अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट मामले में बड़ा फैसला, 38 दोषियों को फांसी की सजा, 11 को आजीवन कारावास

अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट मामले में बड़ा फैसला, 38 दोषियों को फांसी की सजा : 38 convicts sentenced to death in Ahmedabad blast case

अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट मामले में बड़ा फैसला, 38 दोषियों को फांसी की सजा, 11 को आजीवन कारावास
Modified Date: November 29, 2022 / 08:44 pm IST
Published Date: February 18, 2022 12:18 pm IST

नई दिल्लीः Ahmedabad blast case साल 2008 में हुए अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट मामले में विशेष अदालत ने शुक्रवार को दोषियों को सजा सुना दी है। इस मामले में कोर्ट ने 38 दोषियों को फांसी की सजा सुनाई है। वहीं, 11 दोषियों को UAPA के तहत उम्रकैद की सजा दी गई है। कोर्ट ने पिछले मंगलवार को इस मामले में सुनवाई पूरी कर ली थी और 49 लोगों को पहले ही दोषी करार दिया था। 28 अन्य आरोपियों को बरी कर दिया था।

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Ahmedabad blast case  बता दें कि 13 साल से अधिक पुराने इस मामले में अदालत ने पिछले साल सितंबर में मुकदमे की कार्यवाही पूरी कर ली थी। पुलिस ने दावा किया था कि आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन से जुड़े लोगों ने साल 2002 में गुजरात दंगों का बदला लेने के लिए इन हमलों को अंजाम दिया था, जिसमें अल्पसंख्यक समुदाय के कई लोग मारे गए थे।

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8 फरवरी तक के लिए टाला गया फैसला
पहले 2 फरवरी को इस मामले में फैसला आना था, लेकिन स्पेशल कोर्ट के जज एआर पाटले कोरोना संक्रमित हो गए थे जिसके बाद इसे 8 फरवरी तक के लिए टाल दिया गया। 26 जुलाई 2008 को अहमदाबाद में एक घंटे के भीतर 21 बम धमाके हुए थे। अहमदाबाद पुलिस ने इस मामले में 20 प्राथमिकी दर्ज की थी। वहीं, सूरत में भी 15 और एफआईआर दर्ज की गईं थी। इन बम धमाकों में गुजरात के तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी ने सभी आतंकियों की गिरफ्तारी के आदेश दिए थे।

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78 आरोपियों से हुई थी मुकदमे की शुरुआत
अहमदाबाद में सिलसिलेवार धमाकों के कुछ दिन बाद पुलिस ने सूरत के विभिन्न इलाकों से कई बम बरामद किए थे। इसके बाद अहमदाबाद में 20 और सूरत में 15 एफआईआर दर्ज की गई थीं। अदालत की ओर से सभी 35 एफआईआर को एक साथ जोड़ देने के बाद दिसंबर 2009 में 78 आरोपियों के खिलाफ मुकदमे की शुरुआत हुई थी। इनमें से एक आरोपी बाद में सरकारी गवाह बन गया था। इस मामले में बाद में चार और आरोपियों को भी गिरफ्तार किया गया था, लेकिन उनका मुकदमा अभी तक शुरू नहीं हो पाया है। मामले की सुनवाई के दौरान अभियोजन ने 1100 गवाहों का परीक्षण किया


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