नयी दिल्ली/कोलकाता, 15 जून (भाषा) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने पश्चिम बंगाल में कथित राजनीतिक हिंसा की जांच के लिए शनिवार को चार सदस्यीय समिति गठित की। पार्टी ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर मूकदर्शक बने रहने का आरोप लगाया।
इस समिति में पार्टी सांसद बिप्लब कुमार देब, रविशंकर प्रसाद, बृजलाल और कविता पाटीदार शामिल हैं। देब इस समिति के संयोजक हैं।
तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता एवं पूर्व राज्यसभा सदस्य शांतनु सेन ने भाजपा पर कटाक्ष करते हुए कहा कि लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल की जनता द्वारा खारिज किये जाने के बाद भाजपा अब बहाने ढूंढ रही है।
राज्य में लोकसभा की 42 सीट में से तृणमूल कांग्रेस ने 29, भाजपा ने 12 और कांग्रेस ने एक सीट पर जीत दर्ज की।
भाजपा ने एक बयान में कहा, ‘‘ममता बनर्जी मूकदर्शक बनी हुई हैं, उनकी पार्टी के अपराधी बेखौफ होकर विपक्षी दलों के कार्यकर्ताओं और मतदाताओं पर हमला करते हैं और उन्हें डराते-धमकाते हैं। यहां तक कि कलकत्ता उच्च न्यायालय ने भी इन ज्यादतियों पर संज्ञान लिया है और 21 जून तक केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) की तैनाती बढ़ा दी है तथा मामले की सुनवाई 18 जून को तय की है।’’
भाजपा ने कहा कि देशभर में लोकसभा चुनाव हुए, लेकिन पश्चिम बंगाल को छोड़कर कहीं से भी राजनीतिक हिंसा की कोई घटना सामने नहीं आई।
भाजपा ने आरोप लगाया, ‘‘राज्य चुनाव बाद की हिंसा की चपेट में है। इसी तरह की हिंसा हमने 2021 के विधानसभा चुनाव के बाद देखी थी।’’
इन आरोपों के जवाब में तृणमूल कांग्रेस के नेता ने कहा कि भाजपा उम्मीदवारों ने ‘‘चुनावों को स्वतंत्र और निष्पक्ष बताया था। लेकिन निराशाजनक प्रदर्शन के बाद, वे अब बहाने बना रहे हैं और चुनाव बाद हिंसा की झूठी कहानी गढ़ रहे हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘कुछ छिटपुट घटनाएं हो सकती हैं, जिनका कारण पारिवारिक या स्थानीय विवाद हो सकते हैं।’’
इस बीच, पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने कूचबिहार जिले में भाजपा के उन कार्यकर्ताओं से मुलाकात की, जो चुनाव के बाद तृणमूल कांग्रेस के कथित हमलों से प्रभावित हुए हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘यदि राज्यपाल सी वी आनंद बोस मुझे समय देते हैं, तो मैं रविवार को राजभवन में उनसे उन 100 लोगों के साथ मिलूंगा, जो तृणमूल कांग्रेस के हमलों के कारण बेघर हो गए हैं।’’
अधिकारी ने कहा कि उन्होंने चुनाव बाद की हिंसा से प्रभावित लोगों के साथ राजभवन के बाहर पांच दिन तक धरना देने के लिए कोलकाता पुलिस से अनुमति मांगी है।
भाषा
देवेंद्र दिलीप
दिलीप
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