Edible Oil Price: नई दिल्ली। आयातित तेलों की कम आपूर्ति के कारण दिल्ली के तेल-तिलहन बाजार में बृहस्पतिवार को पिछले कारोबारी सत्र के मुकाबले अधिकांश तेल-तिलहनों के भाव में मजबूती देखी गई तथा सरसों तेल-तिलहन, सोयाबीन तेल, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तथा बिनौला तेल में तेजी रही। दूसरी ओर लिवाल नदारद होने के कारण मूंगफली तेल-तिलहन तथा डी-आयल्ड केक (डीओसी) की कमजोर मांग के बीच सोयाबीन तिलहन के भाव पूर्वस्तर पर बने रहे।
बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि मंडियों में आज सरासों की आवक पिछले सत्र के लगभग नौ लाख बोरी से बढ़कर लगभग 9.5 लाख बोरी हो गई। सरसों की आवक बढ़ने के बावजूद इसकी लिवाली बढ़ने से सरसों तेल-तिलहन में तेजी रही क्योंकि मिल वालों और स्टॉकिस्टों ने इस डर से लिवाली की कि सरकार की ओर से एमएसपी पर सरसों की खरीद होने पर मौजूदा एमएसपी से 10-12 प्रतिशत नीचे दाम पर किसान से सरसों नहीं मिल पायेगा। मौजूदा समय में तो छोटे एवं कमजोर किसान अपनी उपज मजबूरीवश बेच रहे हैं।
आगामी त्योहार और शादी विवाह के मौसम की मांग बढ़ने की उम्मीद के बीच खाद्य तेलों विशेषकर सॉफ्ट ऑयल (सोयाबीन डीगम तेल) की कम आपूर्ति के बीच सोयाबीन तेल के भाव मजबूत बंद हुए। दूसरी ओर डी-आयल्ड केक (डीओसी) की मांग कमजोर रहने से सोयाबीन तिलहन के भाव पूर्वस्तर पर बने रहे। सूत्रों ने कहा कि मलेशिया एक्सचेंज के मजबूत रहने तथा सीपीओ के दाम में आई मजबूती के बाद कच्चा पामतेल (सीपीओ) और पामोलीन तेल के दाम में भी मजबूती रही। सीपीओ का दाम पहले के 980-985 डॉलर टन से बढ़कर आज 995-1,000 डॉलर प्रति टन हो गया जो पाम एवं पामोलीन तेल कीमतों में आई मजबूती का मुख्य कारण है।
कपास की आवक पहले के मुकाबले घटकर आज 70-72 हजार गांठ रह जाने के बीच बिनौला तेल कीमतों में भी सुधार आया। बिनौले से सबसे अधिक खल की प्राप्ति होती है और आवक की कमी होने से बिनौले की नकली खल का कारोबार बढ़ने की सूचनायें हैं। इसके लिए सरकार की ओर से कोई कदम उठाने की आवश्यकता है क्योंकि नकली खल, बेजुबान मवेशियों के लिए खतरा साबित हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि ऊंचे भाव पर लिवाल नहीं होने से मूंगफली तेल-तिलहन का खपना दूभर होने की वजह से मूंगफली तेल-तिलहन के भाव पूर्वस्तर पर बने रहे।
सूत्रों ने कहा कि इस ओर सरकार को ध्यान देना चाहिये। उन्होंने कहा कि जब अन्य देशी तिलहनों की ही तरह अधिक लागत के बावजूद मूंगफली एमएसपी से कम दाम पर बिके और किसानों की ऊपज ना खपे तो किसान ऐसी फसल दोबारा क्यों बोयेंगे? उन्होंने आशंका जताई कि कहीं मूंगफली का भी हाल सूरजमुखी जैसा ना हो जाये जिसका एमएसपी बढ़ाये जाने के बावजूद उत्पादन नहीं बढ़ रहा।
उन्होंने कहा कि कपड़ा उद्योग के संगठन अपनी समस्याओं के निवारण के लिए सरकार से बातचीत करती है पर तेल उद्योग की मुश्किलों को लेकर किसी संगठन को सरकार के सामने अपने सवाल रखते नहीं देखा जाता। इस पर तेल संगठनों को विचार करना चाहिये। तेल-तिलहनों के भाव देखें यहां-
सरसों तिलहन – 5,365-5405 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली – 6,025-6,300 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 14,750 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली रिफाइंड तेल 2,210-2,485 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 10,250 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 1,735-1,835 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 1,735 -1,840 रुपये प्रति टिन।
तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 10,550 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 10,150 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 8,900 रुपये प्रति क्विंटल।
सीपीओ एक्स-कांडला- 8,750 रुपये प्रति क्विंटल।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 9,250 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 10,000 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन एक्स- कांडला- 9,000 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
सोयाबीन दाना – 4,550-4,570 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन लूज- 4,350-4,390 रुपये प्रति क्विंटल।
मक्का खल (सरिस्का)- 4,075 रुपये प्रति क्विंटल।
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