नोटिस मिलने के बाद आतिशी ने पूछा, क्या भाजपा का ‘सहायक संगठन’ है निर्वाचन आयोग |

नोटिस मिलने के बाद आतिशी ने पूछा, क्या भाजपा का ‘सहायक संगठन’ है निर्वाचन आयोग

नोटिस मिलने के बाद आतिशी ने पूछा, क्या भाजपा का ‘सहायक संगठन’ है निर्वाचन आयोग

:   Modified Date:  April 5, 2024 / 06:58 PM IST, Published Date : April 5, 2024/6:58 pm IST

( तस्वीर सहित )

नयी दिल्ली, पांच अप्रैल (भाषा) दिल्ली की मंत्री एवं आम आदमी पार्टी (आप) की वरिष्ठ नेता आतिशी ने शुक्रवार को ‘कारण बताओ’ नोटिस मिलने के बाद निर्वाचन आयोग (ईसी) पर निशाना साधा और सवाल किया कि क्या यह भाजपा का ‘सहायक संगठन’ है।

आतिशी को यह नोटिस उनकी इस टिप्पणी पर जारी किया गया था कि भाजपा ने उनसे संपर्क कर उन्हें या तो पार्टी में शामिल होने या एक महीने के भीतर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा गिरफ्तार किए जाने के लिए तैयार रहने के लिए कहा था।

आतिशी ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि ‘निर्चान आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाए गए थे’ जिसकी जिम्मेदारी गैर-पक्षपातपूर्ण रहना, विपक्षी दलों को समान अवसर प्रदान करना और स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराना है।

आतिशी ने कहा कि शुक्रवार सुबह 11:15 बजे खबर प्रसारित की गई कि उन्हें चुनाव आयोग ने नोटिस जारी किया है, जबकि उन्हें यह ईमेल के जरिए 11:45 बजे मिला।

उन्होंने कहा, ‘‘इसका मतलब है कि निर्वाचन आयोग के नोटिस की खबर पहले भाजपा ने मीडिया में फैलाई और फिर निर्वाचन आयोग ने नोटिस दिया। मैं देश के निर्वाचन आयोग से पूछना चाहती हूं- क्या आप भाजपा के सहायक संगठन बन गए हैं।’’

आप की वरिष्ठ नेता ने कहा कि वह नोटिस का जवाब देंगी और निर्वाचन आयोग को देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने में अपेक्षित तटस्थता और गैर-पक्षपातपूर्णता की याद दिलाएंगी।

उन्होंने कहा भारत के निर्वाचन आयोग को देश में लोकतंत्र को बचाने के लिए संविधान द्वारा एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी दी गई है।

आतिशी ने कहा कि वर्तमान तीन चुनाव आयुक्तों से पहले टी एन शेषन जैसे चुनाव आयुक्त थे। उन्होंने कहा, ‘‘आप एक ऐसा निर्वाचन आयोग चला रहे हैं जिसे पूरी दुनिया देखती है और जिसकी प्रशंसा की जाती है। भारत जैसे देश में चुनावों की निष्पक्षता पर कभी कोई सवाल नहीं उठाया जाता है।’’

आतिशी ने कहा, ‘‘मैं निर्वाचन आयोग से अपील करना चाहता हूं कि वह भाजपा और उसकी केंद्र सरकार के सामने न झुके। अगर वे समान अवसर और स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव की अनुमति नहीं देते हैं तो तीन चुनाव आयुक्तों को देश 100 साल तक सभी गलत कारणों से याद रखेगा।’’

निर्वाचन आयोग ने नोटिस में आतिशी से कहा कि वह अपने उस बयान का तथ्यों के साथ समर्थन करें जिसमें कहा गया है कि भाजपा ने पार्टी में शामिल होने के लिए उनसे संपर्क किया था।

एक संवाददाता सम्मेलन में दो अप्रैल को किए गए आतिशी के दावे के खिलाफ भाजपा ने बृहस्पतिवार को निर्वाचन आयोग का रुख किया।

आतिशी ने दावा किया कि भाजपा ने 4 मार्च को निर्वायन आयोग में शिकायत दर्ज कराई और कुछ ही घंटों के भीतर आयोग ने उन्हें नोटिस जारी कर दिया। आतिशी ने पूछा कि चुनाव के दौरान विपक्षी दलों और नेताओं के खिलाफ कार्रवाई के लिए केंद्रीय एजेंसियों को कोई नोटिस क्यों नहीं भेजा गया।

उन्होंने पूछा, ‘‘क्या ईडी को तब नोटिस जारी किया गया था जब एजेंसी ने मौजूदा मुख्यमंत्री (अरविंद केजरीवाल), एक राष्ट्रीय पार्टी के संयोजक और विपक्ष के प्रमुख चेहरे को चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता लागू होने के बावजूद गिरफ्तार कर लिया था।’’

दिल्ली सरकार की मंत्री ने निर्वाचन आयोग से यह भी पूछा कि उसने कांग्रेस, भाकपा और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के बैंक खातों को फ्रीज करने के लिए आयकर (आईटी) विभाग को नोटिस क्यों नहीं भेजा।

उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग चुनाव से पहले विपक्षी पार्टी शासित राज्यों में मुख्य सचिवों, गृह सचिवों और पुलिस प्रमुखों को बदल देता है।

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन जब विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के नेताओं ने चुनाव के दौरान अंतरिम उपाय के तौर पर ईडी, सीबीआई, आईटी विभाग के निदेशकों को बदलने की मांग की तो निर्वाचन आयोग ने कुछ नहीं किया।’’

दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने आतिशी पर निशाना साधते हुए कहा कि चुनाव आयोग की ‘स्वतंत्रता और निष्पक्षता’ पर उंगली उठाकर वह राजनीतिक और प्रशासनिक मर्यादा की सभी सीमाएं पार कर गईं।

उन्होंने आरोप लगाया कि, ‘‘उनके राजनीतिक आचरण और संवैधानिक निकायों पर बार-बार हमले से स्पष्ट होता है कि आतिशी नक्सलवाद की पाठशाला की उपज हैं।’’

सचदेवा ने कहा, ‘‘बेहतर होता यदि वह चुनाव आयुक्तों को टी एन शेषन की याद दिलाने से पहले मुख्यमंत्री केजरीवाल को मदन लाल खुराना का अनुसरण करने और ‘शराब घोटाले’ में गिरफ्तार होने के बाद इस्तीफा देने के लिए कहतीं।’’

खुराना भाजपा नीत दिल्ली सरकार के मुख्यमंत्री थे और उन्होंने वर्ष 1996 में हवाला से संबंधित विवाद के बाद पद छोड़ दिया था।

भाषा संतोष माधव

माधव

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)