यूक्रेन युद्ध: लोग व्लादिमीर पुतिन के इतिहास गलत व्याख्या के लिए लड़ रहे हैं और मर रहे हैं |

यूक्रेन युद्ध: लोग व्लादिमीर पुतिन के इतिहास गलत व्याख्या के लिए लड़ रहे हैं और मर रहे हैं

यूक्रेन युद्ध: लोग व्लादिमीर पुतिन के इतिहास गलत व्याख्या के लिए लड़ रहे हैं और मर रहे हैं

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:37 PM IST, Published Date : March 23, 2022/1:36 pm IST

फेलिक्स क्रावात्ज़ेक, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और जॉर्ज सोरोका, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी

ऑक्सफोर्ड, 23 मार्च (द कन्वरसेशन) व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन पर अपने देश के आक्रमण को सही ठहराने के लिए इतिहास का हवाला दिया। रूस के भीतर इस संदेश को मजबूत करने के लिए, उनका शासन घरेलू दर्शकों के बीच प्रचार में इस बात पर जोर दे रहा है कि रूसी सेना दुनिया भर में ‘‘नाज़ीवाद के खिलाफ’’ लड़ती है।

यह सुनिश्चित करने के लिए कि यह संदेश देश के युवाओं के बीच जड़ जमाए, रूस के शिक्षा मंत्रालय ने हाल ही में ‘‘विश्वविद्यालयों में इतिहास की प्रस्तुति को सही करने’’ के लिए एक एकीकृत एकल इतिहास पाठ्यक्रम बनाने के अपने इरादे की घोषणा की।

पाठ्यक्रम, जो सभी छात्रों के लिए अनिवार्य होगा, का उद्देश्य ‘‘हमारे इतिहास के प्रति युवाओं में गौरव का संचार करना, एक हजार साल से अधिक पुरानी संस्कृति में शामिल होना, अपने पूर्वजों के कर्मों और उपलब्धियों की विरासत के बारे में जागरूकता’’ पैदा करना है।

लेकिन रूसी राष्ट्रपति का इतिहास का प्रयोग अत्यधिक चयनात्मक सोच पर निर्भर करता है। आक्रमण से पहले दिए गए भाषणों में, पुतिन ने दावा किया कि यूक्रेन ‘‘हमारे अपने इतिहास, संस्कृति और आध्यात्मिक स्थान का एक अविभाज्य हिस्सा है’’।

पिछले दो दशकों में रूस में राजनीतिक रूप से विकसित यह सोच तथाकथित ‘‘रूसी दुनिया’’ की साझा विरासत पर जोर देती है।

यह कल्पित सांस्कृतिक-ऐतिहासिक स्थान बेलारूस, यूक्रेन और रूस की पवित्र त्रिमूर्ति पर केंद्रित है, जो सभी अपनी जड़ें कीवान रस की प्राचीन रियासत में खोजते हैं।

पुतिन का यह भी तर्क है कि लेनिन और बोल्शेविकों ने यूक्रेनियन को केवल सत्ता को मजबूत करने के लिए अपना राज्य देने का वादा किया था। दरअसल, उन्होंने यूक्रेन और यूएसएसआर के अन्य छोटे गणराज्यों के प्रति सोवियत नीतियों की आलोचना करते हुए पूछा कि ‘‘इस तरह के उदार उपहार देना क्यों जरूरी था, जिसका सबसे उत्साही राष्ट्रवादियों ने पहले कभी सपना नहीं देखा था’’।

हालांकि, इस तरह के आरोप इस वास्तविकता को नजरअंदाज करते हैं कि एक यूक्रेनी राष्ट्रीय पहचान और राजनीतिक चेतना का विकास सोवियत संघ के गठन से काफी पहले से है।

फासीवाद के खिलाफ लड़ाई के झंडाबरदार के रूप में रूस के दावों को मजबूत करने के लिए, पुतिन ने इसी तरह सोवियत लोगों द्वारा नाज़ीवाद को खत्म करने के लिए किए गए ‘‘पवित्र’’ बलिदानों और आज के समय में भी इसी तरह के बलिदान की आवश्यकता पर जोर दिया है: ‘‘आपके पिता, दादा और परदादा ने इसलिए नाजी से लड़ाई नहीं की थी, कब्जा करने वालों और हमारी साझा मातृभूमि की रक्षा इसलिए नहीं की कि आज के नव-नाजी यूक्रेन में सत्ता पर कब्जा कर सकें।’’ यूक्रेन पर हमला करके, वह रूस, बेलारूस और यूक्रेन के बीच 1991 के बेलोवेज़ा समझौते की विरासत को भी खारिज कर रहे हैं, जिसने सोवियत संघ के पतन के बारे में बताया और सोवियत-बाद के राज्यों की सीमाओं का सीमांकन किया।

यह कुछ ऐसा है जिसे पुतिन ने पिछली शताब्दी की ‘‘सबसे बड़ी भू-राजनीतिक तबाही’’ के रूप में संदर्भित किया है। पुतिन के ऐतिहासिक संशोधनवाद का उद्देश्य सोवियत संघ के विघटन के परिणामस्वरूप महान शक्ति के दर्जे के ‘‘अपमानजनक’’ नुकसान को चुनौती देना है।

अंत में, पुतिन ने जोर देकर कहा कि स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद यूक्रेनी अधिकारियों ने रूस का आर्थिक रूप से फायदा उठाया, जबकि ‘‘यूक्रेन में रहने वाली पूरी पीढ़ियों के लाखों लोगों की मानसिकता और ऐतिहासिक स्मृति को नष्ट करने की कोशिश करके, हमें एकजुट करने वाली हर चीज को नकारकर उन्होंने अपने राज्य का निर्माण किया’’।

पुतिन का इतिहास का इस्तेमाल

पुतिन की ऐतिहासिक विकृतियां अव्यवस्थित और उलझी हुई हैं।

यूक्रेन में संकट को समवर्ती रूप से पश्चिम – या लेनिन, या यूक्रेनी राष्ट्रवादियों के ‘‘दोष’’ के रूप में प्रस्तुत किया जाता है । लेकिन रूस का कभी नहीं। यदि कुछ भी हो, तो ये दावे इस बात को रेखांकित करते हैं कि पुतिन की रूस को राष्ट्रों के पंथ में ‘‘सही’’ स्थान पर बहाल करने की महत्वाकांक्षा कितनी गहरी है।

बहरहाल, रूसी राष्ट्रपति अपनी निंदक नीतियों को सही ठहराने के लिए आवश्यक किसी भी ऐतिहासिक संदर्भ का उपयोग करने के लिए तैयार प्रतीत होते हैं। अब पुतिन चाहते हैं कि ये संदेश रूस के शैक्षिक पाठ्यक्रम में शामिल हों।

लेकिन, जैसा कि हमारे शोध से पता चलता है, इस तरह के आख्यान वास्तव में समाज में किस हद तक पकड़ में आते हैं, यह अनिश्चित बना हुआ है। 2021 के हमारे सर्वेक्षण से पता चला है कि रूस में ऐतिहासिक दृष्टिकोणों की विविधता बनी हुई है।

लेकिन आज रूस में आधिकारिक ऐतिहासिक आख्यान पर सवाल उठाने के गंभीर परिणाम हो सकते हैं। 2014 में, एक कानून बनाकर दूसरे विश्व युद्ध में लाल सेना के कार्यों की आलोचना करने को पहले से ही अवैध बना दिया गया है।

इस निषेधाज्ञा को प्रतिध्वनित करते हुए, मार्च 2022 की शुरुआत में पारित एक कानून में यूक्रेन में रूसी सेना के कार्यों की आलोचना करने पर 15 साल तक के कारावास की सजा की धमकी दी गई है।

इतिहास युद्ध

इतिहास के साथ रूसी अभिजात वर्ग का जुनून यूक्रेन में युद्ध का हिस्सा है। पिछले कुछ हफ्तों के दौरान यह स्पष्ट हो गया है कि दोनों देशों के प्रचलित ऐतिहासिक आख्यानों का कितना विरोध किया गया है और उनमें कितना हेरफेर किया जा रहा है।

दरअसल, रूस के रक्षा मंत्री, सर्गेई शोइगु ने हाल ही में एक ‘‘अंतर्राष्ट्रीय फासीवाद-विरोधी सम्मेलन’’ की घोषणा की, जो इस अगस्त में रूस में आयोजित किया जाएगा ताकि ‘‘नाजी विचारधारा और नव-नाज़ीवाद के खिलाफ लड़ाई में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के प्रयासों को आधुनिक दुनिया में इसकी सभी अभिव्यक्तियों में एकजुट किया जा सके।

वर्तमान स्थिति की त्रासदी के भीतर विडंबना यह है कि पुतिन इतिहास में निश्चित रूप से एक ऐसे व्यक्ति के रूप में दर्ज किए जाएंगे, जिन्होंने हाल की स्मृति में किसी भी अन्य की तुलना में यूक्रेनी लोगों (यद्यपि रूस के खिलाफ) को एकजुट करने के लिए अधिक योगदान दिया है।

द कन्वरसेशन एकता एकता

एकता

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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