नई दिल्ली । भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा के लोकसभा चुनाव 2019 का कार्यक्रम घोषित करते ही देश में आदर्श आचार संहिता भी लागू हो गई है। सत्तापक्ष के लिए चुनाव आचार संहिता लागू होते ही कई मायनों में अधिकार सीमित हो जाते हैं। आचार संहिता लागू होते ही शासन और प्रशासन में कई अहम बदलाव हो जाते हैं। आचार संहिता लगते ही राज्यों और केंद्र सरकार के कर्मचारी चुनावी प्रक्रिया पूरी होने तक चुनाव आयोग के कर्मचारी की तरह काम करते हैं । यानि उन पर से सरकार का कंट्रोल खत्म हो जाता है। मुख्य चुनाव आयुक्त और राज्य के मुख्य निर्वाचन अधाकारियों ने अपने -अपने क्षेत्र में गाइड लाइन तय कर दी है।
ये भी पढ़ें- चुनावी खर्च का ब्योरा जमा नहीं करने वाले प्रत्याशी हो सकते ह…
अब से लेकर चुनाव परिणाम घोषित होते तक सत्तापक्ष सार्वजनिक धन का इस्तेमाल किसी ऐसे आयोजन में नहीं किया जा सकता जिससे किसी विशेष दल को फायदा पहुंचता हों, जिसके जरिए लोगों में दल के प्रति सहानुभूति पैदा की जा सके। सरकारी गाड़ी, सरकारी विमान या सरकारी बंगला का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के लिए नहीं किया जा सकता है। आचार संहिता लगने के बाद सभी तरह की सरकारी घोषणाएं, लोकार्पण, शिलान्यास या भूमिपूजन के कार्यक्रम नहीं किए जा सकते हैं। किसी भी पार्टी, प्रत्याशी या समर्थकों को रैली या जुलूस निकालने या चुनावी सभा करने की पूर्व प्रशासन से अनुमति लेना अनिवार्य होता है।
ये भी पढ़ें- मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने कलेक्टर्स को लिखा पत्र, 10 जनवरी त…
चुनाव आयोग के निर्देशों का पालन चुनाव खत्म होने तक हर पार्टी और उसके उम्मीदवार को करना होता है। अगर कोई उम्मीदवार इन नियमों का पालन नहीं करता तो चुनाव आयोग उसके विरुध्द कार्रवाई कर सकता है, उसे चुनाव लडने से रोका जा सकता है, उम्मीदवार के खिलाफ FIR दर्ज हो सकती है और दोषी पाए जाने पर उसे जेल भी जाना पड़ सकता है। देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग के बनाए गए नियमों को ही आचार संहिता कहते हैं।
May Bank Holiday: आज ही फटाफट निपटा लें बैंक से…
2 hours agoGadchiroli Naxal News : CRPF और QAT की टीम को…
2 hours ago