वैश्विक चुनौतियों और अस्थिरता से निपटने के लिहाज से बेहतर स्थिति में है भारत: मुख्य आर्थिक सलाहकार |

वैश्विक चुनौतियों और अस्थिरता से निपटने के लिहाज से बेहतर स्थिति में है भारत: मुख्य आर्थिक सलाहकार

वैश्विक चुनौतियों और अस्थिरता से निपटने के लिहाज से बेहतर स्थिति में है भारत: मुख्य आर्थिक सलाहकार

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:38 PM IST, Published Date : May 18, 2022/5:19 pm IST

नयी दिल्ली, 18 मई (भाषा) मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी अनंत नागेश्वरन ने बुधवार को कहा कि रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध की वजह से वैश्विक स्तर पर बनी अनिश्चितता की परिस्थितियों के बावजूद भारत बेहतर वित्तीय प्रणाली और कॉपोरेट जगत की मजबूत आर्थिक स्थिति के बूते बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच अब भी बेहतर स्थिति में है।

नागेश्वरन ने कहा कि भारत ने बैंकिंग और अन्य क्षेत्रों में कई सुधार शुरू किए हैं और अब देश सार्वजनिक निवेश बढ़ाने पर ध्यान दे रहा है।

‘अमेजन संभव’ सम्मेलन में मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा, ‘‘दूसरे देश, यहां तक कि आधुनिक देशों से भी तुलना करें तो मेरा खयाल है कि भारत बेहतर स्थिति में है और इसका सीधा सा कारण यह है कि पिछले दशक में भारत कीमत चुका है। बैंकिंग प्रणाली तब दबाव में थी और 2018 आते-आते गैर बैंकिंग वित्तीय क्षेत्र भी दबाव में आ गया।’’

नागेश्वरन ने कहा, इसके अलावा, भारतीय कॉरपोरेट जगत अच्छी वित्तीय स्थिति में हैं क्योंकि उन्होंने अपने बही-खाते को कम किया है। उन्होंने कहा, ‘‘इस दशक में और इस संकट (रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध) में हम बेहतर वित्तीय प्रणाली और कॉरपोरेट जगत की मजबूत वित्तीय स्थिति के साथ प्रवेश कर रहे हैं। भारतीय रिजर्व बैंक के पास भी विदेशी मुद्रा का अच्छा खासा भंडार है और उसने अपने हाल के मौद्रिक नीति कदम से यह संकेत दे दिया है कि मुद्रास्फीति के दबाव से मुकाबला करने के लिए उसने कमर कस ली है।’’

उन्होंने कहा कि सरकार ने भी पूंजीगत खर्च बढ़ाने जैसे कई कदम उठाए हैं। ऐसे में भारत की वृद्धि दर सात से आठ प्रतिशत के बीच रह सकती है हालांकि युद्ध कितना लंबा खिंचता है इस पर भी वृद्धि निर्भर करेगी।

गौरतलब है कि रिजर्व बैंक ने अप्रैल में वृद्धि के अपने अनुमान को 7.8 फीसदी से घटाकर 7.2 फीसदी कर दिया था।

रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के असर के बारे में नागेश्वरन ने कहा कि इससे जिंसों विशेषकर ईंधन और खाद्यान्न की कीमतें बढ़ गईं जिससे वैश्विक मुद्रास्फीति भी बढ़ी। गेहूं की भी किल्लत हो गई जिसके परिणामस्वरूप कई देशों में कीमतें बढ़ रही हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘मुद्रास्फीति एक पहलू है और खाद्य सुरक्षा एक अन्य पहलू। शुक्र है कि भारत में हम दूसरों के मुकाबले बेहतर स्थिति में हैं। कई देश तो ऐसे हैं जहां भोजन की उपलब्धता इसकी कीमत से कहीं अधिक मायने रखती है।’’

भाषा

मानसी अजय

अजय

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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