंखला बनेगी। हमने इसे ‘‘सोमालिया पर्वत श्रृंखला’’ नाम दिया जो अपने वक्त का हिमालय पर्वत हो सकता है।

हमारे अध्ययन के अनुसार मेडागास्कर और अफ्रीका के बीच खाड़ी में एक पर्वत श्रृंखला बन सकती है। और उत्तरपश्चिमी भारत पहले सोमालिया के नीचे 50 किलोमीटर या उससे अधिक तक दब जाएगा लेकिन फिर सोमालिया घुमेगा और उत्तरपश्चिमी भारत फिर से पैदा होगा- यह भौगोलिक इतिहास है जो 40 करोड़ साल पहले के आसपास पश्चिमी नॉर्वे की तरह दिखता है।

द कन्वरसेशन गोला शाहिद

शाहिद

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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