नई दिल्ली। कोरोना संकट के बीच पेट्रोलियम मंत्रालय की पहल पर बायोफ्यूल के उत्पादन की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया है. देश में पहली बार FCI के गौदाम में मौजूद चावल के अतिरिक्त (सरप्लस) भंडार का इस्तेमाल एथनॉल बनाकर उससे सैनेटाइजर बनाने में होगा. उल्लेखनीय है कि बायोफ्यूल (जैव ईंधन) की राष्ट्रीय नीति 2028 के पैरा 5.3 में इस बात का प्रावधान किया गया है कि कृषि मंत्रालय के अनुमान से अधिक खाद्यान की आपूर्ति या भंडार होता है तो नेशनल बायोफ्यूल को-ऑर्डिशनेन कमेटी (राष्ट्रीय जैव ईंधन समन्वय समिति) की अनुमति से संबंधित खाद्यान का प्रयोग एथनॉल के निर्माण में किया जा सकेगा.
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प्रधान की अध्यक्षता में हुआ अहम फैसला
20 अप्रैल को केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस तथा इस्पात मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान की अध्यक्षता में एनबीसीसी की अहम मीटिंग हुई. जिसमें एफसीआई के पास मौजूद अतिरिक्त चावल से अल्कोहल आधारित सैनेटाइजर बनाने के लिए उसे एथनॉल के रूप में तब्दील करने को मंजूरी दी गई. उल्लेखनीय है कि Ethanol Blended Petrol programme के तहत देश में धान से एथनॉल उत्पादन की दिशा में काफी प्रगति हुई है.लेकिन सरप्लस चावल से एथनॉल बनाकर अल्कोहल आधारित सैनेटाइजर बनाने को पहली बार मंजूरी दी गई है.
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किसानों के साथ देश की इकोनॉमी को होगा फायदा
सरकार की इस कवायद का सीधा लाभ जहां किसानों को भी होगा, क्योंकि वह धान की पैदावार को लेकर प्रोत्साहित होंगे. वहीं भारत के लिए यह मौजूदा कोरोना संकट की परिस्थितियों में सैनेटाइजर की घरेलू एवं वैश्विक मांग पूरा करने का एक बड़ा आर्थिक अवसर है.