रायपुर। छत्तीसगढ़ अग्रवाल सभा के एक पक्ष की ओर से संगठन पर मनमाना कब्जा करने और गुपचुप चुनाव कराने के षडयंत्र पर रजिस्ट्रार फर्म्स एंड सोसायटी ने रोक लगा दी है। रजिस्ट्रार ने साफ कर दिया है कि पूरा चुनाव कार्यक्रम सार्वजनिक रूप से घोषित करने के बाद नामांकन और वोटिंग की प्रक्रिया से ही चुनाव करवाया जा सकेगा। वर्तमान पदाधिकारियों के एक गुट के इस षडयंत्र के खिलाफ हाईकोर्ट में भी मामला लगाया गया है और कोर्ट ने रजिस्ट्रार के फैसले तक चुनाव स्थगित करने का आदेश दिया था। बता दें कि अग्रवाल सभा के कुछ पदाधिकारियों ने मनमाने तरीके से चुपचाप चुनाव कराने के लिए दो चुनाव अधिकारी भी नियुक्त कर दिए थे। 28 अगस्त को आमसभा की बैठक के नाम पर चुनिंदा लोगों को बुलाकर सर्वसम्मति से चुनाव कराने का यह षड़यंत्र था।
रजिस्ट्रार फर्म्स एंड सोसायटी ने अग्रवाल सभा रायपुर छत्तीसगढ़ की 28 अगस्त को होने वाली कथित साधरण सभा और उसमें अध्यक्ष पद के निर्वाचन पर साफ साफ रोक लगा दी है और वोटिंग के जरिए विधिवत चुनाव करवाने का आदेश दिया है। दरअसल अग्रवाल सभा के चुनाव का मामला हाईकोर्ट भी पहुंच गया है जिस पर सुनवाई करते हुए पिछले दिनों हाईकोर्ट ने कहा है कि रजिस्ट्रार फर्म्स एंड सोसायटी के निर्णय के बाद इसकी सुनवाई की जाएगी। हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई चार हफ्ते बाद होगी।
बता दें कि वर्तमान पदाधिकारी विजय अग्रवाल ने खुद अध्यक्ष बनने की जुगत लगाते हुए एक नई सदस्यता सूची तैयार कर ली है । इसी के आधार पर वह 28 अगस्त को बैठक बुलाकर खुद को सर्वसम्मति से अध्यक्ष बनवाने के फेर में थे। नई सदस्यता सूची में हजारों नाम काट दिए गए हैं ….और तो और संस्था के पूर्व अध्यक्षों और पदाधिकारियों समेत आजीवन सदस्यों का भी नाम नई सूची से गायब कर दिया गया है। आरोप है कि विजय अग्रवाल पुराने सदस्यों का नाम हटाकर खुद संगठन पर काबिज होने के लिए तिकड़म लगा रहे थे। इसी कारण पुराने और संगठन पर पकड़ रखने वाले पूर्व पदाधिकारियों और आजीवन सदस्यों के साथ ही हजारों लोगों के नाम सूची से गायब कर दिए गए। इसके खिलाफ अग्रवाल सभा के उपाध्यक्ष समेत कई लोगों ने रजिस्ट्रार को शिकायत की थी।
इधर सभी पक्षों के बाद सुनने के बाद रजिस्ट्रार फॉर्म्स एंड सोसाइटी ने गुपचुप ढंग से तथाकथित सर्वसम्मति से चुनाव करवाने की कोशिश को अवैध बता दिया है। दोनों पक्षों की ओर से पेश दलीलों को सुनने और संस्था की नियमावली को देखने के बाद उन्होंने अपने फैसले में चुनाव प्रक्रिया को नियम के तहत कराने के निर्देश दिए हैं। रजिस्ट्रार ने अपने निर्देश में दो की जगह तीन निर्वाचन अधिकारी नियुक्त करने के साथ ही पूरा निर्वाचन कार्यक्रम जारी करने के बाद ही चुनाव कराने के निर्देश दिए हैं ।
फैसले में कहा गया है कि “निर्वाचन अधिकारी को नामांकन पत्र देने की अंतिम तिथि एवं समय घोषित करना होगा। नामांकन भरने के बाद नामांकन पत्र वापस लेने की अंतिम तिथि एवं समय बताना होगा इसके साथ ही मतदान की तिथि और समय की भी घोषणा करनी होगी। फैसले में कहा गया है कि नामांकन पत्र का प्रारूप एवं नामांकन पत्र वापस लेने का समय तिथि, चुनाव का स्थान बताना होगा। साथ ही अन्य आवश्यक नियमों का भी पालन करना होगा। अग्रवाल सभा, रायपुर के चुनाव अधिकारी को यह भी निर्देश दिया गया है कि चुनाव प्रक्रिया के तहत् सदस्यता और मतदाता सूची को लेकर 18 अगस्त को जो दावा आपत्तियां आई हैं उनका निराकरण करते हुए मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन किया जाए। इसके बाद ही विधिवत निर्वाचन कार्यक्रम जारी करते हुए संस्था के अध्यक्ष के निर्वाचन की कार्यवाही संपादित करें” ।
इधर चर्चा है कि अग्रवाल सभा के कुछ सदस्यों को लेकर महामंत्री विजय और उनके भाई योगेश अग्रवाल ने दो दिन पहले बैठक की है । इसमें योगेश अग्रवाल ने गुपचुप चुनाव को आगे बढ़ाने और जिन सदस्यों का नाम उनकी नई सूची में नहीं है उनको सभागृह में प्रवेश से रोकने की बात कही है । ताकि वे मनमर्ज़ी कर सकें । कहा जाता है कि योगेश ने इस दौरान ये भी कह दिया कि रजिस्ट्रार और कोर्ट के फ़ैसले को वे नहीं मानेंगे और अपने मुताबिक़ चुनाव करवाएँगे। इस पर सभा के अन्य सदस्यों ने कोर्ट की अवमानना का मुकदमा चलाने की चेतावनी दी है। वहीं योगेश से जब इस चर्चा के बारे में उनका पक्ष जानने के लिए संपर्क किया गया तो उनका कहना था कि वे कोई बात नहीं करेंगे । इस संबंध में उनके भाई विजय अग्रवाल से बात की जाए।
अग्रवाल सभा पर कब्जे की एक गुट की कोशिश के कारण समाज में काफी रोष है और तनाव की स्थिति भी बन गई है। कहा जा रहा है कि ऐसे में रजिस्ट्रार की रोक के बाद भी 28 अगस्त को बैठक बुलाने से तनाव बढ़ सकता है। सभा के सदस्यों का कहना है कि जो भी व्यक्ति चुनाव लड़ना चाहता है उसे पूरा मौका मिलना चाहिए। बहरहाल बंद कमरे में कुछ लोगों के हाथ खड़े करवाकर अध्यक्ष बनने का षडयंत्र फेल हो गया है तो अब समाज के सदस्यों की मांग है कि पूरी तरह पारदर्शी तरीके से चुनाव कराया जाए भले ही कुछ समय और लग जाए।
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