यूएससीआईआरएफ की रिपोर्ट में तथ्यों का अभाव : भारतीय समुदाय |

यूएससीआईआरएफ की रिपोर्ट में तथ्यों का अभाव : भारतीय समुदाय

यूएससीआईआरएफ की रिपोर्ट में तथ्यों का अभाव : भारतीय समुदाय

:   Modified Date:  May 3, 2024 / 10:31 AM IST, Published Date : May 3, 2024/10:31 am IST

(ललित के झा)

वाशिंगटन, तीन मई (भाषा) भारतीय समुदाय के एक थिंक टैंक ने अमेरिकी विदेश मंत्रालय से धार्मिक स्वतंत्रता के कथित उल्लंघन के लिए भारत की आलोचना करने वाली ‘यूएस कमीशन ऑन इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम’ (यूएससीआईआरएफ) की हालिया वार्षिक रिपोर्ट को खारिज करने का आग्रह करते हुए कहा कि यह रिपोर्ट आंशिक आंकड़ों का उपयोग कर तैयार की गई है और इसमें तथ्यों का अभाव है।

यूएससीआईआरएफ ने धार्मिक स्वतंत्रता के कथित उल्लंघन के मद्देनजर भारत को ‘विशेष चिंता वाला देश’ (सीपीसी) घोषित करने के लिए अमेरिकी विदेश मंत्रालय से सिफारिश की।

यूएससीआईआरएफ ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा कि भारत में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति लगातार खराब हो रही है और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत केंद्र सरकार ने ‘भेदभावपूर्ण’ राष्ट्रवादी नीतियों को बढ़ावा दिया है।

भारत ने बृहस्पतिवार को यूएससीआईआरएफ पर तीखा हमला करते हुए कहा था कि वार्षिक रिपोर्ट के नाम पर भारत को लेकर उसका दुष्प्रचार जारी है। इसके साथ ही भारत ने अपनी चुनावी प्रक्रिया में ‘‘हस्तक्षेप’’ करने की कोशिश करने के लिए भी उसकी आलोचना की।

धार्मिक स्वतंत्रता के कथित उल्लंघन को लेकर भारत की आलोचना करने वाली यूएससीआईआरएफ रिपोर्ट पर असामान्य रूप से तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा था, ‘‘अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग को राजनीतिक एजेंडे वाले पक्षपाती संगठन के रूप में जाना जाता है। उसने वार्षिक रिपोर्ट के नाम पर भारत के संबंध में अपने दुष्प्रचार का प्रकाशन जारी रखा है।’’

‘फाउंडेशन फॉर इंडिया एंड इंडियन डायस्पोरा स्टडीज’ (एफआईआईडीएस) ने बृहस्पतिवार को एक बयान में यूएससीआईआरएफ की रिपोर्ट को पक्षपातपूर्ण, आंशिक आंकड़े पेश करने वाली और त्रुटिपूर्ण निष्कर्ष प्रस्तुत करने वाली करार दिया।

एफआईआईडीएस में नीति एवं रणनीति के प्रमुख खंडेराव कांड ने कहा कि यूएससीआईआरएफ रिपोर्ट में ‘‘तथ्यों का अभाव है, इसमें आंशिक आंकड़ों का इस्तेमाल किया गया है, पूर्ण संदर्भ को छिपाकर रखा गया है, छिटपुट घटनाओं को सामान्य रूप से होने वाली घटनाएं बताया गया है और देश के कानून के कार्यान्वयन पर सवाल उठाए गए हैं।’’

उन्होंने कहा, ”इस रिपोर्ट में 1.4 अरब की आबादी वाले दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को गलत तरीके से पेश करने के लिए आंशिक व छिटपुट घटनाओं का इस्तेमाल किया गया है।”

खंडेराव ने कहा कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र और बड़े पैमाने पर शांतिपूर्ण सभ्यता वाले देश को सीपीसी की सूची में डालने की सिफारिश करके यूएससीआईआरएफ ने गलत किया है।

भाषा जितेंद्र सिम्मी

सिम्मी

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)