नयी दिल्ली । भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि और तेज हवा के कारण देश में आम की फसल को 20 प्रतिशत तक नुकसान पहुंचा है। कई आम उत्पादकों ने कहा कि ओलावृष्टि और आंधी के कारण उत्तर भारत में भारी नुकसान हुआ है। आम भारत में एक महत्वपूर्ण फल है और लोकप्रिय रूप से इसे ‘फलों का राजा’ कहा जाता है। भारत एक प्रमुख आम उत्पादक देश है, जो विश्व के उत्पादन में लगभग 42 प्रतिशत का योगदान देता है। पिछले कुछ दिनों से पश्चिमी विक्षोभ के कारण बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि और तेज हवा ने देश के कुछ हिस्सों में खाद्यान्न और बागवानी फसलों दोनों को प्रभावित किया है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के उप महानिदेशक (बागवानी) एके सिंह ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘पहले बेमौसम बारिश से नुकसान नहीं हुआ, लेकिन बाद में बारिश और ओलावृष्टि ने आम की फसल को बुरी तरह प्रभावित किया है। फिलहाल हम कुल नुकसान लगभग 20 प्रतिशत तक होने का अनुमान लगा रहे हैं।’’ आम की फसल का नुकसान उत्तर भारत में अधिक रहा है, विशेष रूप से उत्तर प्रदेश जो देश में एक प्रमुख आम उत्पादक राज्य है। उन्होंने कहा कि अकेले उत्तर भारत में आम की फसल का अनुमानित नुकसान लगभग 30 प्रतिशत है, जबकि दक्षिण भारत में नुकसान 8 प्रतिशत से कम है।
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हालांकि, राज्यों से ताजा आंकड़ों के आने का इंतजार है। लखनऊ के आम उत्पादक उपेंद्र सिंह ने कहा, ‘‘माल-मलिहाबाद आम के मुख्य क्षेत्र में ओलावृष्टि से 75 प्रतिशत तक नुकसान हुआ है। उन जगहों पर जहां केवल बेमौसम बारिश हुई थी और कोई ओलावृष्टि नहीं हुई, वहां नुकसान कम हुआ है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘19 मार्च तक आम की फसल की स्थिति पिछले 30 वर्षों में सबसे बेहतर थी। 20 मार्च से बेमौसम बारिश और ओलों ने भारी नुकसान पहुंचाया है।’’ उन्होंने कहा कि आम के बौर की अवस्था के दौरान उच्च नमी के कारण काली फफूंद (ब्लैक फंगस) लगी है। तफरी फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी के निदेशक अतुल कुमार अवस्थी ने कहा, ‘‘फल लग गए थे लेकिन तेज आंधी और तेज हवा के कारण फल गिर गए और फसल को करीब 25 प्रतिशत नुकसान होने का अनुमान है।’’ उच्च नमी के कारण कुछ हिस्सों में आम के पेड़ों में कीट का प्रकोप हुआ है। उन्होंने कहा कि इससे निर्यात के उद्देश्य से गुणवत्ता वाले आमों की उपलब्धता प्रभावित होगी। सरकार के अनुमान के मुताबिक, देश का आम उत्पादन फसल वर्ष 2021-22 (जुलाई-जून) में 210 लाख टन रहा, जबकि उसके पिछले साल यह 203.86 लाख टन था।
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10 hours ago