Dhanteras 2022 shubh muhurat: Special coincidence After 178 year

धनतेरस पर 178 साल बाद बन रहा दुर्लभ संयोग, शनि और गुरु का योग करेगा धनवर्षा, इस मुहूर्त में पूजन से होगा लाभ

Dhanteras 2022 shubh muhurat इस बार धनतेरस पर ग्रहों की ऐसी स्थिति बन हुई है जो आज से लगभग 178 साल बाद धनतेरस बनी थी

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:45 PM IST, Published Date : October 22, 2022/11:18 am IST

नई दिल्लीः Dhanteras 2022 shubh muhuras देश भर में आज से दिवाली पर्व की शुरुआत हो चुकी है। आज धनतेरस (Dhanteras 2022) का त्योहार मनाया जाएगा। दिवाली (Diwali 2022) का पर्व धनतेरस से पांच दिनों तक मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार दिवाली कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पर मनाई जाती है। लेकिन इस बार दिवाली पर्व 5 नहीं 6 दिन तक मनाया जाएगा, ऐसा इसलिए क्योंकि दिवाली के दूसरे दिन और गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja) के पहले दिन सूर्य ग्रहण (Surya Grahan 2022) का प्रकोप रहेगा। हिंदू मान्यताओं के अनुसार कोई भी शुभ कार्य ग्रहण (Dhanteras 2022 shubh muhuras) के दौरान नहीं किया जाता।

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Dhanteras 2022 shubh muhuras धनतेरस को लेकर ऐसी मान्यता है कि कार्तिक त्रयोदशी तिथि पर देवताओं के वैद्य भगवान धन्वंतरि (Dhanvantari) समुद्र मंथन के दौरान स्वर्ण कलश के साथ प्रगट हुए थे। धनतेरस (Dhanteras 2022) पर सोने-चांदी के सिक्के, आभूषण और बर्तन खरीदने की परंपरा है। धनतेरस के दिन खरीदी गई चीजें में वर्ष भर 13 गुने की वृद्धि होती है। इस धनतेरस दो दिन पड़ रहा है, जिसे लेकर ज्योतिष और पंडितों की अलग-अलग राय है।

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त्रयोदशी तिथि 22 अक्तूबर की शाम 06 बजकर 02 मिनट पर प्रारंभ हो रही हैं और अगले दिन यानी 23 अक्तूबर की शाम 06 बजकर 03 मिनट पर खत्म हो जाएगी। भगवान धन्वंतरि का जन्म मध्यान्ह में हुआ था, इसलिए धन्वंतरि पूजन और धनतेरस की शुभ खरीदारी 22 और 23 अक्तूबर दोनों दिन की जा सकेगी।

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178 साल बाद बन रहा दुर्लभ योग

इस बार धनतेरस पर ग्रहों की ऐसी स्थिति बन हुई है जो आज से लगभग 178 साल बाद धनतेरस बनी थी। धनतेसर पर धन के कारक गुरु और न्याय व स्थायित्य के कारक शनि स्वयं की राशि में मौजूद रहेंगे। गुरु अपनी स्वयं की राशि मीन में और शनि मकर राशि में मौजूद रहेंगे। इस बार धनतेरस पर त्रिपुष्कर और सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। पंचाग के अनुसार अनुसार त्रिपुष्कर योग में शुभ कार्य करने पर उसमें तीन गुने की सफलता हासिल होती है जबकि सर्वार्थ सिद्धि योग को शुभ माना गया है क्योंकि इसमें सभी सिद्धियों का वास होता है। सर्वार्थ सिद्धि योग पर राहुकाल का भी असर नहीं होता और खरीदारी करना शुभ फल देने वाला होता है।सर्वार्थ सिद्धि योग 23 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 32 मिनट से आरंभ होगा और दोपहर 2 बजकर 33 मिनट पर समाप्त हो जाएगा। वहीं त्रिपुष्कर योग दोपहर 01 बजकर 50 मिनट से शाम 06 बजकर 02 मिनट तक रहेगा।

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लक्ष्मी पूजा के लिए शुभ मुहूर्त

इस बार कार्तिक चतुर्दशी 23 अक्टूबर की शाम 5.20 से शुरू होकर 24 अक्टूबर को शाम 6 बजे तक है। इसके बाद अमावस्या शुरू होगी। यानी दीपावली पर महालक्ष्मी पूजन (Laxmi Puja Muhurt 2022 ) शाम 6 बजे के बाद ही हो सकेगा। शास्त्रों में दिवाली लक्ष्मी पूजन प्रदोष काल में करने का विधान है। दिवाली पर शुभ मुहूर्त में मां लक्ष्मी और भगवान गणेश के साथ भगवान कुबेर की पूजा-उपासना करने पर जीवन में सभी तरह सुख-सुविधाओं की प्राप्ति होती है।

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गोवर्धन पूजा पर सूर्य का ग्रहण

इस बार दिवाली के फौरन बाद यानी 25 अक्तूबर को सूर्यग्रहण है। सूर्य ग्रहण में सूतक काल (Surya Grahan Sutak Kal) 12 घंटे पहले शुरू हो जाता है। इस कारण से गोवर्धन पूजा (Goverdhan Puja 2022) 26 अक्तूबर को मनाया जाएगा।

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भाईदूज 27 अक्तूबर को

27 अक्टूबर को भाईदूज (Bhai Dooj 2022) मनाई जाएगी। भाई दूज पर बहनें अपने भाई के माथे पर तिलक करती हैं। मान्यता है भाई दूज पर यमराज अपनी बहन यमुना के घर पर आकर भोजन किया था और बहन ने तिलक करके आशीर्वाद प्राप्त किया था। इस तरह दीपावली के पंच पर्व धनतेरस, रूप चतुर्दशी, महालक्ष्मी पूजन, गोवर्धन पूजा और भाई दूज (Bhai Dooj 2022) 6 दिन में पूरे होंगे।

 

 

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