जलीय जीवन पर इंसानी गतिविधियों के प्रभाव की निगरानी के लिए पर्यावरणीय डीएनए का इस्तेमाल |

जलीय जीवन पर इंसानी गतिविधियों के प्रभाव की निगरानी के लिए पर्यावरणीय डीएनए का इस्तेमाल

जलीय जीवन पर इंसानी गतिविधियों के प्रभाव की निगरानी के लिए पर्यावरणीय डीएनए का इस्तेमाल

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:39 PM IST, Published Date : September 18, 2021/2:24 pm IST

(मारी सिमोनिन, रिसर्च साइंटिस्ट, इनरी ऐंड एमिली एस बर्नहार्ड प्रोफेसर ऑफ बायोलॉजी, ड्यूक यूनिवर्सिटी)

पेरिस (फ्रांस)/ डरहम (अमेरिका), 18 सितंबर (द कन्वरसेशन) नदियां, झीलें और आर्द्रभूमि पृथ्वी की सतह का सिर्फ एक फीसदी है लेकिन ये मछली, स्तनधारी जीवों, पक्षी, कीड़े सहित सभी प्रजातियों में से लगभग 10 फीसदी का घर हैं। लेकिन ये समृद्ध, विविध पारिस्थितिकीय तंत्र घटते जा रहे हैं। दुनिया भर में, मानव इतिहास में किसी भी समय की तुलना में अब प्रजातियां तेजी से लुप्त होती जा रही हैं, भूमि या समुद्री पारिस्थितिकीय तंत्र की तुलना में मीठे पानी की अधिक प्रजातियां खत्म होती जा रही हैं।

आज मीठे पानी के लगभग 4 में से 1 जीव विलुप्ति की कगार पर हैं। वनों की तुलना में आर्द्रभूमि तीन गुना तेजी से घटती जा रही है। दुनिया भर में, पानी की गुणवत्ता गिर रही है, प्लास्टिक, सीवेज, खनन से निकलने वाला मलबा, औद्योगिक एवं कृषि रसायनों आदि से पानी प्रदूषित हो रहा है। मीठे पानी में रहने वाले जीवों पर नजर रखने की वर्तमान तकनीकें महंगी हैं और उनमें मेहनत भी अधिक लगती है।

पारिस्थितिकी क्षेत्र के अनुसंधानकर्ताओं के रूप में हम एक नई विधि का परीक्षण कर रहे हैं जो जैव निगरानी का व्यापक रूप से विस्तार कर सकता है, नदियों में पर्यावरणीय डीएनए या ईडीएनए का उपयोग करके प्रजातियों की सूची और गणना करने के लिए। पानी की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए और घटती प्रजातियों को विलुप्त होने से बचाने के लिए संघीय और स्थानीय एजेंसियों को इस डेटा की आवश्यकता है।

जैव निगरानी की परंपरागत विधियों में वैज्ञानिक कुछ ही स्थानों पर अलग-अलग प्रजातियों और उनकी बहुतायत की गणना करते हैं। उदाहरण के लिए, वेस्ट वर्जीनिया में मछली पर पर्वतीय खनन प्रभावों के एक हालिया अध्ययन में चार अनुसंधानकर्ताओं की एक टीम ने सिर्फ चार साइटों का नमूना लिया। सभी प्रजातियों की पहचान करने में घंटों से लेकर हफ्तों तक का समय लगता है। केवल धनी राष्ट्र ही इस महंगी प्रक्रिया को वहन कर सकते हैं। संकटग्रस्त प्रजातियों के संरक्षण और नदी पारिस्थितिकीय तंत्र को स्वस्थ रखने के लिए अधिक समय और व्यापक क्षेत्रों की निगरानी की आवश्यकता है।

आनुवंशिक प्रौद्योगिकी में नवाचारों ने शक्तिशाली एवं किफायती नया उपकरण बनाया है जिसका हम अभी परीक्षण कर रहे हैं। इस प्रक्रिया में पानी में तैरने वाली आनुवंशिक सामग्री मसलन त्वचा, परत, मल और एकल-कोशिका वाले जीव जैसे कि बैक्टीरिया, से ईडीएनए निकालना शामिल है। इस आनुवंशिक जानकारी का विश्लेषण करके हम प्रजातियों की एक विस्तृत श्रृंखला का पता लगा सकते हैं। हमने 2018 में अपने शोध के लिए ईडीएनए का उपयोग करने पर विचार किया।

ईडीएनए एकत्र करना आसान है: 4 औंस पानी के एक नमूने में हजारों जलीय प्रजातियों के अवशेष डीएनए हो सकते हैं। एक अन्य लाभ यह है कि इसकी पहचान के लिए वन्यजीवों को नुकसान पहुंचाने की आवश्यकता नहीं है। प्रयोगशाला में, हमने एक-एक करके विभिन्न वर्गीकरण समूहों के डीएनए का विश्लेषण किया। फिर डीएनए अनुक्रमों का मीठे पानी की उन प्रजातियों के साथ मिलान किया जो पहले से ही मौजूदा डेटाबेस में सूचीबद्ध हैं।

इस तरह, हम नदियों में इन जीवों के वितरण और बहुतायत का चार्ट बना सकते हैं। इस प्रक्रिया के लिए केवल एक सस्ते फिल्टर, एक सिरिंज और शीशियों की आवश्यकता होती है, और इस प्रक्रिया को कोई भी इसे कर सकता है।

(द कन्वरसेशन) मानसी शाहिद

शाहिद

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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