CG Ki Baat: रायपुर। 2024 के चुनाव में प्रचार की जिम्मेदारियों के खत्म होते ही बीजेपी ने अपने संगठन और सत्ता में भागीदार नेताओं की ट्रेनिंग और जिम्मेदारी पर मंथन शुरू कर दिया है। एक तरफ बीजेपी मुख्यालय में भाजपा प्रत्याशियों, चुनाव प्रभारियों और संयोजकों की बैठक हो चुकी है, जिसमें काउंटिंग की तैयारी के साथ-साथ आगे की कार्ययोजना और जिम्मेदारियां तय करने पर बात हुई। दूसरी तरफ तय कार्यक्रम के मुताबिक, साय कैबिनेट की रायपुर IIM में मंत्रियों की दो दिवसीय क्लास शुरू हो चुकी है। कांग्रेस कहती है कि ये ट्रेनिंग सेशन बीजेपी के भीतर गुटबाजी को दर्शाता है, तो बीजेपी, कांग्रेस की समझ पर तंज कस रही है।
ये बयानबाजी हो रही है छत्तीसगढ़ की साय कैबिनेट के मंत्रियों की ट्रेनिंग सत्र पर। दरअसल, प्रदेश सरकार ने अपने सभी मंत्रियों को गुड गर्वनेंस के गुर सिखाने के लिए रायपुर IIM को नोडल एजेंसी बनाया है, जहां 31 मई से 1 जून तक अलग-अलग सेशन्स में देशभर के जाने-माने विषय विशेषज्ञों को मंत्रियों की क्लास लेने आमंत्रित किया है। तय शेड्यूल के मुताबिक, ये सेशन शुक्रवार सुबह से शुरू हो चुके हैं। साथ ही, इस विषय पर शुरू हो चुका है सियासी बयानों का दौर भी।
सेशन से पहले ही कांग्रेस ने इस ट्रेनिंग क्लास के औचित्य पर सवाल उठाया था। कांग्रेस सरकार में पूर्व कैबिनेट मंत्री शिव डहरिया ने तंज कसते हुए कहा कि साय कैबिनेट को डॉ रमन सिंह से सरकार चलाने के गुर सीखना चाहिए। आरोप लगाया कि बीजेपी 15 साल CM रहे रमन सिंह को दरकिनार कर रही है। जवाब में बीजेपी ने सीधे-सीधे कांग्रेस की सोच पर सवाल उठा दिया और पूछा कि बीजेपी अपने पदाधिकारियों के साथ बैठे, ट्रेनिंग करे इसमें भला कांग्रेस को आपत्ति क्यों है ? तंज भी कसा कि पता नहीं कांग्रेस में संगठनात्मक बैठकें होती है या नहीं।
कांग्रेस के आरोपों से इधर बीजेपी का दावा है कि इस ट्रेनिंग प्रोग्राम के जरिए साय सरकार अपने संगठन के विकसित भारत 2047 के संकल्प की तर्ज पर छत्तीसगढ़ विजन 2047 डॉक्यूमेंट तैयार कर रही है, जो कि मील का पत्थर साबित होगा। एक तरफ जहां प्रदेश में कैबिनेट मंत्रियो की क्लास शुरू हो चुकी है तो दूसरी तरफ बीजेपी संगठन ने भी पदाधिकारियों के साथ मंथन कर आगे की रणनीति और जिम्मेदारियों पर बात शुरू कर दी है। कुल मिलाकर बीजेपी अभी से अगले मोर्चे के लिए तैयारी में जुटी है। इस पर विपक्ष का सवाल उठाना, ट्रेनिंग को खारिज करना, इसे बीजेपी के भीतर रमन सिंह को दरकिनार करना, गुटबाजी से जोड़ना कितना उचित है?
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