Tomato Price Hike: बिगड़ गया रसोई का बजट, 100 रुपए किलो हुए टमाटर के दाम, जनता को अभी नहीं मिलेगी राहत
Tomato Price Hike: माटर की कीमत लगभग 100 रुपए किलों तक पहुंच चुकी हैं। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर भी टमाटर का दाम 90 से 95 रुपए प्रति किलो
Tomato Price Hike
नई दिल्ली : Tomato Price Hike: इस साल पड़ी भीषण गर्मी ने सब्जी और फलों के उत्पादन पर प्रभाव डाला है। इसी कारण से देश भर में प्याज, आलू और टमाटर जैसी आवश्यक सब्जियों के दाम तेजी से बढ़ रहे हैं। सब्जी मंडियों में इन सब चीजों के दामों में तेजी से उछाल आ रहा है। मुंबई और आसपास के इलाकों में टमाटर की कीमत लगभग 100 रुपए किलों तक पहुंच चुकी हैं। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर भी टमाटर का दाम 90 से 95 रुपए प्रति किलो चल रहा है। महाराष्ट्र के अलावा तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में भी टमाटर की कीमतें 80 से 100 रुपए प्रति किलो के बीच चल रही है।
इस वजह से बढ़ रहे सब्जियों के दाम
Tomato Price Hike: हर साल मानसून के दौरान सब्जियों की कीमत में इजाफा होता है। फसलों पर बारिश के असर के चलते हर साल दाम बढ़ने लगते हैं। मगर, इस साल पड़ रही प्रचंड गर्मी ने भी सब्जियों के उत्पादन को भारी नुकसान पहुंचाया है। इसके चलते दाम मानसून आने से पहले ही बढ़ने लगे हैं। बारिश के चलते न सिर्फ प्रोडक्शन पर प्रभाव पड़ता है बल्कि पैकेजिंग और ट्रांसपोर्टेशन के दौरान भी बड़ी मात्रा में सब्जियां खराब होती हैं।
कम हुआ उत्पादन
पिछले साल टमाटर के दामों में आए जबरदस्त इजाफे के चलते इस साल महाराष्ट्र के किसानों ने बड़ी मात्रा में टमाटर का उत्पादन किया था। मगर, इस गर्मी में उतना टमाटर पैदा नहीं होने दिया। किसानों ने सीएनबीसी टीवी 18 को बताया कि महाराष्ट्र के कई इलाकों में पिछले साल से 4 गुना ज्यादा टमाटर लगाया गया था। इसके बावजूद गर्मियों की वजह से उतना उत्पादन नहीं हो सका। प्रदेश के जुनार क्षेत्र में हर साल लगभग 2000 कार्टन प्रति एकड़ टमाटर पैदा होता है। इस साल यह उत्पादन घटकर 500 से 600 कार्टन प्रति एकड़ ही रहा गया है। अन्य क्षेत्रों में भी यही हाल है।
लोगों को अभी नहीं मिलेगी राहत
Tomato Price Hike: टमाटर की कीमतों में फिलहाल जनता को कोई राहत नहीं मिलने की उम्मीद है। बारिश के सीजन के दौरान भी लोगों को बढ़े हुए रेट का आसार झेलना पड़ेगा। आशंका जताई जा रही है कि इस साल मानसून कमजोर रहेगा। इसके चलते टमाटर उत्पादन में भी कोई सुधार नजर नहीं आ रहा। मानसून में देरी के चलते न सिर्फ खरीफ फसलों की बुवाई देर से होगी बल्कि टमाटर का उत्पादन भी कमजोर रहने की आशंका है। इससे सप्लाई चेन पर बुरा असर पड़ेगा।

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