Removal of tribal state president before elections will be harmful for BJP

चेहरा बदला.. बदलेगी तस्वीर? आदिवासी प्रदेश अध्यक्ष को चुनाव से पहले हटाना से भाजपा के लिए नुकसानदायक होगा?

आदिवासी प्रदेश अध्यक्ष को चुनाव से पहले हटाना से भाजपा के लिए नुकसानदायक होगा? Removal of tribal state president before elections will be harmful for BJP

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:09 PM IST, Published Date : August 9, 2022/11:31 pm IST

(रिपोर्टः सौरभ सिंह परिहार) रायपुरः छत्तीसगढ़ में वर्ष 2023 में चुनाव से पहले आखिरकार भाजपा ने प्रदेश की कमान अरुण साव के हाथ दे दी है। हालांकि आदिवासी दिवस पर विष्णुदेव साय से कमान लिए जाने पर कांग्रेस ने भाजपा को घेरते हुए आदिवासी विरोधी बताते हुए जमकर घेरा तो भाजपा ने बचाव में आदिवासी वर्ग से द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति बनाने का तर्क ऱखा। सवाल ये कि क्या साव को पार्टी ने छत्तीसगढ़ में जाति वर्ग विशेष के संख्या गणित को देखकर आगे किया है? वैसे बड़ी चुनौती तो सांसद अरुण साव के सामने भी है। चुनौती पार्टी को एकजुट कर कार्यकर्ताओं को एकजुट करना ? सवाल ये भी है कि आदिवासी बहुल राज्य में आदिवासी प्रदेश अध्यक्ष को चुनाव से पहले हटाना से भाजपा के लिए नुकसानदायक होगा?

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भाजपा हाईकमान से लेटर जारी होते ही छत्तीसगढ़ बीजेपी में आक्रामक नेतृत्व को लेकर उठ रही मांगों और नेतृत्व परिवर्तन को लेकर तमाम अटकलों पर विराम लगा दिया.. लेटर में साफ-साफ लिखा है कि बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने अरुण साव सांसद, बिलासपुर को छत्तीसगढ़ बीजेपी का नया अध्यक्ष नियुक्त किया है। अब सवाल ये उठ रहा है कि अरुण साव की ताजपोशी के पीछे बीजेपी की सोच क्या है? क्या अरुण को कैप्टन बनाकर बीजेपी ने चुनाव से पहले जाति समीकरण को साधने की कोशिश की है। दरअसल अरुण साव OBC वर्ग में बाहुल्य साहू समाज से आते हैं और आदिवासी के बाद साहू की प्रदेश में सबसे बड़ी आबादी है और 30 से ज्यादा विधानसभा में साहू वोटर्स की अच्छी पकड़ है? RSS पृष्ठभूमि से आने वाले साव को अध्यक्ष पद सौपने के पीछे बीजेपी की रणनीति चाहे जो भी हो लेकिन आदिवासी दिवस के दिन विष्णुदेव साय को हटाने पर कांग्रेस ने बीजेपी को तुरंत आदिवासी विरोधी बता दिया?

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कांग्रेस के आरोपों पर बीजेपी नेता भी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का उदाहरण देते हुए हाईकमान के फैसले का बचाव करते दिखे। साथ ही आगामी विधानसभा चुनाव में अरूण साव के नेतृत्व में बीजेपी की जीत की हुंकार भरी। जाहिर है कि 2018 में करारी हार के बाद बीजेपी के लिए प्रदेश में कुछ भी सही नहीं घटा। चार उपचुनावों समेत निकाय चुनाव में उसे करारी शिकस्त मिली। अब जब चुनाव में करीब साल भर का वक्त बचा है..तो बीजेपी की कमान अरुण साव संभालेंगे। लेकिन सवाल फिर वही कि क्या अरुण साव के नेतृत्व वाली छत्तीसगढ़ बीजेपी 2023 में एकजुट होकर कमाल दिखा पाएगी? क्या साव को पार्टी में सबका साथ मिल पाएगा? क्योंकि 15 सालों तक सत्ता में रही बीजेपी कभी मजबूत विपक्ष के रूप में नजर नहीं आई। ऐसे में नए अध्यक्ष के तौर पर अरुण साव के सामने संघर्ष और चुनौतियां कम नहीं होंगी?

 

 
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