कोविड के बाद बुनियादी ढांचे के निवेश में असमान उछाल, विकासशील देश पिछड़े: पी के मिश्रा |

कोविड के बाद बुनियादी ढांचे के निवेश में असमान उछाल, विकासशील देश पिछड़े: पी के मिश्रा

कोविड के बाद बुनियादी ढांचे के निवेश में असमान उछाल, विकासशील देश पिछड़े: पी के मिश्रा

:   Modified Date:  April 24, 2024 / 07:22 PM IST, Published Date : April 24, 2024/7:22 pm IST

नयी दिल्ली, 24 अप्रैल (भाषा) प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव पी के मिश्रा ने बुधवार को कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान बुनियादी ढांचे में निवेश में गिरावट आई थी और इस क्षेत्र में आई हालिया उछाल बेहद असमान है जहां विकासशील देश पिछड़ते दिख रहे हैं।

मिश्रा ने यहां आपदा-रोधी बुनियादी ढांचे पर छठे अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि आपदा और जलवायु जोखिम बढ़ रहे हैं और अगर देश बुनियादी ढांचे की प्रणालियों में लचीलापन नहीं लाते हैं तो उन्हें पुनर्निर्माण के लिए अधिक निवेश करने को मजबूर होना पड़ेगा।

उन्होंने कहा, ”महामारी के दौरान बुनियादी ढांचे के निवेश में गिरावट आई और हाल ही में हम लगातार पुनरुद्धार देख रहे हैं। हालांकि, यह उछाल बेहद असमान है, जिसमें विकासशील देश पिछड़ रहे हैं। हमें खुद से पूछना चाहिए कि ऐसा क्यों है?’

मिश्रा ने कहा कि आपदा-रोधी अवसंरचना गठबंधन (सीडीआरआई) द्वारा किए गए शोध से पता चला है कि अवसंरचना घाटे को दूर करने, सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को हासिल करने, शुद्ध-शून्य उत्सर्जन तक पहुंचने और वर्ष 2050 तक जुझारूपन बढ़ाने के लिए 9,200 अरब डॉलर की जरूरत है।

उन्होंने कहा, ”यदि हम अपनी आगामी परियोजना में लचीलापन नहीं लाते हैं तो अवसंरचना घाटे को पूरा करने के लिए जरूरी वित्तपोषण हासिल करना मुश्किल होता जाएगा, विशेष रूप से वैश्विक दक्षिण में।”

मिश्रा ने कहा कि प्रधानमंत्री ने भारत को एक विकसित देश बनाने का आह्वान किया है, और वैश्विक दक्षिण के कई अन्य देश भी विकसित देश बनने या तेजी से वृद्धि करने का लक्ष्य तय कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि भारत मानता है कि अवसंरचना घाटे की भरपाई करना और ऐसा इस तरह से करना कि सभी नए बुनियादी ढांचे लचीले हों, दोनों काम एक साथ करने हैं।

उन्होंने कहा कि पिछले दो दशकों में देश में बुनियादी ढांचे में किए गए निवेश ने लाखों लोगों के लिए बेहतर आजीविका के अवसर पैदा किए हैं और इस प्रगति को बनाए रखने की जरूरत है।

भाषा पाण्डेय प्रेम

प्रेम

 

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